Sadakate juban ka waqya
Hazrat malik bin dinar
Sipahi ka koda marna
हज़रत मालिक बिन दीनार एक मर्तबा शदीद बीमारी के बाद जब सेहत याब हुऐ तो किसी जरुरत के तहत इन्तेहाई मुश्किल से गिरते पड़ते बाजार तसरीफ लें गये इत्तेफाक से उस वक़्त सामने से बादशाह सलामत की सवारी आरही थी सवारी को रास्ता दिलवाने के लिये पहरे दारों ने लोगों को इधर उधर हटाने के लिये एक शौर बुलंद(जोर की आवाज़े) किया...
हज़रत मालिक बिन दीनार इस कदर कमजोरी महसूस कर रहे थे कि उन्हें रास्ते से हटने मे थोड़ी सी ताखीर हो गई चुनानचे एक पहरे दार ने आपको उस जोर से कोड़ा मारा कि तकलीफ के मारे आपके मुँह से उस पहरे दार के बारे मे ये कलमा निकल गया कि खुदा तेरे हाथ को कटवा दिये जाये करना खुदा का किया हुआ कि चंद ही रोज बाद किसी जुर्म की पादास मे उस पहरे दार के हाथ कटवा दिये गये ताहम उसकी ये हालत देख कर आपको इन्तेहाई दुख हुआ और आपने दिल मे कहा कि काश कुर्ब ही हालत मे मेरे मुँह से पहरेदार के बारे मे मेरे मुँह से बुरा कलमा ना निकला होता