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दोस्ती

” दोस्ती ,
एक कमजोर पंखों वाली चिड़िया है ,
जो कभी भी उड़ कर दूर नहीं जाती है ,
आस पास ही कहीं फुदकती रहती है ,
बस कभी कभी कांधे पर बैठ ,
दिल के थाल से दर्द के दाने चुग लेती है ।
कमजोर पंखों वाली ये चिड़िया ,
तिनका तिनका यादें जोड़ती है ,
लम्हा लम्हा साथ मिलाती है ,
मगर रिश्तों किताब पर कभी ,
अपना हक नहीं जमाती है ,
बस धीरे धीरे जिंदगी की किताब के ,
हर पन्ने के कोने चुग जाती है ।
कमजोर पंखों वाली ये ,
चिड़िया ,
नर या मादा नहीं होती ,
इसकी कोख कोई रिश्ता नहीं जनती ,
फिर भी हर खूबसूरत रिश्ते में ,
इसके पंखों की फरफराहट सुनाई देती है ,
कितना भी करीब क्यूं न आ जाए ,
ये पत्थरों के घर में ,
उम्मीदों का कोई अंडा नहीं देती है ।
कमजोर पंखों वाली ये ,
चिड़िया कई बार मुंडेर पर बैठी बैठी धूप मेंतप जाती है ,
मगर कूलर ,
पंखे से ठंडे हुए कमरे में कभी भी नहीं जाती है ,
क्यूंकि वहां बातों का एक पंखा चलता है ,
जिसके खुद के पंख बंधे हुए होते है ,
मगर उसने छोटी छोटी उड़ान वाली ,
इस चिड़िया के पंख कतरने होते हैं ।
धब्बा धब्बा दीवार पर फैली चोंच खोल बची सांसे को खींचती ,
पलटती हुई आंखों से बस यही बोलती ,
अभी तक तुझसे बाहर बाहर ही मिलती थी ,
घबरा मत अब तेरे भीतर मैं याद का एक घोंसला बनाती हूं ।
कमजोर पंखों वाली सही ,
तुझे उड़ने को अपने पंख दे जाती हूं ।
कमजोर पंखों वाली ये ,
चिड़िया ।

Hindi Poetry by Nikhil Kapoor
Blog: Lamhe Zindagi Ke


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