मन के भीतर की उथल पुथल लिखूं या टूटे दिल के राज़ लिखूंउड़ते उड़ते जो गिर पड़ाक्या उसकी परवाज़ लिखूंकिस देहरी पर अल्फाज़ लिखूं?जिसको अपना माना समझाउसके दिए ऐसे दिनों मेंक्या अपना पल छिन गिनूंया इसी एकांत वास मेंलौट आती आवाज़ बनूंकिस देहरी पर अल्फाज़ लिखूं?दूर श्मशान से उठते धुंए मेंअपनी चिता मैं आप बनूंया बची हुई राख मेंफिर किसी का राज़ रखूंकिस देहरी पर अल्फाज़ लिखूं?यशवन्त माथुर09