भारत की शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन में मौजूदगी का अर्थ
शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (SCO) में भारत की मौजूदगी का अर्थ क्या होता है, इसे जानने के लिए नीचे दिए गए लेख को पढ़ें:
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शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन क्या है? कब और क्यों बनाया गया था?
शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (SCO) एक अंतरसरकारी संगठन है जिसे 15 जून 2001 को चीन, कजाखस्तान, किर्गिज़स्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान द्वारा शंघाई में स्थापित किया गया था। यह मूल रूप से शंघाई फाइव ग्रुप का विस्तार है, जिसे 26 अप्रैल 1996 को शंघाई फाइव के सभी सदस्य देशों (उज़्बेकिस्तान को छोड़कर)```html द्वारा सीमा क्षेत्रों में सैन्य विश्वास के लिए संधि पर हस्ताक्षर करके रूपांतरित किया गया था। शंघाई फाइव ग्रुप को कुछ विश्लेषकों के अनुसार मुख्य रूप से मध्य एशिया में अमेरिकी प्रभाव के खिलाफ उत्पन्न होने का एक माध्यम माना जाता है।
शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन की मुख्य क्षेत्रों पर सहयोग या संयुक्त कार्रवाई क्या है?
SCO के उद्देश्य में सदस्य राज्यों और सामंजस्य में विश्वास को मजबूत करना शामिल है; राजनीतिक मामलों, अर्थव्यवस्था, व्यापार और शैक्षिक क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देना, साथ ही ऊर्जा, परिवहन, पर्यटन और पर्यावरण संरक्षण क्षेत्रों में भी सहयोग करना। क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता को बनाए रखने और नए, लोकतांत्रिक, न्यायसंगत और तार्किक राजनीतिक और आर्थिक अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की स्थापना की ओर बढ़ने के लिए संयुक्त प्रयास करना भी उसके अन्य लक्ष्यों में से कुछ है।
हाल ही में भारत द्वारा आयोजित SCO वर्चुअल सम्मेलन कैसा रहा?
आमतौर पर, भारत द्वारा आयोजित वर्चुअल सम्मेलन में सभी सदस्य देशों के नेताओं की भागीदारी देखी गई और इसके साथ ही ईरान को समूचे समूह का पूरा सदस्य बनाया गया।
साझा घोषणा में, सदस्यों ने सम्बंधित SCO देशों के बीच समन्वय को मजबूत करने और एशियाई महाद्वीपीय ब्लॉक के अंदर भरोसा बढ़ाने के लिए सहयोग को बढ़ावा देने की मांग की।
इस सम्मेलन में साइबर राधिकरण के विरुद्ध एक संयुक्त बयान, राधिकरण के खिलाफ संघर्ष के बारे में एक संयुक्त बयान, और डिजिटल परिवर्तन पर एक बयान जैसी कई भिन्न आवाजें उठीं जो 'बहुमुखी सहयोग' पर ध्यान कम कर दिया।
उदाहरण के लिए, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पश्चिमी देशों के खिलाफ अपने देश की संयम से बहार होने और "उक्रेन पर हमले" के बाद पश्चिम```html द्वांद्वों (मॉस्को के उक्रेन पर हमले के कारण) और "उकसावों" के खिलाफ खड़ा होगा दर्ज किया। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस मंच का उपयोग करके अपने देश की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड पहल का प्रचार किया, जिसे भारत ने विरोध किया है क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जे में है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, क्षेत्र में बढ़ते संचार की मांग को लेकर एक अप्रत्यक्ष ताना मारते हुए, संविधानिक संपत्ति और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
हालांकि, भारत केवल सदस्य देशों ने आर्थिक रणनीति विवरण पर एक समर्थन अनुच्छेद को समर्थन किया होने के कारण एकांत में थी जबकि बाकी सदस्यों ने बेल्ट एंड रोड पहल के समर्थन के विचारधारा पर हस्ताक्षेप किया।
भारत और पाकिस्तान ने आतंकवाद और अल्पसंख्यकों के लक्ष्यधारी होने पर एक-दूसरे पर निशाना साधा।
SCO में भारत की मौजूदगी का मकसद क्या है?
भारत का SCO में पूरी सदस्यता लेने का फैसला वर्तमान में भारत की बहुसंवादी नीति और रणनीतिक आत्मनिर्भरता के साथ मेल खाता है। जबकि भारत पश्चिमी शक्तियों, जैसे कि संयुक्त राज्य अमेरिका और जापान के साथ नजदीक है, खासकर चीन की बढ़ती प्रभाव में रूस के साथ अपने घनिष्ठ संबंधों को मजबूत करने का प्रयास हो सकता है, तो SCO में उत्पन्न भारत की मौजूदगी, रूस के अंतर्द्वंद्व और चीन के प्रभाव के कारण छायाचित की गई है। यह कुछ ऐसी बात है जिससे भारत खुश नहीं हो सकता है।
क्या SCO में भारत की मौजूदगी हाल ही में अमेरिकी यात्रा में दिखाए गए मेल के विपरीत है?
भारत की SCO में मौजूदगी ने हाल की अमेरिकी यात्रा में दिखाए गए मेल के विपरीत नहीं है। हालांकि, भारत ने पिछले वर्ष उक्रेन पर रूस के हमले के बाद अपने आप को रूस से दूर न करने का फैसला किया और बजाय तो```html अपने तेल खरीद को बढ़ाया।
इसलिए, भारत की SCO में मौजूदगी वर्तमान में भारत-अमेरिका संबंधों के मेल के विपरीत नहीं है। हालांकि, चीन और रूस द्वारा हाल ही में SCO सम्मेलन पर पश्चिमी देशों की आलोचना का भारत को बहुत आराम नहीं हो सकता है।