श्री एस के कपूर “श्री हंस”
(बहुमुखी प्रतिभा के धनी श्री एस के कपूर “श्री हंस” जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। आप कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से पुरस्कृत/अलंकृत हैं। साहित्य एवं सामाजिक सेवाओं में आपका विशेष योगदान हैं। आप प्रत्येक शनिवार श्री एस के कपूर जी की रचना आत्मसात कर सकते हैं। आज प्रस्तुत है आपका एक भावप्रवण मुक्तक ।।मिट्टी का बदन और साँसें उधार की हैं।।)
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☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ “श्री हंस” साहित्य # 36 ☆
☆ मुक्तक ☆ ।। मिट्टी का बदन और साँसें उधार की हैं ।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस”☆
[1]
मिट्टी का बदन और साँसे उधार की हैं।
जाने घमंड किस चीज़ का बात विचार की है।।
आदमी बस इक मेहमान होता कुछ दिन का।
नहीं उसकी हैसियत यहाँ पर जमींदार की है।।
[2]
जिन्दगी हमें हर मोड़ पर रोज़ आज़माती है।
कुछ नया रोज़ हमें बतलाती और सिखलाती है।।
सुनते नहीं हम बातअंतरात्मा की अपने ही स्वार्थ में।
ईश्वरीय शक्तियाँ भी हमें यह बात जतलाती हैं।।
[3]
उम्मीद की ऊर्जा से अंधेरें में भी रोशनी कर सकते हैं।
भीतर के उजाले से हम मन मस्तिष्क भर सकते हैं।।
जो कुछ करते हम दूसरों के लिये दुनिया में।
उसी सरोकार से ही हर दर्द पर हम लड़ सकते हैं।।
☆
© एस के कपूर “श्री हंस”
बरेली
मोब – 9897071046, 8218685464
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