गणेश शंकर विद्यार्थी जी देश के समाचार पत्रों के सिरों पर लटकाने के लिए एक और कृपाण की धार तेज की जा रही है. प्रेस एक्ट की जकड़न थोड़ी न थी, और शांति के परम सौभाग्य से, 'अशांति के फ़ैलाने वाले' समाचार पत्रों का गला घोंटने के लिए अन्य कानूनों की कमी नहीं, लेकिन, सरकार ने अपने इन शस्त्रों में एक की और वृद्धि करना आवश्यक समझा है. प्रेस एक्ट द्वारा धन की मार पड़ती है. इस जबरदस्त मार के सामने अन्य
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