लगता हैजैसे इस मतलबी दुनिया मेंअपने भूतऔर भविष्य को भूल करसिर्फ वर्तमान को ढो रहे हैंगहरी नींद के आगोश मेंहम सब सो रहे हैं।नहीं मतलब इससे कि क्या हो रहा है-क्या नहीं सिरहाने तकिये में दबे सपने खो रहे हैं गहरी नींद के आगोश मेंहम सब सो रहे हैं।यह और बात है कि दिन भले शवाब पर हो निहत्थे दरख्त भी हर सू रो रहे हैं गहरी नींद के आगोश मेंहम सब सो रहे हैं