Get Even More Visitors To Your Blog, Upgrade To A Business Listing >>

हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ तन्मय साहित्य #174 – परसों वाली रही न बातें… ☆ श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ ☆

श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’

(सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी अर्ध शताधिक अलंकरणों /सम्मानों से अलंकृत/सम्मानित हैं। आपकी लघुकथा  रात  का चौकीदार”   महाराष्ट्र शासन के शैक्षणिक पाठ्यक्रम कक्षा 9वीं की  “हिंदी लोक भारती” पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित। आप हमारे प्रबुद्ध पाठकों के साथ  समय-समय पर अपनी अप्रतिम रचनाएँ साझा करते रहते हैं। आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता  “परसों वाली रही न बातें……”)

☆  तन्मय साहित्य  #174 ☆

☆ परसों वाली रही न बातें… 

बीता वक्त

साथ में बीत गए

स्वर्णिम पल

मची हुई

स्मृतियों में हलचल

शिथिल पंख

अनगिन इच्छाएँ

कैसे अब

उड़ान भर पाएँ,

आसपास

पसरे फैले हैं

लगा मुखौटे

छल बल के दल।

परसों वाली

रही न बातें

अन्जानी सी

अन्तरघातें,

सद्भावी नहरें

हैं खाली

हुआ प्रदूषित

नदियों का जल।

ऋतु बसन्त

अब भी है आती

होली, दीवाली

शुभ राखी,

परंपरागत

करें निर्वहन

पर न प्रेम वह

रहा आजकल।

© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय

जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश, अलीगढ उत्तरप्रदेश  

मो. 9893266014

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

Please share your Post !

Shares

The post हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ तन्मय साहित्य #174 – परसों वाली रही न बातें… ☆ श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ ☆ appeared first on साहित्य एवं कला विमर्श.

Share the post

हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ तन्मय साहित्य #174 – परसों वाली रही न बातें… ☆ श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ ☆

×

Subscribe to ई-अभिव्यक्ति - साहित्य एवं कला विमर्श (हिन्दी/मराठी/अङ्ग्रेज़ी)

Get updates delivered right to your inbox!

Thank you for your subscription

×