अब जो बचे हैं
कुछ आखरी पल,
उन में भर लो हमें बाहों में
या कह दो जा निकल
मुझे तेरी ज़रूरत नही.....
अब जीवन की राहों में....
चला जाऊंगा चुपचाप खामोश
लौट के न आऊंगा फिर कभी...
जितना भी हूं जैसा भी हूं
और सामने हूँ...मैं अभी...
कल न होगी कोई ऐसी सुबह
जिसमें हम देखेगें तुम्हे
और तुम देखोगे हमें....
संग होगी कुछ मेरी यादों की परछाई...
जिसमें लेंगी कुछ अनकही बातें अंगड़ाई...
भिंगेगी पलकें
सूखेगी सांसे...
और फिर संग तन्हाई रह जायेगी....
हम तो न होंगे उसमें
लेकिन तुम्हारे जीवन की राहों में
एक नई महफ़िल आएगी....
फिर वो पल होगा तुम्हारा
न चलेगा उसपे कोई बस हमारा...
रखना अपनी यादों में जिंदा
या कर देना फना.....
अब जो बचे हैं
कुछ आखरी पल,
उन में भर लो हमें बाहों में
या कह दो जा निकल
मुझे तेरी ज़रूरत नही.....
अब जीवन की राहों में....
अभिषेक प्रताप सिंह