Get Even More Visitors To Your Blog, Upgrade To A Business Listing >>

चलो आज मिल कर

” चलो आज मिल कर ,
कुछ दर्द छान लेते हैं ।
ये जो टूट के बिखरे हैं ,
उन रिश्तों कि वजह जान लेते हैं ।
ये जो गलियों से निकल कर ,
सड़क हो गए थे ।
चौराहे पर इन रिश्तों से ,
एक पल की ही सही ” लाल बत्ती ” की भीख मांग लेते हैं ।
चलो आज मिल कर ,
कुछ दर्द छान लेते हैं ।
बात कुछ भी नहीं थी ,
मगर एक कहानी बन गई ,
चलो बातों बातों में इस बात को टाल देते हैं ,
चलो आज मिल कर ,
कुछ दर्द छान लेते हैं ।
वो जो बस ठहरा था बीता कहां था ,
वक़्त की उस बर्फ को चलो आज ,
अपनी हथेली कि गर्माहट देते हैं ।
चलो आज मिल कर ,
कुछ दर्द छान लेते हैं ।
जाने कबसे कुछ करवटें पीठ दिए जो सोई हुई हैं ,
चलो गलतफहमी की उस चादर एक बार झाड़ देते हैं ,
चलो आज मिल कर ,
कुछ दर्द छान लेते हैं ।
मेरे ” मैं ” से जो पूछते आए हो तुम उसके होने की वजह ,
चलो कुछ पलों को ये ” मैं” का मुखौटा उतार देते हैं ,
चलो आज मिल कर ,
कुछ दर्द छान लेते हैं ।
ऐसे ना सही वैसे ही गुजर जाती जिंदगी ,
एक बार चलो कशमकश की हवाओं के बिना सांस लेते हैं ,
चलो आज मिल कर ,
कुछ दर्द छान लेते हैं ।
जरूरी तो नहीं हर बात के लिए कोई बात की जाए
 एक बार ही सही इस बात को टाल देते हैं ,
चलो आज मिल कर ,
कुछ दर्द छान लेते हैं ।
उम्मीदों में भटक रही ये कोई जिंदगी तो नहीं ,
चलो इसकी बैसाखियां एक बार हवाओं में उछाल देते हैं ।
चलो आज मिल कर ,
कुछ दर्द छान लेते हैं ।

Hindi Poetry by Nikhil Kapoor
Blog: Lamhe Zindagi Ke

Social Media Links
Facebook
Instagram
Youtube

The post चलो आज मिल कर appeared first on लम्हे ज़िंदगी के | Hindi Poetry.



This post first appeared on Lamhe Zindagi Ke - Hindi Poetry, please read the originial post: here

Share the post

चलो आज मिल कर

×

Subscribe to Lamhe Zindagi Ke - Hindi Poetry

Get updates delivered right to your inbox!

Thank you for your subscription

×