जाएँगे हम मगर इस क़दर जाएँगे.
रख के सब की ख़बर बे-ख़बर जाएँगे.
धूप चेहरे पे मल-मल के मिलते हो क्यों,
मोम के जिस्म वाले तो डर जाएँगे.
हुस्न की बात का क्या बुरा मानना,
बात कर के भी अक्सर मुक़र जाएँगे.
वक़्त की क़ैद में बर्फ़ सी ज़िंदगी,
क़तरा-क़तरा पिघल कर बिखर जाएँगे.
तितलियों से है गठ-जोड़ अपना सनम,
एक दिन छत पे तेरी उतर जाएँगे.
ज़िंदगी रेलगाड़ी है हम-तुम सभी,
उम्र की पटरियों पर गुज़र जाएँगे.
शब की पुड़िया से चिड़िया शफक़ ले उड़ी,
लौट कर अब अँधेरे भी घर जाएँगे.
This post first appeared on सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨ मेरे ..., please read the originial post: here