चल रहने दे सब जमीन की बातें
कभी तो कोशिश कर थोड़ा सा आसमान लिख दे
कभी तो कोशिश कर थोड़ा सा आसमान लिख दे
लिखते लिखते घिस चुकी सोच
छोड़ एक दिन बिना सोचे पूरा एक बागवान लिख दे
छोड़ एक दिन बिना सोचे पूरा एक बागवान लिख दे
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ला लिखेगा जमा किया महीने भर का
जैसे एक दिन में कोई पूरा कूड़ेदान लिख दे
जैसे एक दिन में कोई पूरा कूड़ेदान लिख दे
किसलिये करनी है इतनी मेहनत
कौन कहता है तुझसे चल एक बियाबान लिख दे
सबको लिखना है सबको आता है लिखना
तू अपना लिख पूरा इमतिहान लिख दे
किसने बूझना है लिखे को किसे समझना है
आधा लिख चाहे पूरा दीवान लिख दे
होता रहा है होता रहेगा आना जाना यहां भी वहां भी
रास्ते रास्ते निशान लिख दे
तू ना सही कोई और शायद कर ले कोशिश लौटने की फिर यहीं
खाली उनवान लिख दे
आदत है तो है मगर ठीक नही है लिखना इस तरह से खीच कर
पूरी लम्बी एक जुबान लिख दे
निकले कुछ तो मतलब कभी लिखे का तेरे ‘उलूक’
मत लिखा कर इस तरह कि दुकान लिख दे
चित्र साभार: https://www.indiamart.com/