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लुग़ात-ए-फ़िक्री: वो अनूठा ‘शब्दकोश’ जो लफ़्ज़ों का कुछ अलग ही अर्थ बताता है

लुग़ात-ए-फ़िक्री, यानी फ़िक्र तोनस्वी का लिखा गया चंद पन्नों का ‘शब्दकोश’ अपने तौर की बहुत दिलचस्प और मज़ेदार तहरीर है। इसमें फ़िक्र ने हमारे दैनिक जीवन में प्रयोग किए जाने वाले शब्दों के अर्थ समाज की कड़वी हक़ीक़तों से बहुत क़रीब जा कर लिखे हैं। यहाँ लीडर का मतलब सिर्फ़ लीडर या राजनेता नहीं बल्कि वह है जो उसके व्यक्तित्व और उसके कारनामों से तय पाता है।

फ़िक्र तोनस्वी, जिनका अस्ल नाम राम लाल भाटिया था, उर्दू के विख्यात हास्य और व्यंग्य लेखक थे। 12 सितंबर 1987 को उनका निधन हुआ। फ़िक्र अपनी दीगर मज़ाहिया तहरीरों के साथ अपने अख़बारी कॉलम ‘प्याज़ के छिलके’ और विभाजन के समय के क़तल-ओ-ख़ून की रूदाद पर मुश्तमिल किताब ‘छटा दरिया’ के लिए जाने जाते हैं।

नीचे पेश की गई तहरीर फ़िक्र तोनस्वी की किताब ‘फ़िक्र-नामा’ से ली गई है। आप इसे पढ़ें, लुत्फ़-अंदोज़ हों, कुछ सीख हासिल करें और अगर किसी शब्द के बारे में आपका कोई ज़ाती ख़्याल हो तो कमेंट बॉक्स में लिख कर हमारे साथ साझा करें।

लुग़ात-ए-फ़िक्री

इलेक्शन: एक दंगल जो वोटरों और लीडरों के दरमियान होता है और जिसमें लीडर जीत जाते हैं, वोटर हार जाते हैं।

इलेक्शन पिटीशन: एक खम्बा जिसे हारी हुई बिल्ली नोचती है।

वोट: चियूंटी के पर, जो बरसात के मौसम में निकल आते हैं।

वोटर: आँख से गिर कर मिट्टी में रुला हुआ आँसू जिसे इलेक्शन के दौरान मोती समझ कर उठा लिया जाता है और इलेक्शन के बाद फिर मिट्टी में मिला दिया जाता है।

वोटर लिस्ट: जौहरी की दुकान पर लटकी हुई मोतियों की लड़ियाँ।

उम्मीदवार: बड़े-बड़े अक़लमंदों को भी बेवक़ूफ़ बनाने वाला अक़लमंद।

ज़र-ए-ज़मानत: कुवे में फेंकी हुई रक़म जो अक्सर डूब जाती है।

चुनावी  सभा: एक तम्बूरा जिस पर बेसुरे गाने गाये जाते हैं।

चुनावी घोषणापत्र: जिसमें बाद में तोड़ने के लिए वादे किए जाते हैं।

चुनावी भाषण: इलेक्शन के जंगल में गीडड़ों का नग़मा कि ‘मेरा बाप बादशाह था।’

चुनावी झण्डे: रंगा-रंग पतंगों की दुकान।

चुनावी पोस्टर: उम्मीदवार का शजरा-ए-नसब। उसके ख़ानदान की मुकम्मल तारीख़।

पोलिंग एजेंट: उम्मीदवार का चमचा।

इलेक्शन का ख़र्चा: जूए पर लगाई हुई नक़दी।

फ़िक्र तोनस्वी, जिनका अस्ल नाम राम लाल भाटिया था, उर्दू के विख्यात हास्य और व्यंग्य लेखक थे।

महबूबा: एक क़िस्म की गै़र-क़ानूनी बीवी।

बीवी: महबूबा का अंजाम।

इश्क़: ख़ुदकुशी करने से पहले की हालत।

रिश्तेदार: एक रस्सी जो टूट कर भी सिर पर लटकती रहती है।

दिल्ली: जहाँ मकान बड़े हैं इन्सान छोटे।

बंबई: एक मंदिर जहाँ से भगवान निकल गया है।

साईकिल: क्लर्क बाबू की दूसरी बीवी।

क्लर्क: एक गीदड़ जो शेर का जामा पहन कर कुर्सी पर बैठता है।

बूढ़े: दीवालिया दुकान के बाहर लटका हुआ पुराना साइनबोर्ड।

अवाम: चौपाल पर रखा हुआ एक हुक़्क़ा जिसे हर राहगीर आकर पीता है।

बीवी: महबूबा की बिगड़ी हुई शक्ल।

ख़ुदा: वहम और हक़ीक़त के दरमियान डोलता हुआ पेन्डुलम।

बेरोज़गारी: इज़्ज़त हासिल करने से पहले बेइज़्ज़ती का तजुर्बा।

क्रप्शन: एक ज़हर जिसे शहद की तरह मज़े ले-ले कर चाटा जाता है।

सियासत: पैसे वालों की अय्याशी और बिन पैसे वालों के गले का ढोल।

बीवी: एक लतीफ़ा जो बार-बार दोहराने से बासी हो जाता है।

सच्चाई: एक चोर जो डर के मारे बाहर नहीं निकलता।

झूट: एक फल जो देखने में हसीन है। खाने में लज़ीज़ है। लेकिन जिसे हज़म करना मुश्किल है।

लोकतंत्र: एक मंदिर जहां भगत लोग चढ़ावा चढ़ाते हैं और पुजारी खा जाते हैं।

सूद: दूसरों का भला करने के लिए एक बुराई।

ग़रीबी: एक कश्कोल जिसमें अमीर लोग पैसे फेंक कर अपने गुनाहों की तादाद कम करते हैं।

शायर: एक परिंदा जो उम्र-भर अपना गुम-शुदा (खोया हुआ) आशियाना ढूंढता रहता है।

लीडर: दूसरों के खेत में अपना बीज डाल कर फ़सल उगाने और बेच खाने वाला।

क़ब्रिस्तान: मुर्दा इन्सानों का हाल ) वर्तमान(, ज़िंदा इन्सानों का मुस्तक़बिल (भविष्य)।

उम्मीद: एक फूल जो कभी बंजर ज़मीन को ज़रख़ेज़ बना देता है और कभी ज़रख़ेज़ ज़मीन को बंजर।

ख़ुशामद: कमज़ोर की ताक़त और ताक़तवर की कमज़ोरी।

शराफ़त: एक ऐनक जिसे अंधे लगाते हैं।

तालीम: अनपढ़ लोगों को बेवक़ूफ़ बनाने का हथियार।

बहादुर: आग को पानी समझ कर पी जाने वाला कम-इल्म।

अंधेरा: शैतान का घर जिसे ख़ुदा अपने हाथ से तामीर करता है।

रसोई घर: गृहस्ती औरतों की राजधानी।

गृहस्ती औरत: गृहस्ती मर्द की गाड़ी का पैट्रोल पंप।

महल: झोंपड़ी के मुक़ाबले पर खींची हुई बड़ी लकीर।

छात्र: एक प्यासा जिसे समुंद्र में धक्का दे दिया जाता है और वो उम्र-भर डुबकियाँ खाता रहता है।

जेब-कतरा: एक शरारती छोकरा जो दूसरों की साईकिल में पिन चुभोकर उस की हवा निकाल देता है और भाग जाता है।

सड़क: एक रास्ता जो जन्नत को भी जाता है और जहन्नुम को भी।

जन्नत: एक ख़्वाब।

जहन्नुम: इस ख़्वाब की ताबीर।

पैसा: एक छिपकली जो इन्सान के मुँह में आ गई है। और अब उसे खाए तो कोढ़ी, छोड़े तो कलंकी।

दरिया: जिसके किनारे घर बनाओ तो उसे जोश आ जाता है और घर को बहा ले जाता है। लेकिन अगर इसमें डूबने के लिए जाओ तो हमेशा सूखा मिलता है।

ख़ुदकुशी: जायज़ चीज़ का नाजायज़ इस्तिमाल।

कुर्सी: जिस पर बैठ कर अक़लमंद आदमी बेवक़ूफ़ बन जाता है।

नेकी: जिसे पहले ज़माने में लोग दरिया में डाल देते थे। आजकल मंडी में बराए फ़रोख़्त (बेचने के लिए) भेज देते हैं।

ये तहरीर फ़िक्र तोनस्वी की किताब ‘फ़िक्र-नामा’ से ली गई है।

अख़बार: एक फल जो सुकून के लिए खाया जाता है। मगर खाते ही बेचैनी पैदा कर देता है।

मय-गुसार (शराबी): रात का शहंशाह, सुबह का फ़क़ीर।

तवाइफ़: डिस्पोज़ल का माल जिसे औने-पौने दाम पर नीलाम कर के बेच दिया जाता है।

ख़ुदा: इन्सान की वो कमज़ोरी जिससे वो ताक़त हासिल करता है।

मेहमान: जिसके आने पर ख़ुशी और जाने पर और ज़्यादा ख़ुशी होती है।

ड़ॉक्टर: जो बीमारों से हंस-हंस कर बातें करता है मगर तंदरुस्तों को देखकर मुँह फेर लेता है।

जज: इन्साफ़ करने में आज़ाद मगर क़ानून का ग़ुलाम।

गवाह: झूट और सच्च के दरमियान लटकता हुआ पेन्डुलम।

कोशिश: अंधेरे में तीर चलाना। लग जाये तो वाह वाह, चूक जाये तो आह आह।

अंधेरा: बिजली कंपनी का सिर दर्द।

बिजली: चोरों का सिर दर्द।

चोर: एक जेब का माल दूसरी जेब में मुंतक़िल करने वाला आर्टिस्ट।

अंजान: जो वो चीज़ें ना जानता हो, जिन्हें जानने से दुख पैदा होते हैं।

उस्ताद: बेवक़ूफ़ों को अक़लमंद बनाकर अपने दुश्मन बनाने वाला बेवक़ूफ़।

कूड़ा कर्कट: इस्तेमाल शूदा चीज़ों का जनाज़ा।

कमज़ोरी: एक मुर्दा जिस पर ज़िंदा लोग हमला कर देते हैं और बड़े ख़ुश होते हैं।

क़त्ल: आँखों वालों की अंधी हरकत।

मकान: चिड़ियों, मक्खियों और इन्सानों का मुश्तर्का (साझा) रैन-बसेरा।

मुफ़्लिस: जो अगर मौजूद ना हो तो अहल-ए-दौलत ख़ुदकुशी कर लें।

लफ़्ज़: जो मुँह से अदा हो जाए तो बाहर जंग छिड़ जाये, अदा ना हो सके तो अंदर जंग छिड़ जाये।

मरीज़: जिसके बलबूते पर दुनिया-भर की मेडिकल कंपनियाँ चलती हैं।

क़ब्रिस्तान: लाशों का सोशलिस्ट स्टेट।

बदसूरत औरत: हसीनाओं को परखने का आला।

आदम: ख़ुदा की वो ग़लती जिसे वो आज तक ठीक नहीं कर सका।

ग़लती: माफ़ कर देने वालों के लिए एक नादिर (दुर्लभ) मौक़ा।

सरमाया-दार (पूंजीवादी): दूसरों की कतरनों से अपने लिए पतलून तैयार करने वाला एक माहिर टेलर मास्टर।

अमन: वह्शी लोगों की नींद का ज़माना।

बकरी: जिसकी अक़्ल ज़्यादा है दूध कम।

नंगा: टेक्सटाइल मिलों का मज़ाक़ उड़ाने वाला।

मक़रूज़: एक शहंशाह जो दूसरों की कमाई पर ऐश करता है।

हुकूमत: काँटों का ताज जिसे हर गंजा पहनना चाहता है।

अक़्ल: मुहब्बत और ख़ुलूस का क़ब्रिस्तान।

बेवक़ूफ़ी: एक ख़ज़ाना जो कभी ख़ाली नहीं होता।

विवाह: इश्क़ का अंजाम, बच्चों का आग़ाज़।

दिल: एक क़ब्र जिसके नीचे अक्सर ज़िंदा मुर्दे दफ़न कर दिए जाते हैं।

दिमाग़: शैतान और ख़ुदा दोनों का मुश्तरका (साझे का) घर।

पाँव: जो दूसरों को ठोकर मारता है, ख़ुद ठोकर खाता है।

काग़ज़: कोरा हो तो बे-ज़रर, लिखा जाये तो ज़रर-रसाँ।

ख़ुश-क़िस्मत: एक लाठी जो जिसके हाथ लग जाये उसी की हो जाती है।

विदेशी क़र्ज़: एक डायन जो बच्चे पैदा करती है, उन्हें खिलाती और पालती-पोस्ती है। और फिर ख़ुद ही उन्हें खा जाती है।

हिल स्टेशन: सेहत-मंद मरीज़ों का अस्पताल।

पेशकश: हुसैन अयाज़



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