श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी द्वारा आज प्रस्तुत है “मनोज के दोहे। आप प्रत्येक मंगलवार को श्री मनोज जी की भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकते हैं।
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मनोज साहित्य # 51 – मनोज के दोहे…. ☆
1 अक्षत
रोली-अक्षत का तिलक, लगा रहे प्रभु-शीश।
सुख वैभव बरसे सदा, कृपा करें जगदीश।।
2 अक्षर
सरस्वती आराधना, मंदिर अक्षर धाम।
ज्ञानार्जन की साधना, ज्ञानी करें प्रणाम।।
3 अंकुर
अंकुर निकसे धरा से, दिया जगत को ज्ञान।
यही हमारी मातु है, करें सभी गुणगान ।।
4 अंजन
आँखों में अंजन लगा, चली पिया के देश।
सपनों की दुनिया दिखे, बुला रहा परिवेश।।
5 अधीर
मानव हुआ अधीर अब, रामराज्य की आस।
दौर-विसंगति का बढ़ा, चुभी गले में फाँस ।।
संपर्क – 58 आशीष दीप, उत्तर मिलोनीगंज जबलपुर (मध्य प्रदेश)- 482002
मो 94258 62550
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
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