वर्षो से हो रही थी बारिष
पर भींगा न कभी ये जहां,
एक बार जो हंस दिया वर्षा ने
तो खुशिओं की बारिष में
भींगने लगा ये जहां।।
मालूम नही कब मिलेगी
वो हंसती और कहाँ
नही है कोई पता
फिर भी ढूढे बस वर्षा को ही
हर शख्स खामखाँ।
कह दो सबसे
उसकी हंसी बहुत कीमती है
वो हर पल खूबसूरती की
रौशनी में भींगती है
तो मिलना तो दूर
एक झलक पाना भी मुश्किल है
मत होना कोई उसके लिए पागल
बड़ा प्यारा उसका दिल है
जो मिलने से रहा तुमको
क्योंकि तुम हो ही नही वहां
जहां उसके ख्वाबों की महफ़िल है।।