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कुछ अहसास होना मजबूरी है कविता खूबसूरत शब्द है बकवास जरूरी है जी भर कर भौंकना चाहता हूँ


लिख लिया जाये कहीं किसी कागज में एक खयाल
बस थोड़ी देर के लिये उसे रोकना चाहता हूँ
ना कागज होता है कहीं ना कलम होती है हाथ में
यूँ ही सब भूल जाने के लिये भूलना चाहता हूँ

ख्वाहिशें होती हैं बहुत होती हैं
इधर से लेकर उधर तक होती हैं
उनमें से कुछ समेटना चाहता हूँ
तरतीब से लगाने में ख्वाहिशों को पूरी हो गयी जिंदगी
उधड़े हुऐ में से गिरी ख्वाहिशों को लपेटना चाहता हूँ

सच और सच्चाई बहुत पढ़ लिया छपा छपाया
कुछ अधलिखी किताबों को अब ढूँढना चाहता हूँ
झूठ के पैर ही पैर देखे हैं एक नहीं हैं कई हैं इफरात से हैं
अब बस उन्हीं में लोटना चाहता हूँ

उसकी चौखट पर सुना है बड़ी भीड़ है
दो गज की दूरी से उसपर बहुत कुछ चीखना चाहता हूँ
उसका ही किया कराया है सब कुछ
उसी के बादलों की बारिश में जी भर कर भीगना चाहता हूँ

खोदने में लगा हूँ कबर कुछ शब्दों की
मतलब मरा मिलाता है जिनका
शब्दकोश में देखना चाहता हूँ
लगे हैं कत्ल करने में शब्द दर शब्द हर तरफ शब्दों का बेरहमी से
रुक भी लें 
मैं घुटने टेकना चाहता हूँ

लिखने वाले कुछ अलग पढ़ने वाले कुछ अलग
लिखने पढ‌ने वाले कुछ अलग से लगें
किताबें बेचना चाहता हूँ
कुछ तो लगाम लगा अपनी चाहतों पर ‘उलूक’
सम्भव नहीं है सोच लेना सब तो हो लिया
अब खुदा हो लेना चाहता हूँ

चित्र साभार: https://friendlystock.com/product/german-shepherd-dog-barking/


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