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Hindi Kahani Shiksha Ke Sath / बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ हिंदी कहानी जरूर पढ़ें

Hindi Kahani Shiksha Ke Sath यह लड़की तो बहुत ही चतुराई  से अपना कार्य कर रही है। कही भी किसी जगह इसने गलती के लिए कोई संभावना ही नहीं छोड़ी है। ”  कला की शिक्षिका ने अपनी सहयोगी शिक्षिका मालिनी खन्ना से कहा।

यह लड़की है या कंप्यूटर , क्योंकि इसकी हर विषय में पारंगता है। शिवानी बोस जो जनार्दन कॉलेज में कला संकाय की वरिष्ठ शिक्षिका थी , उन्ही के सानिध्य में सभी छात्र – छात्राए अपने कला का विकास करते हुए अपने उज्वल भविष्य की ओर अग्रसर थे।

Hindi Mein Kahani Shiksha Ke Sath

” देखिए श्री जी  मैंने आप दोनों का वार्तालाप  करते हुए यह चित्र बनाया है। ” रक्ताभ वर्ण की लड़की  जिसका नाम कंचन था और वह कॉलेज से दो किलोमीटर पश्चिम मोहनपुर गांव में रविंद्र प्रजापति की ज्येष्ठ पुत्री थी ने वह चित्र दोनों शिक्षिकाओं के सामने रख दिया।

दोनों शिक्षिकाओं की नजर उस चित्र पर पड़ी तो दोनों ही  जड़वत  ही खड़ी  रह गई। आखिर में कंचन को ही बोलना पड़ा, ” श्री जी  कैसा है यह चित्र ? ”

” सुन्दर से अति सुंदरतम।  तुम हमारे कॉलेज की गौरव  हो और तुम्हारा भविष्य अति उज्वल है। तुम्हारे  उपर ” माँ सरस्वती ” की अपार ‘ अनुकम्पा ‘ की वर्षा हो रही है।   ” दोनों के मुख  से एक साथ निकला।

” माँ सरस्वती को तो हमने नहीं देखा …… लेकिन सरस्वती माँ के रुप में आपकी कृपा  हम सब पर जरुर बरस रही है। ” कंचन ने कहा।

शिवानी बोस हर वर्ष अपने कॉलेज से तीन छात्र – छात्राओं का कला संकाय से चयन करती और उन्हें प्रदेश स्तर पर सबसे उपर जब -तक ” स्वर्ण पदक ” नहीं मिलता उन्हें संतोष ही नहीं होता और यही उनका सबसे बड़ा पारितोषक  था।

उनका ध्येय  था कि छात्र – छात्राए जनार्दन कॉलेज से निकलने के बाद वह स्वावलंबी  हो और दूसरे लोगों को भी काम दे सके। इस उद्देश्य में वह अभी तक पूर्ण रुप से सफल थी।

वार्षिक परीक्षा की तैयारी जोर – शोर से चल रही थी। अपने कला के कक्ष में पहुंचकर  शिवानी बोस ने छात्र – छात्राओं को सम्बोधित करते हुए पूछा, ”  परीक्षा की तैयारी कैसी चल रही है ? ” सभी का सम्मिलित स्वर गूंजा, ” बहुत उचित ढंग से चल रही है। ”

” इस बार भी प्रादेशिक स्तर पर स्वर्ण पदक से  कम पर  संतुष्टि  नहीं होगी। ” शिवानी बोस ने कहा।

” हम उचित प्रयास करेंगे।  ” छात्रों ने कहा।

वार्षिक परीक्षा हो चुकी थी। आज परिणाम आने वाला था। जैसी सबकी आशा थी परिणाम उससे बढ़कर आया। कंचन को देश भर में कला ” स्पर्धा ” में पहला स्थान प्राप्त हुआ था।

यह सुचना जैसे ही जनार्दन कॉलेज में पहुंची तो वहां के सभी छात्र – छात्राए और पुरे कॉलेज के कर्मचारियों के साथ प्रधानचार्य राम गोपाल मिश्रा अत्यंत प्रसन्न हुए।

राम गोपाल मिश्रा के पास तो बधाइयों के  निरंतर सन्देश आ रहे थे और वह बहुत ही आह्लादित थे। देश की केंद्रीय टीम से जनार्दन कॉलेज के प्रधानचार्य को सूचित किया गया कि आपके कॉलेज की छात्रा को पुरे देश में  प्रथम स्थान प्राप्त करने के कारण गणतंत्र  दिवस पर सम्मानित किया जाएगा।

” शिवानी जी मैं आपका कैसे आभार व्यक्त करुं आप तो  साक्षात सरस्वती की प्रतिमूर्ती हैं। आपके निर्देशन में हमारे कॉलेज की छात्रा कंचन  को गणतंत्र दिवस पर शिक्षामंत्री द्वारा सम्मानित किया जाना है।  इससे हमारे कॉलेज की ‘ ख्याति ‘और बढ़ जाएगी। ” प्रधानाचार्य ने कहा।

गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर कंचन को सम्मानित किया गया।  अपने सम्बोधन में कंचन ने कहा, ” विद्या सबके लिए आवश्यक है।  हर किसी को जरूर ही पढ़ना चाहिए।  शिक्षा में कभी भी भेदभाव नहीं होना चाहिए।  आज भी हमारे देश में लड़कों की अपेक्षा लड़कियों की शिक्षा पर कम ध्यान दिया जाता है, जो कि उचित नहीं है।  कहा जाता है एक पुरुष शिक्षित होता है तो व्यक्ति शिक्षित होता है और एक महिला शिक्षित होती है तो परिवार शिक्षित होता है।  आईये आज प्रण ले बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ। “

सभी लोगों ने खूब ताली बजाई और कंचन को शिक्षामंत्री ने सम्मानित किया और शुभकामना दी। मित्रों यह Hindi Kahani Shiksha Ke Sath आपको कैसी लगी जरूर बताएं और Hindi Ki Kahani Shiksha Ke Sath की तरह की दूसरी कहानी के लिए इस ब्लॉग को सब्स्क्राइब जरूर करें और दूसरी कहानी नीचे की लिंक पर क्लिक करें।

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