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अगर दिल मे तसव्वर गुनाह पैदा हो जाये तो किया होता है

 अगर दिल मे तसव्वर गुनाह पैदा हो जाये तो किया होता है 



एक मर्तबा किसी ने खानकाह मे आकर हजरत अबु अली दकाक से ये सवाल किया कि अगर किसी शख्स के दिल मे तसव्वर गुनाह पैदा हो गया तो किया उससे जिस्मानी पाकीजगी खतम हो जाती है ये सुनकर आपने मुरीद से रोते हुऐ फरमाया कि उसको जवाब दो चुनानचे हजरत जैनुल सलाम कहते हैँ कि मैंने ये जवाब देना चाहा कि तसव्वर गुनाह जाहरी पाकी के लिये मुजरित रसा नहीं होता अल बत्ता बातनी पाकीजगी खतम हो जाती है मगर अदबे मुर्शिद की वजा से बगैर जवाब दिये खामोश हो गया,



अल्लाह जाने कौन किया है


हजरत अबु अली दककाक फरमाते हैँ कि मैंने एक जनाजा देखा जिसे तीन मर्द और औरत उठाये लिये जा रहे थे जिस तरफ से उस औरत ने उठाया हुआ था मैंने उठा लिया यहाँ तक कि हम कब्रिस्तान मे पहुंच गये और नमाजे जनाजा अदा करने के बाद उसको दफ़न कर दिया फिर मैंने उससे पूछा कि किया तिम्हारे हम साया ना थे जो तुम्हारी मदद करते उन्होंने कहा कि ये मय्यत मुखन्निंस की थी और वोह इसको हकीर जानते थे आप फरमाते हैँ मुझे उनकी हालत देख कर रहम आगया मैंने कुछ गन्दम और कुछ दिरहम उनको दिये उसी शब मैंने खुवाब मे एक शख्स को देखा जिसका चेहरा मुनव्वर और निहायत कीमती लिबास पहना हुआ था उसने तबस्सुम फरमाया और कहा कि मैं वही हू,,,



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