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लगा था मुझे भी के तू अप्सरा है …

परिंदों ने आ कर कहा सब हरा है.
गगन से भी ऊँचा गगन दूसरा है.


उजाला कहाँ ले के आते हैं जुगनू,
चमकना ही उनका उमीदों भरा है.

मेरा नाम आया तो शर्मां गई तुम,
सरे-आम महफ़िल में ये तप्सरा है.

न हम तुम, न ये इश्क़, बदनाम होता,
निगाहों से पूछो ये क्या माजरा है.

गुलाबी गुलाबी तो हो इश्क़ में तुम,
दुपट्टा मगर क्यों अभी तक हरा है.

अभी इश्क़ में थे, अभी बे-रुखी क्यों,
अदा है या कोई नया पैंतरा है.

तेरा साथ क़िस्मत में जब तक नहीं था,
लगा था मुझे भी के तू अप्सरा है.



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