परिंदों ने आ कर कहा सब हरा है.
गगन से भी ऊँचा गगन दूसरा है.
उजाला कहाँ ले के आते हैं जुगनू,
चमकना ही उनका उमीदों भरा है.
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मेरा नाम आया तो शर्मां गई तुम,
सरे-आम महफ़िल में ये तप्सरा है.
न हम तुम, न ये इश्क़, बदनाम होता,
निगाहों से पूछो ये क्या माजरा है.
गुलाबी गुलाबी तो हो इश्क़ में तुम,
दुपट्टा मगर क्यों अभी तक हरा है.
अभी इश्क़ में थे, अभी बे-रुखी क्यों,
अदा है या कोई नया पैंतरा है.
तेरा साथ क़िस्मत में जब तक नहीं था,
लगा था मुझे भी के तू अप्सरा है.
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