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शुभकामनाएं पर्व दीपावली पटाखे फुलझड़ी भी नहीं



कुछ रोशनी की
करनी हैं बातें
और
कुछ भी नहीं

दीवाली अलग है
इस बार की
पहले जैसे अब नहीं

अंधेरा
अब कहीं
होता ही नहीं
जिक्र करना भी नहीं

उजाले
लिख दिये जायें बस
दीयों की
जरूरत नहीं

बोल रोशनी हुऐ
लब दिये
तेल की
कुछ कमी नहीं

सूरज उतर आया
जमीं पर
मत कह देना
नहीं नहीं

चाँद तारे
सभी पीछे उसके
एक तेरा
कुछ पता नहीं

आँख
बंद कर
अंधेरा
सोचने से अब
कुछ होना नहीं

शुभकामनाएं
पर्व दीपावली
पटाखे
फुलझड़ी भी नहीं

खाली जेब
सब रोशनी से
लबालब भरी

‘उलूक’ 
हाँ हाँ ही सही

नहीं नहीं
जरा सा भी
ठीक नहीं। 
चित्र साभार: http://www.clipartpanda.com


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