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Prerak Prasang in Hindi Story / पढ़ें हिंदी कहानी चंचला भाग – २

Prerak Prasang in Hindi बाजार में भीड़ – भाड़ वाले स्थान पर हल-चल होती देखकर चंचला वहां पहुंची तो पता चला कि एक आदमी सड़क पर गिरा था।  पूछने पर पता चला कि उसका रुपए से भरा ‘ बटुआ ‘ किसी उचक्के ने चुरा लिया।

जिससे उस आदमी को दिल का दौरा आ गया और वह वहीँ गिर गया। ” आप लोग कुछ सहायता तो कर नहीं रहे, सिर्फ घेरा बनाकर खड़े रहने से कुछ नहीं होगा।  ” चंचला ने कहा।

Chhote Prerak Prasang 

” तो आप ही कुछ क्यूं नहीं करती।  ” एक अधेड़ सज्जन बोल उठे। ” हां मैं ही करुँगी।  आप लोग बस तमाशा देखो। ” चंचला ने कहा।

चंचला के प्रयास से वह आदमी उठकर बैठा  और फिर चंचला ने उसके द्वारा बताए हुए दिशा में दौड़ लगा दी। करीब पांच मिनट के बाद एक ‘ हट्टे – कट्टे ‘ आदमी के साथ लौटी  तथा पहले वाले आदमी के करीब ” पांच हजार ” रुपए  भी दिलवा दिए दिलवाये।

” आपने  ऐसा क्यूं किया भाई साहब। हमें इस समय रुपयों की बहुत आवश्यकता  थी।  ” पहले वाले आदमी ने कहा।

” मुझे क्षमा करें महाशय।  मैं एक निहायत ही गरीब आदमी हूँ और मुझे भी पैसों की आवश्यकता थी, इसलिए मैंने ऐसा किया।  मुझे क्षमा करें।  ” चोर ने कहा।

” ठीक है। आपको कितने पैसे चाहिए ? ” चंचला ने कहा।

इसपर चोर ने कहा, ” मुझे ५००० रुपये की आवश्यकता है।  मैं बहुत ही मुसीबत में हूँ। ”

” आप लोग अपनी आँखे बंद करें। ” चंचला ने कहा।

उसके बाद चंचला ने १००००  रुपये चोर को देते हुए कहा, ” तुम वादा करो कि तुम कभी चोरी नहीं करोगे।  ५००० रुपये तुम अपनी जरुरत के लिए खर्च करो और बाकी ५००० में कुछ बिजनेस करो। ”

” तुम्हारे पास इतने पैसे ? ” चोर ने कहा।

” आप आम खाओ, गुठली मत गिनो, लेकिन एक बात याद रखो अब कभी चोरी मत करना।  ” चंचला ने थोड़ा गुस्से से कहा।

भुवनेश्वरी कॉलेज का वार्षिकोत्सव नजदीक आ गया था। प्रिंसिपल से लेकर क्लर्क तक सभी उत्साह से अपने -अपने काम को पूर्ण करने में लगे थे और कॉलेज के लड़के और लड़कीयों के समूह अपने – अपने नेतृत्वकर्ताओं का आदेश मानते हुए स्कूल प्रबंधक का पूर्ण रुपेण सहयोग कर रहे थे।

अचानक से ईश्वरीय व्यवधान आ खड़ा हुआ,  जिसके फल स्वरुप बारिश के साथ तेज हवाएं चलने लगी। आज  ईश्वरीय व्यवधान का पांचवां दिन था और सातवें दिन ” वार्षिकोत्सव ” होना था।

प्रिंसिपल कनकलता गर्ग जो कि एक बहुत ही ” बिदुषी ” महिला थी। उस व्यवधान के समय भी अपने सहयोगियों के साथ एक बड़े से कक्ष में छात्र समूह के नेतृत्व के साथ बिचार – विमर्स में लीन थी। सामने यक्ष प्रश्न था  कि बरसात बंद होने पर इतनी जल्दी से सब तैयारी कैसे होगी।

क्लर्क रामाधीन चौधरी के माथे पर परेशानी के भाव  परिलक्षित होने लगे थे। तभी एक आदित्य वर्ण का लड़का बोला, ” श्रीमान  जी अगर आपकी आज्ञा हो तो मैं एक सुझाव  दे सकता हूं।  ”

” अवश्य विवेक तुम सुझाव दे सकते हो, पसंद आने पर उस पर अमल भी किया जाएगा। ” कनकलता ने कहा।

” श्रीमान यह  उत्सव  बड़े पैमाने पर होने वाला है। चूँकि प्रकृति – प्रदत्त व्यवधान उतपन्न हुआ है, इसलिए  हम इसे छोटा और भव्य कर सकते है।” विवेक ने कहा।

तभी बीच में रामाधीन चौधरी ने कहा, ” बात तो कुछ हद तक तो ठीक है, लेकिन यक्ष प्रश्न यह है कि पहले बारिश तो बंद हो। मौसम विभाग के अनुसार अभी २४ घंटे बहुत तेज बारिश होगी। ”

” बरसात  तो अभी दो घंटे के अंदर ही बंद होगी।  ” चंचला ने कहा।

” तुम्हें क्या मौसम विभाग की तरफ से सूचना मिली है ? ”  चौधरी थोड़ा नाराज होकर बोले।

” हमें इस कन्या की बातों को परखना  चाहिए। चौधरी साहब ” कनकलता गर्ग ने कहा।

उन्होनें चंचला के बारे में काफी सुन रखा था और वह भी ‘ चंचला ‘ की योग्यता को परखना चाहती थी और आश्चर्यजनक २ घंटे बाद बारिश अचानक से रुक गयी। सभी लोग बहुत ही आश्चर्यचकित थे।

” हमारा तुम्हे आहत करने इच्छा कदापि नहीं थी चंचला। सारी व्यवस्था हमें ही करनी है, इसलिए हमें थोड़ा अपने उपर ‘ बोझ ‘ जैसा अनुभव हो रहा था। ” चौधरी साहब थोड़ा  झेंपते हुए बोले।

” इस बोझ को आप विवेक, घनश्याम और चंचला को थोड़ा – थोड़ा बांट दीजिए। आपकी समस्या का समाधान हो जाएगा। ” कनकलता ने कहा।

”  थोड़ा ही क्यों  श्रीमान जी,  हम लोग पूरा बोझ उठाने के लिए तैयार है।  चौधरी सर हमारा मार्गदर्शन करें।  ”  विवेक और घनश्याम एक साथ कह उठे।

” मैं भी इसमें सहयोग करुँगी।  ” चंचला ने कहा।

इसपर कनकलता ने कहा, ” हाँ क्यों नहीं।  पुरे संसार में आप लोग देख लीजिए नारी शक्ति दिख जाएगी। कदाचित नारी शक्ति घर से लेकर देश – देशांतर तक व्यवस्था के मामले में पूर्ण रुपेण  सक्षम  है। ”

चंचला को ग्रुप लीडर बनाया गया। अगले दिन पुरे स्कूल में  चंचला ने सबको सबका काम समझा दिया। दूसरे दिन उत्सव था। ‘ भुवनेश्वरी ‘ कॉलेज के ” वार्षिकोत्सव ” में प्रदेश के बड़े – बड़े अधिकारीयों के साथ अन्य कॉलेज के प्राचार्य शिक्षक समूह के साथ – साथ मुख्यमंत्री को भी आमंत्रित किया गया था। सभी लोग पधार चुके थे।  मुख्यमंत्री का आना शेष था, क्योंकि दीप प्रज्वलित  उन्ही के  कर कमलों द्वारा प्रस्तवित  होना था।

समय खिसकता जा रहा था। कनकलता के माथे पर चिंता की लकीरें  साफ दिखाई दे रही थी। उन्होंने चंचला को सारी बातें बताई। उचित है, मैं आधे घंटे में आती हूँ।

कुछ  दूरी पर मुख्यमंत्री अपने सहयोगियों के साथ उस क्षेत्र के नागरिको द्वारा रोक लिए गए थे। पुलिस वालों का भी ” जन सैलाब ” के आगे बुरा हल था।

दरअसल में वहा चोरी की घटनाएं बढती जा रही थी और इसी बात का वहाँ की जनता विरोध कर रही थी और उन्हें जैसे ही यह बात पता चली कि क्षेत्र में मुख्यमंत्री जी आने वाले है तो उन्होंने विरोध तेज कर दिया।

किसी तरह से पुलिस ने रास्ता खाली करवाया और जनता को आश्वासन दिया कि अब ऐसी घटनाएं नहीं होंगी। ” आप जल्दी चलिए श्रीमा। भुवनेश्वरी कॉलेज में  व्यग्रता के साथ लोग आपकी आगवानी  के लिए आतुर हो रहे है। मैं वही से आ रही हूँ।  ” चंचला ने कहा।

” चालक ‘ जल्दी करिए – आप भी हमारे साथ आइए। ”   मुख्यमंत्री ने चंचला से कहा।  उसके बाद सभी जल्द ही कालेज पहुँच गए।

‘ दीप प्रज्वलित ‘ करने के उपरांत मुख्यमंत्री की नजरें चंचला को ढूंढ रही थी।  चंचला की बहादुरी की कहानियां उनके तक भी पहुँच चुकी थी।कुछ देर में चंचला स्टेज पर आयी और मुख्यमंत्री को धन्यवाद कहा।

इसपर मुख्यमंत्री जी ने कहा, ”  मुझे यह कहते हुए अपार हर्ष और गौरव की अनुभूति हो रही है कि इस कॉलेज का संचालन नारी शक्ति के मजबूत हाथों में हैऔर युवा शक्ति भी जोश से परिपूर्ण है। मैं ‘ भुवनेश्वरी ‘ कॉलेज की उन्नति के लिए और उज्वल भविष्य के लिए शुभ कामनाएं देता हूँ और साथ ही चंचला को भी शुभकामना देता हूँ कि आगे पढ़ – लिख कर राष्ट्र की उन्नति में सहभागी बने। ”

मुख्यमंत्री के मुख से सम्मान में कहे गए वाक्यों को सुनकर पूरा कॉलेज जैसे प्रफुल्लता अनुभव कर रहा था। मित्रों आपको यह Prerak Prasang in Hindi ( चंचला भाग – २ ) कैसा लगा जरूर बताएं और Prerak Prasang in Hindi With Moral की तरह की दूसरी कहानी के लिए ब्लॉग को सब्सक्राइब करना ना भूलें और Prerak Prasang in Hindi Written की तरह की दूसरी कहानी नीचे की लिंक पर पढ़ें।

१- पढ़ें हिंदी कहानी चंचला भाग – १ 

2- Swadeshi Prerak Prasang

3- Mahapurush ke Prerak Prasang

4-

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