एक मर्तबा खुवाजा आवेश करनी 3दिन से भूखे थे आपके पास खाने के लिये कोई चीज ना थी और ना ही पैसा था अचानक आपको एक दिरहम मिला आपने ख्याल किया कि हो सकता है कि हो सकता है कि ऐ दिरहम किसी का गिर गया हो चुनानचे आपने दिरहम वही पड़ा रहने दिया
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और आगे चल दिए फिर आपने सोचा कि अगर कोई चीज खाने को नहीं मिल सकती तो घास ही खालेता हु अभी ऐ सोच ही रहे थे कि एक भेड़ को देखा जों एक गरमा गरम रोटी ला रही थी भेड़ ने रोटी लाकर आपके आगे रखदी
आपने समझा कि शायद ऐ रोटी किसी और कि मिल्कीयत होगी इस लिये आपने उस रोटी को हाथ भी ना लगाया उस भेड़ ने जुबाने हाल से अर्ज किया अये अवैस करनी जिस खुदा का तू बंदा है मे भी उसकी मखलूक हु और तू खुदा पर यकीन कर कि उसने ऐ रोटी खुद भिजवाई है
ऐ सुनते ही खुवाजा अवैस करनी ने रोटी खाना शुरू कर दी आप फरमाते हैँ कि जिसने खुदा को पहचान लिया उस पर कोई चीज पोशीदा नहीं रहती और खुदा को पहचानने वाले ही आरिफ वा जाहिद हैँ गरज्ज कि जों अल्लाह का बन्दा बन जाता है उसपर हर चीज वाजेह और खुल जाती है ताकि उसको दुनिया के मुताल्लिक किसी चीज को जानने मे वक़्त ना हो मगर अल्लाह ताला ऐ बुलंद मुकाम अवैस करनी जैसी शख्शियात को अता करता है
हर मुसलमान को इसी तरह बनना चाहिए अल्लाह और उसके रसूल और औलियाये कराम से बे इन्तेहा मोहब्बत करनी चाहिए जुबान से नहीं अपने दिल मे बसा लो तन मन मे बसा लो जहा भी ये नज़रे देखे बस उसी का जलवा देखे