Get Even More Visitors To Your Blog, Upgrade To A Business Listing >>

हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ इंद्रधनुष #209 ☆ बाल गीत – सबसे न्यारा उल्लू ☆ श्री संतोष नेमा “संतोष” ☆

श्री संतोष नेमा “संतोष”

(आदरणीय श्री संतोष नेमा जी  कवितायें, व्यंग्य, गजल, दोहे, मुक्तक आदि विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं. धार्मिक एवं सामाजिक संस्कार आपको विरासत में मिले हैं. आपके पिताजी स्वर्गीय देवी चरण नेमा जी ने कई भजन और आरतियाँ लिखीं थीं, जिनका प्रकाशन भी हुआ है. आप डाक विभाग से सेवानिवृत्त हैं. आपकी रचनाएँ राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित होती रहती हैं। आप  कई सम्मानों / पुरस्कारों से सम्मानित/अलंकृत हैं. “साप्ताहिक स्तम्भ – इंद्रधनुष” की अगली कड़ी में आज प्रस्तुत है एक बाल गीत – सबसे न्यारा उल्लू ।आप श्री संतोष नेमा जी  की रचनाएँ प्रत्येक शुक्रवार आत्मसात कर सकते हैं।)

☆ साहित्यिक स्तम्भ – इंद्रधनुष # 209 ☆

☆ बाल गीत – सबसे न्यारा उल्लू  ☆ श्री संतोष नेमा ☆

उल्लू    सबसे   न्यारा  है

जो लक्ष्मी का  दुलारा  है

उल्लू   सबसे    न्यारा  है

*

लगता  वो  भोला   भाला

रूप  जिसका  है  निराला

बाहन बन कर  लक्ष्मी का

लगता   सबको  प्यारा  है

*

रिपु ज्ञान  का इसे  समझो

हाथ दिखा कभी न उलझो

सबको   उल्लू  खूब   बना

फैलाते    अँधियारा      हैँ

*

पूजा   जो   इसकी  करता

वो  मति सब उसकी हरता

बोल कभी न भाते  इसके

चीख  के  उल्लू पुकारा  है

© संतोष  कुमार नेमा “संतोष”

वरिष्ठ लेखक एवं साहित्यकार

आलोकनगर, जबलपुर (म. प्र.) मो 7000361983, 9300101799

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

Please share your Post !

Shares

The post हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ इंद्रधनुष #209 ☆ बाल गीत – सबसे न्यारा उल्लू ☆ श्री संतोष नेमा “संतोष” ☆ appeared first on साहित्य एवं कला विमर्श.

Share the post

हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ इंद्रधनुष #209 ☆ बाल गीत – सबसे न्यारा उल्लू ☆ श्री संतोष नेमा “संतोष” ☆

×

Subscribe to ई-अभिव्यक्ति - साहित्य एवं कला विमर्श (हिन्दी/मराठी/अङ्ग्रेज़ी)

Get updates delivered right to your inbox!

Thank you for your subscription

×