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सच्ची कहानियाँ | Real-life Inspirational Stories in Hindi

ये प्रेरक कहानियां (Inspirational Stories in Hindi) आपको अपने सपनों का पालन करने, दूसरों के साथ दयालुता से पेश आने और खुद को कभी हार न मानने के लिए प्रोत्साहित करेंगी।

कहानियां जीवन के यादगार पलों को संवारने और जीवन के पाठ को समझने का एक अच्छा तरीका हैं।

कहानियां हमेशा छात्रों के लिए एक पसंदीदा होती हैं जो उनके प्यार और रुचि का आह्वान करती हैं। यह एक कारण है कि teachers इसे कई क्षेत्रों में motivate करने के लिए एक tool के रूप में उपयोग करते हैं।

इस लेख में एक अच्छी सीख के साथ कई सामान्य लोक कहानियां शामिल हैं, सफल व्यक्तियों के वास्तविक जीवन के उदाहरण जो उनकी जीवन यात्रा का हिस्सा रही हैं।

यहाँ हम कुछ Short Inspirational Stories in Hindi पर एक नज़र डाल सकते हैं जो छात्रों को कड़ी मेहनत करने और एक सफल जीवन के लिए अपनी नींव रखने में मदद करती हैं।

Real Life Inspirational Stories in Hindi

नैतिक पाठ के साथ ये बहुत छोटी प्रेरणादायक कहानियाँ (प्रेरक कहानियां) छात्रों के लिए एकदम सही हैं!

Table Of Contents
  • Real Life Inspirational Stories in Hindi
  • Inspirational Story #1 – ठोस निर्णय लें
  • Inspirational Story #2 – देने की प्रवृत्ति
  • Inspirational Story #3 – प्रेम संतुष्ट करता है
  • Inspirational Story #4 – स्नेहमयी व्यक्तित्व
  • अन्य Short Inspirational Stories in Hindi पढ़ें –

Inspirational Story #1 – ठोस निर्णय लें

Short Inspirational Stories in Hindi

पाँच वर्ष की अवस्था में बालक गुरुदत्त को पांधे के पास पढ़ने के लिए बैठाया गया। जैसे परिवारों में पुरोहित हैं, वैसे ही पांधे होते थे। लगभग छह मास तक गुरुदत्त अपने पांधे से केवल लुंडी के अक्षरों का ज्ञान ही प्राप्त कर सके, जबकि इसी अवधि में उनका एक मित्र अपने पांधे से पहाड़े भी सीख चुका था।

गुरुदत्त अपने पांधे की पढ़ाई से संतुष्ट नहीं था। अत: घर पर बिना बताए गुरुदत्त अपना पांधा बदल लिया और अपने मित्र के साथ उसके पांधे के पास पढ़ने जाने लगे। गुरुदत्त के पारिवारिक पांधे ने उनके पिताश्री से शिकायत कर दी कि आपका लड़का मेरे पास पढ़ने नहीं आता, तो उसी दिन जब गुरुदत्त पढ़कर आ रहे थे, उनसे पिताजी ने पूछा- “कहां से आ रहे हो?”

“पांधे से पढ़कर।”

“तुम वहां नहीं थे।”

“मैं दूसरे पांधे टकसाल वाले के पास पढ़ने जाता हूं। वह हमारे परिवार के पांधे से अच्छा पढाता है. मैं उनकी कृपा से जमा, बाकी तथा पहाड़े सब सीख गया हूं।”

“कब से जा रहे हो वहां?”

“दो माह से।”

“और उसने नजर (दक्षिणा) नहीं मांगी?”

“मांगी थी।”

“तो कहां से दी?”

मन कहा था कि मैं पिताजी से बिना पूछे पढ़ने आया हूं, जब कुछ सीख जाऊँगा, तब घर से लाकर दूंगा।”

अपने सर्वप्रथम गुरु का चयन स्वयं करने वाले गुरुदत्त आज महान उपन्यासकार के रूप में प्रसिद्ध हैं। गुरुदत्त ने कितना ठोस निर्णय लिया कि उसने उनकी जिंदगी ही बदल दी। पूत के पांव तो पालने में ही पहचान लिये जाते हैं।

जब गुरुदत्त ने अपने लिए योग्य शिक्षक की स्वयं तलाश कर ली तो घर वालों को तभी आभास हो गया था कि यह लड़का परिवार का नाम एक दिन जरूर गौरवान्वित करेगा. आगे चलकर गुरुदत्त महान् सिद्धांत प्रिय राजनीतिज्ञ और लोकप्रिय उपन्यासकार बने।

गुरुदत्त तो उस समय छोटा बच्चा था. लेकिन आप तो इस समय छोटे बच्चे नहीं हैं, फिर ठोस निर्णय लेने में क्यों विचलित होते हो, अरे भाई इतना ही हो सकता है कि सफलता से पहले एक-दो बार असफलता का मुंह देखना पड़ जायेगा, लेकिन उससे भी तो कुछ न कुछ शिक्षा ही मिलेगी। इसलिए जीवन में यदि सफल होना चाहते हो तो ठोस निर्णय लेकर कदम आगे बढ़ाते जाएं, फिर आपके कदमों को कोई नहीं रोक सकता।


Inspirational Story #2 – देने की प्रवृत्ति

लंदन में एंजेलेना नामक एक विधवा महिला थी। उसकी आर्थिक हालत अच्छी नहीं थी। उसने एक दिन बड़ी मुश्किल से दो ब्रेड अपने स्कूल में गये हुए अपने बच्चे के लिए जुगाड़ करके रखे और माथे पर हाथ रखकर बैठ गयी-“हाय! मैं कितनी गरीब हूं। बेटे को भरपूर भोजन भी नहीं करा सकती।”

लेकिन तभी अचानक उसके दरवाजे पर एक भिखारी आ गया-“मैडम! चार दिन से भूखा हूं। खाने के लिए कुछ हो तो दे दो, भगवान भला करेगा।”

एंजेलेना अपनी रसोई में गयी और उसने एक ब्रेड उठाया ही था कि उसके मन में ख्याल आया कि उस भूखे भिखारी का पेट एक ब्रेड से तो भरेगा नहीं, अत: उसने दोनों ब्रेड उठाए और भिखारी को देते हुए कहा-“लो बाबा! मेरे पास आपके खाने के लिए केवल इतना ही है।”

इतना कहकर उसे मन में इतना अपार संतोष हुआ कि वह यह भी भूल गयी कि उसने अपने पुत्र को निवाला भिखारी को दे दिया है। लेकिन सच्चाई यही है कि आज के आपाधापी युग में भी ऐसे ही व्यक्ति उन्नति के परम पथ पर आगे बढ़ पाते हैं, जो देने की प्रवृत्ति रखते हैं। इसलिए देने की प्रवृत्ति विकसित करें और लेने का भाव छोड़ दें। आप भली-भांति जानते हैं कि आपके पास जो कुछ है, वह यहीं से लिया है और यहीं पर छोड़कर जाना होगा, फिर व्यर्थ की आपाधापी क्यों?

आप जीत के मार्ग पर आगे बढ़ो, खूब उन्नति करो, लेकिन किसी दूसरे का मार्ग अवरुद्ध करके या किसी के सिर पर अपने पैर रखकर आसमान को छूने की कोशिश मत करो। अपना मार्ग खुद तलाश करो। जो लोग अपना मार्ग खुद तलाश करते हैं, ईश्वर भी उन्हीं की सहायता करता है।


Inspirational Story #3 – प्रेम संतुष्ट करता है

Real-life Inspirational Stories in Hindi

संत च्वांगत्सु तालाब के किनारे बैठकर मछली मार रहा होता है। सम्राट ने अपने मंत्री को भेजा और कहा सुनो, राजा चाहता है कि तुम आओ और प्रधान मंत्री बनो।

च्वांगत्सु बैठा रहा। उसने मछली से आंख भी नहीं हटाई। वह अपने कांटे को पकड़े हुए था। आढ़तियों को भी नहीं देखा। बस इतना कहा – “क्या आपको उस तट पर कछुआ दिखाई देता है? कीचड़ में, कछुआ अपनी पूंछ हिला रहा है, खुद का आनंद ले रहा है। कछुओं का मजा कीचड़ में है। क्या आप उस कछुए को देखते हैं?”

उन्होंने देखा और उन्होंने कहा, हमें कुछ भी समझ में नहीं आया, कछुए के साथ इसका क्या करना है?

तो च्वांगत्सु ने कहा, हमने सुना है कि सम्राट के महल में तीन हजार साल पुराने सोने में एक मृत कछुआ है। उसकी पूजा की जाती है। यह राज्य चिह्न है। मैं आपसे पूछता हूं कि यदि आप इस कछुए से कहेंगे कि महल में चल, तुम सोने में बदल जाओगे; तुम हजारों साल तक पूजे जाओगे; सम्राट तुम्हारे सामने झुकेंगे। तो यह कछुआ वहाँ जाना चाहेगा या अपनी पूंछ को कीचड़ में घुमाना चाहेगा?

उन आढ़तियों ने कहा कि कछुआ पूंछ को कीचड़ में घुमाना पसंद करेगा। मरने में क्या बात है? और सोना में चढ़ाया जाने का सार क्या है?

तो च्वांगत्सु ने कहा, जाओ। सम्राट को बताएं कि हम भी कीचड़ में पूंछ हिलाना पसंद करते हैं। जब कछुआ इतना बुद्धिमान होता है, तो क्या हम उससे ज्यादा मूर्ख होते हैं? हम अपने आनंद में मगन हैं! हमें आपके महलों, आपके सिंहासन, आपकी प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं है।

जो प्यार में खुश है उसे किसी और चीज की जरूरत नहीं है। प्रेम संतुष्ट करता है; दौड़ छूट जाती है। और वह जो महत्वाकांक्षा खो चुका है, उसका मन गिर जाता है। मन महत्वाकांक्षा है। जिसने अपनी महत्वाकांक्षा खो दी है, वह बिना मन के हो जाता है ।

बहुत दौड़ लिए हम सिंहासनों की दौड़ में, बहुत तरह के सोने से ढंके जा चुके हैं। और हर बार स्वर्ण ने कब्र बनाई। अब जागने का समय आ गया है।


Inspirational Story #4 – स्नेहमयी व्यक्तित्व

नार्वे की विख्यात लेखिका सिग्रिड अनसेट को नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था। जिस वक्त उन्हें पुरस्कार दिये जाने की घोषणा की गयी, उनसे भेंट करने के लिए बहुत-से पत्रकार उनके घर जा पहुंचे और अपने आने की सूचना दी।

वह घर के अंदर से निकली और विनम्रता के साथ बोली-“इस समय रात्रि में आप लोगों के यहाँ आने का कारण मैं समझ सकती हूँ। अभी-अभी मुझे भी तार द्वारा नोबेल पुरस्कार दिये जाने की सूचना मिली है, परन्तु खेद है कि मैं इस समय आप लोगों से कोई बात नहीं कर सकती।”

“क्यों भला?” – एक साथ कई पत्रकारों ने कहा।

क्योंकि मैं अपने बच्चे को सुला रही हूँ। यह उनके सोने का समय है। मुझे पुरस्कार पाने की खुशी तो है, पर उससे भी अधिक खुशी मुझे अपने बच्चे के साथ रहने और उनसे बातें करने में मिलती है। इसलिए क्षमा करें और कल सुबह आएँ।”

पत्रकार निराश तो जरूर थे, लेकिन एक माँ की खुशी और स्नेहमयी व्यक्तित्व से अभिभूत भी थे।

सिग्रिड अनसेट की तरह स्नेहमयी बनिये। कहने का मतलब यह है कि जीवन में सफल होने के लिए अपने बंधु-बांधवों को ठुकराना भी ठीक नहीं है। ऐसे कई व्यक्ति होते हैं, जो बड़े-बड़े पद प्राप्त कर लेते हैं, लेकिन जरा-सी ऊंचाई छूने के बाद वे अपने बूढ़े मां-बाप तक को भी भूल जाते हैं। ऐसे व्यक्ति के सफल होने से भला लाभ ही क्या?


दोस्तों, उम्मीद है कि आप इन Real-life Inspirational Stories in Hindi से कुछ सबक लेंगे और अपने जीवन में लागू करेंगे. हम कामना करते हैं कि आप सफल हो. यहाँ तक पढ़ने के लिए धन्यवाद.

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ईश्वरचन्द्र विद्यासागर के प्रेरक प्रसंग (2 प्रसंग)

  1. स्वावलम्बन
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  1. समर्पण की भावना
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हिंदी कहानियाँ (बच्चों की 8 कहानियाँ) –

  1. मुन्ना हुदहुद की जूती
  2. तैंतीस गधे
  3. गहनों का पेड़
  4. अब काहे के सौ
  5. सोने का निवाला
  6. जादुई फिरन
  7. मेवे की खीर
  8. सुनहरी तितली

सीख देने वाली कहानियाँ (13 नैतिक कहानियाँ) –

  1. अपनी आँखें खुली रखो
  2. चश्मा और एक गाँव वाला
  3. हवा और सूरज
  4. जैसी करनी वैसी भरनी
  5. चतुर बीरबल
  6. अंधी नक़ल बुरी है
  7. दो मेंढक
  8. गाना गाने वाला दरियाई घोडा
  9. चार पत्नियां
  10. लकड़ी का बर्तन
  11. सफेद गुलाब
  12. माणिक चोर
  13. पंखे वाली मछली

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