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मौलाना रूम की आजमाइश शम्स तबरेजी

 मौलाना रूम की आजमाइश शम्स तबरेजी 


एक मर्तबा हजरत शम्स तबरेजी चन्द महीनों के लिये एक कमरे मे बंद हो गये और चिल्ला कसी शुरू करदी उनकी ये जुदाई भी मौलाना रूम से बर्दास्त ना हुई और जब शम्स तबरेजी ने अपनी चिल्ला कसी तमाम की तो मौलाना बहुत खुश हुऐ उनकी सारी बेकरारी और परेशानी दूर हो गई इस इन्तेहाई खुशी के आलम मे देखकर हजरत शम्स तबरेजी ने मौलाना को आजमाना चाहा और फरमाया आये मौलाना मुझे इस वक़्त एक खूबसूरत औरत की तलब है मैं तुमसे इस वक़्त खुश हूँ किया तुम मुझे एक खूबसूरत औरत ला दोगे मौलाना रूम ने कोई सवाल जवाब किये बगैर अपनी बीवी जो शाह खुवार्जम की बेटी थी और हुस्न व जमाल मे एकता थी को अपनी मुर्शिद की खिदमत मे पेश कर दिया हजरत शम्स तबरेजी ने जब मौलाना रूम की बीवी को देखा तो फरमाया मैंने तुम्हें इस औरत के लिये तो नहीं कहा था ये तो मेरी बहन और बेटी है,


मौलाना अर्ज गुजार हुऐ हजरत मेरी नजर मे इससे खूबसूरत और कोई औरत ना थी दूसरी मैं अपनी पियारी से पियारी चीज आप पर कुर्बान करना चाहता हूँ इसपर हजरत शम्स तबरेजी ने जवाब दिया मुझे अब औरत की खुवाहिश नहीं अगर तुम ला सको तो एक नौखेज खूबसूरत लड़का लादो मौलाना रूम मस्तीनी अंदाज मे अपने मुर्शिद के हुजरे से निकले और बगैर किसी सवाल व जवाब के अपने घर रवाना हुऐ और अपने छोटे बेटे को साथ लिया और हजरत शम्स तबरेजी की खिदमत मे पेश कर दिया हजरत शम्स तबरेजी ने भी इस मर्तबा मौलाना से फरमाया मैंने तुम्हें ये लड़का लाने को नहीं कहा था ये तो मेरा बेटा है मौलाना ने अर्ज की मुर्शिद मौलाई मैं आप पर कुर्बान होना चाहता हूँ मैं कियों और किया की जुबान नहीं जानता मैं तो हुक्म का बन्दा हूँ मेरा काम आपकी फरमाबदारी करना और आप पर निशार हो जाना है ये बातें सुनने के बाद मौलाना के बेटे को भी हजरत तबरेजी ने वापस कर दिया फिर मौलाना रूम से कहा अब जाओ और मेरे लिये शराब का बन्दो बस्त करो ऐसी नशावर शराब लाओ जो मुझे कैफ व मस्ती मे मुबतिला करदे,


मौलाना रूम जो अपने इबादत व रियाजत आला मुकाम पर थे उनकी इल्म व हिकमत अजमत व बुजुर्गी के पर्चे हर कहीं थे मगर उन्होंने अपनी शोहरत की परवाह ना की कोनिया मे एक यहूदियों का मोहल्ला था वहाँ तशरीफ ले गये और वहाँ से शराब हासिल की और हजरत तबरेजी की खिदमत मे पेश करदी हजरत शम्स तबरेजी ने जब शराब की भरी हुई सुराही देखी तो काफी देर मौलाना रूम की तरफ देखते रहे फिर शराब की सुराही को दिवार के साथ दे मारा और सारी की सारी शराब गिरा दी मौलाना चुप खड़े हैँ ना कुछ पूछ रहे हैँ बोल रहे हैँ काफी देर के बाद हजरत शम्स तबरेजी ने मौलाना से फरमाया आये जलालूद्दीन रूमी आज से तुम्हारी इरफ़ान व मुअरफत मशलूम व सहू और जजब व सीकर की तमाम मनाजिल तय हो गई हैँ,



 ये औरत लड़के और शराब की जो खुवाहिश मैंने तुम्हारे सामने की थी ये एक आजमाइश थी मगर तुम आजमाइश मे जिस तरह पूरे उतरे हो उसकी मिशाल नहीं मिलती आज से तुम्हें वोह मुकाम हासिल हो गया है जिससे तुम्हारा नाम रहती दुनियां ताक याद रहेगा और लोग तुम्हारी त्सानीफ और तालिमात को कयामत तक पढ़ते रहेंगे और उनसे इसरार व रुमूज की बातें सीखते रहेंगे बल्कि मैं शम्स तबरेजी जो तुम्हारा मुर्शिद हूँ मैं दुनियां मे गुमनाम हो जाऊंगा और मैं तुम्हारी निस्बत से जाना व पहचाना जाऊंगा लोग मुझे शम्स तबरेजी के बजाए मौलाना रूम के मुर्शिद की हैसियत से जानेंगे इन बातों से मौलाना रूम की खुशी इस कदर बढ़ गई और आप हजरत शम्स तबरेजी की मोहब्बत मे इस कदर आगे बढ़ गये कि आपने अपने एक शायर मे फरमाया कि मैं कभी भी मौलाना रूम ना होता अगर मुझे शम्स तबरेजी की गुलामी मयस्सर ना आती,,,

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