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एक चोर का डैमेज कंट्रोल वाह वाही चाहता है अखबार उसकी एक पुरानी खबर के बाद बस चुप हो जाता है


बहुत हो गया है
कूड़ा
हो ही जाता है

कूड़े का डिब्बा
गले गले तक भर जाता है

होना
कुछ नहीं होता है
पता होता है
फुसफुसाने में
सब खो जाता है

बड़ी खबर
किसने कह दिया
आपके सोचने से होगी

आदमी देख कर
खबर का खाँचा
बनाया जाता है

प्रश्न
प्रश्न होता है
क्या होता है
अगर किसी को
बता दिया जाता है
किसने बताया
किसको बताया
किसलिये पूछना चाहता है

जहाँ
कुछ नहीँ होना होता है
वहाँ एक कबूतर
हवा में उड़ा दिया जाता है

सजा
जरूरी होती है
मिलती भी है उसे
जिसको
पूछने की आदत के लिये
तमगा कभी दिया जाता है

शरीफ और नंगे का अंतर
बहुत बारीक है

जमाना
किसे आगे देखना चाहता है

अभी अभी
देख कर उड़ा है ‘उलूक’
कुछ मुँह छुपा कर अपना

जो हुआ है
सब को पता है
जीत किसकी हुई
चोर चोर मौसेरे
घूँम रहे हैँ खुले आम

एक शरीफ अपना मुँह
चुल्लू मेँ
डुबाना चाहता है ।

चित्र साभार: http://www.onlineaudiostories.com/


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