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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ साहित्य निकुंज #228 ☆ भावना के दोहे ☆ डॉ. भावना शुक्ल ☆

डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से  प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं भावना के दोहे)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  # 228 – साहित्य निकुंज ☆

☆ भावना के दोहे ☆ डॉ भावना शुक्ल ☆

मानुस गर्व न कीजियो, ऐसो कहत कबीर

कैसी विपदा आ पड़े, बनी जाये फ़क़ीर। 

*

हरि को भजना है हमें, हरि ही करे निदान।

हरि से मिलता है हमें, जीवन का वरदान  ।

*

 कभी प्रेम की बांसुरी, कभी सुरों का राग।

कभी पिया की रागनी, जीने का अनुराग ।

*

ब्रम्ह  आपके शब्द हुए,अर्थ हुई  तक़दीर।

वाक्य बनकर बस गए,दिल के हुये अमीर।

© डॉ भावना शुक्ल

सहसंपादक… प्राची

प्रतीक लॉरेल, J-1504, नोएडा सेक्टर – 120,  नोएडा (यू.पी )- 201307

मोब. 9278720311 ईमेल : [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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