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उम्मीद छह : पटाखों में जली टीना, पापा ने खाई यह कसम

वो कहते हैं न पैसा बहुत कुछ तो हो सकता है लेकिन सब कुछ नहीं| इस दीवाली चेतावनियों के बावजूद टीना ने अकेले पटाखा फोड़ा और हादसे का शिकार हो गई| अब वह अस्पताल में है| भरा-पुरा परिवार है इस किशोरी का| नौकर-चाकर| मम्मी-पापा| बड़ा भाई भी लेकिन पैसा देने के बाद शायद सब निश्चिंत हो गए और हो गया हादसा| किसी ने भी यह देखने-समझने की कोशिश भी नहीं की कि बिटिया रानी कौन से पटाखे लेकर आई है| यह काम हुआ होता तो संभव है कि हादसे से बचा जा सकता था|
दिनेश पाठक

हादसे की जानकारी मिलने के बाद से ही सुरभि ने कुछ खाया-पीया नहीं| वह अस्पताल में अपनी दोस्त के साथ डटी हुई है| सब लोग अस्पताल से घर के बीच चक्कर लगा रहे हैं लेकिन सुरभि नहीं| इस मसले पर वह किसी की सुनने को भी तैयार नहीं है| उसे अफ़सोस इस बात का है कि आखिर वह अपनी टीना को इस हादसे से क्यों नहीं बचा पाई? बुदबुदा रही थी-मैंने टीना से कहा भी था कि पटाखे अकेले नहीं फोड़ना लेकिन नहीं वह भला क्यों मेरी सुनने लगी| टीना के पापा ने भी पटाखा अकेले न फोड़ने की सलाह दी थी लेकिन मौके पर वे खुद नहीं थे| बड़े आदमी हैं तो उनके अनेक कमिटमेंट रहे होंगे| मिठाइयाँ, ड्राईफ्रूट, मंहगे तोहफे नेताओं, अफसरों को देने रहे होंगे| भाई दोस्तों के साथ था| नौकरों को माँ ने अपने पास बुला लिया था| त्यौहार का घर था तो काम भी ज्यादा था| मतलब सब कुछ महत्वपूर्ण था अलावा इसके कि 12-13 वर्ष की बेटी को समय देने के| ऊपर से ढेर सारे पटाखे दिला दिए गए| अब उसके शरीर में ऊपर से नीचे तक सफ़ेद पट्टियाँ बंधी हुई हैं|
जब ये खुलेंगी तो पता नहीं कैसा रूप स्वरुप निखर कर आएगा टीना का| यह सभी की चिंता में हैं| अवाक तकलीफ में तो रामू काका भी हैं| हादसे से तनिक देर पहले ही मेम साहब के बुलावे पर वे टीना बिटिया का साथ छोड़कर रसोई में गए थे| इस हादसे ने कई घरों की दीवाली ख़राब कर दी| सुरभि, उसकी मम्मी, रामू काका, ड्राइवर श्याम, गार्ड्स सबके गिफ्ट जहाँ के तहां रह गए| सब टीना के स्वस्थ होने की कामना कर रहे हैं| हादसे के 48 घंटे बाद जब सुरभि को यह पता चल गया कि अब टीना खतरे से बाहर है तब वह घर जाने को तैयार हुई| रात में खाना भी खाया और उसे नींद भी आई| सुबह उठते ही फिर भाग चली अस्पताल| टीना के चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट ने सुरभि को खुश कर दिया| अभी टीना कुछ दिन और अस्पताल में रहने वाली हैं|

धीरे धीरे वहाँ की भीड़ भी कम हो रही है| हाँ, मम्मी-पापा जरुर प्यारी बिटिया के पास बारी-बारी रुक रहे हैं| दोनों को बहुत अफ़सोस है अपने किए पर| वे हर आने-जाने वाले अपनों से कहते नहीं थकते-मैंने कहा था कि टीना को कि अकेले पटाखा नहीं जलाना लेकिन मैं खुद रात में देर से घर लौटा| चारों और पटाखे की आवाज सुन मेरी बच्ची मेरा इंतजार करती रही| फोन भी किया उसने लेकिन मैं उठा नहीं पाया| घर पहुँचा ही था कि हादसा हो गया| वे कहते हैं कि प्रभु किसी तरह मेरी बच्ची को ठीक कर दें| बाकी सब मैं झेल लूँगा| उन्होंने कसम खा ली हैं कि अबसे वे पटाखे का विरोध भी करेंगे| न खरीदेंगे न ही किसी को प्रेरित करेंगे| टीना बिटिया को इसका ब्रांड एम्बेसडर बनाएँगे| उन्हें उम्मीद है कि जब टीना बिटिया ठीक होने के बाद लोगों से ख़ास तौर से अपनी उम्र के बच्चों से पटाखे के दुष्प्रभाव की बात कहेगी, तो काफी फरक पड़ेगा| वे चाहते हैं कि जो तकलीफ़ टीना को हुई, वह किसी भी बच्चे को न हो, न ही उनके मम्मी-पापा को हो| सुरभि ने अंकल से गुजारिश की है कि वह भी इस अभियान का हिस्सा बनना चाहेगी टीना के साथ| इसके लिए टीना के पापा सहज तैयार भी हो गए| टीना के पापा ने खुद तो कसम खाई ही है, उनकी अपील है कि मुश्किलें कितनी भी आएँ लेकिन सभी पैरेंट्स अपने बच्चों को समय जरुर दें| इसके अनेक फायदे हैं| अब वे भी जान गए हैं| सुरक्षित बच्चे, सुरक्षित परिवार| हमें उम्मीद है कि टीना के पापा की अपील का असर होगा और पैरेंट्स अपने बच्चों को समय जरुर देंगे| आमीन!

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