महाशिवरात्रि कि कहानी-Story of Mahashivratri
महाशिवरात्रि -mahashivratri |
ये सेठ आपका परम भगत हैं प्रति सोमवार को विधि विधान से आपकी पूजा करता हैं मुझे लगता हैं कि आपको उसकी मनो कामना पूर्ण करनी चाहिए ,शिव जी ने उनकी बात को सुनकर कहा,हे गोरी ये संसार एक कर्म क्षेत्र है जिस तरह किसान एक खेत में फसल बोता हैं तो बाद में उसे अन मिलता हैं,उसी तरह इस संसार में जैसा कर्म करता हैं वैसा ही फल मिलता हैं,
भगवान शिव बोले इसके जीवन में पुत्र सुख नहीं हैं,लेकिन माता पार्वती ने शिव शंकर से दोबारा आग्रह किया कि आप इसकी मन कामना पूर्ण कर दीजिए,अगर आपने आपके भगतों कि इच्छा पूर्ण नहीं करेंगे,तो वो आपकी पूजा क्यों करेंगे,इस तरह माता पार्वती के आग्रह करने पर,भगवान शिव ने कहा कि ये सेठ बहुत धनवान हैं और इसके कोई पुत्र नहीं हैं इसलिए ये सदैव चिंतित रहता हैं
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और इसके भाग्य में संतान योग भी नहीं हैं परन्तु तुम्हारे आग्रह करने पर इसको पुत्र प्रापति का वरदान दे देता हूँ लेकिन जो इसका पुत्र होगा बो केवल बारह वर्ष तक ही जीवित रहेगा,फिर एक रात शिव जी सेठ को स्वप्न में दर्शन दिए और उसे कहा जल्द ही पुत्र प्रापति होगी,वह पुत्र दीर्घ आयु नहीं रहेगा,केवल बारह वर्ष तक ही जीवित रहेगा,यह बात सुनकर सेठ ना तो ज्यादा प्रसन्न हुआ और ना ही ज्यादा दुखी हुआ,
इस बात को सुनकर अपनी पूजा अर्चना जारी रखी और कुछ समय बाद सेठ कि पत्नी गर्भवती हुई और नो महीने बाद उसके घर पुत्र ने जन्म लिया,जिससे उसकी पत्नी और सेठ का परिवार बहुत खुश हुआ लेकिन सेठ ने ज्यादा खुशी नहीं मनाई थी उसको अल्प आयु का जानकर।और उसने ये बात किसी को भी नहीं बताई थी,जब वो लड़का ग्यारह वर्ष का हो गया तो,सेठ कि पत्नी ने कहा कि अब इसका विवाह कर देना चाहिए,लेकिन सेठ ने मना कर दिया,और उसे शिक्षा के लिए काशी भेज दिया,
सेठ ने उसके मामा को बुलाया और उन्हें पैसे देकर,उन्हें बालक के साथ काशी जाने का आदेश दिया और कहा रास्ते में यज्ञ करते हए और ब्राह्मणों को भोजन कराते हुए जाए,और फिर मामा भांजा घर से चल पड़े और जिस रास्ते से वो गुजरे उस रास्ते पर यज्ञ और ब्राह्मणों को भोजन कराते हुए आगे बढ़ते गए और आगे जिस रास्ते से वो गुजर रहे थे उस रास्ते में एक राजा ने अपनी पुत्री का विवाह रख रखा था,और वो अपनी राजकुमारी का विवाह ऐसे राजकुमार से करवाह रहा था जो एक आँख से काना था,
उसे एक आँख से दिखता नहीं था,दूल्हे का पिता इस बात से चिंतित था कि दुल्हन पक्ष को ये पता चल गया कि राजकुमार तो काना हैं तो राजकुमारी विवाह के लिए मना कर देगी,इसलिए उसने सेठ के लड़के को देखा तो उसने सोचा कि में अपने बालक के स्थान पर तोरण के वक्त इस लड़के को बिठा दूँगा और दुल्हन पक्ष वालों को पता भी नहीं चलेगा,दूल्हे के पिता ने सेठ के लड़के को राजी किया,
इस तरह उस लड़के ने दूल्हे के कपडे पहने और घोड़ी पर चढ़ कर तोरण कि रश्म पूरी कि और जब फेरों कि बारी आई तो दूल्हे के पिता ने सेठ के लड़के से अनुरोध किया कि वह दुल्हन के साथ फेरे ले और इसके लिए मामा भी राजी हो गया,और विवाह समारोह भी निपट गया,और शादी सम्पन होने के बाद मामा भांजा काशी कि और प्रस्थान करगे,परन्तु सेठ के पुत्र ने दुल्हन के कपड़ों पर लिख दिन कि तुम्हारी शादी मुझ से हुई हैं लेकिन जिस के साथ तुम जाओगी,वह एक आँख वाला आदमी हैं और मैं काशी पड़ने जा रहा हूँ जब ये लिखा हुआ राजकुमारी ने पढ़ा तो राजकुमारी ने उस राजकुमार के साथ जाने से मना कर दिया और
उसने बताया कि मेरा विवाह जिससे हुआ हैं वो तो काशी पढ़ने गया और जब लड़की के पिता ने दुल्हन के पिता से पूछा तो उसने सारी बात बता दी और फिर लड़की के पिता ने लड़की को भेजने से मना कर दिया था और उधर वो मामा भांजा काशी पहुँच गए और राजकुमार अपनी शिक्षा पूरी करने लगा और मामा यज्ञ पुरे करने लगा,और एक दिन जब लड़का बारह वर्ष का हो गया तो वो एक दिन मामा से कहने लगा कि मेरी तबियत आज कुछ ठीक नहीं में अंदर जाके विश्राम करता हूँ
तो लड़का अंदर गया तो उसकी मृत्यु हो गई,और कुछ देर बाद उसका मामा आया तो उसने देखा कि उसका भांजा मृत पड़ा हुआ,वह उसे देख कर बहुत दुखी हुआ परन्तु वो रो नहीं सका,क्योंकि रोया तो सब को पता चल जाएगा और फिर यज्ञ अधूरा रहे जाएगा और फिर मामा वापस गया और यज्ञ सम्पन किया और फिर आकर उसे देख कर रोने लगा और तभी उसी रास्ते से शिव जी और पार्वती जी गुजर रहे थे
जब उन्होंने वहाँ जाके देखा तो उस लड़के का मामा रो रहा था और वो लड़का जो शिव जी कि कृपा से जन्म लिया था वो वहाँ मृत पड़ा हुआ था,उसे देखकर माता पार्वती जी ने शिव जी से अनुरोध किया कि वो उसे जीवन दान दे दे,तो फिर शिव जी ने उस लड़के को जीवनदान दे दिया और फिर मामा भांजा घर के लिए प्रस्थान कर गए और रास्ते में उसी नगर से गुजरे जहाँ उसका विवाह हुआ था,
उस नगर के राजा ने उस लड़के को पहचान लिया,और उसे महल में ले गए और फिर उसके खूब सारा धन देकर विदा कर दिया उधर सेठ-सेठानी छत पर बैठे थे उन्होंने प्रण किया हुआ था कि यदि मेरा पुत्र सही सलामत घर नहीं पहुंचा तो वो छत से कूद कर अपनी जान दे देंगे,
पर जब वो सब घर पर पहुंचे तो उसका मामा उन सेठ-सेठानी को छत पर जा कर बताया की आपका पुत्र सकुशल घर लोट आया हैं और साथ आपकी बहु को भी लेकर आया हैं,ये सब सुन कर वो नीचे उतर अजय और अपने पुत्र बहु को देख कर बहुत प्रसन्न हुए,और जिस प्रकार भगवान शिव और माता पार्वती उन सेठ-सेठानी पर कृपा की वैसी सब पर करे,
ऊँ नमं शिवाय.
mahashivratri 2023:-
महा शिवरात्रि कब है?:-
महाशिवरात्रि शनिवार, 18 फरवरी, 2023 को मनाई जाएगी। यह हिंदू कैलेंडर के फाल्गुन महीने के 14वें दिन मनाई जाती है, जो आमतौर पर ग्रेगोरियन कैलेंडर में फरवरी या मार्च के महीने में आती है।
mahashivratri images:-
महाशिवरात्रि व्रत नियम- mahashivratri fasting rules
- व्रत के दिन सुबह जल्दी स्नान कर पूरे समय स्वच्छ रहना चाहिए और व्रत के दिन सफेद कपड़े पहनने की सलाह दी जाती है।
- व्रत रखने वाले भक्तों को पूरे दिन 'ओम नमः शिवाय' का जाप करते रहने की सलाह दी जाती है।
- संकल्प व्रत से एक दिन पहले और पूजा करते समय लेना चाहिए।
- व्रत रखने वाले लोगों को शाम को दूसरा स्नान करना चाहिए क्योंकि शिव पूजा दिन में बाद में की जाती है।
- भक्तों को मांसाहारी भोजन, प्याज और लहसुन से सख्ती से बचना चाहिए क्योंकि इन्हें तामसिक माना जाता है
- व्रत रखने वाले भक्तों को चावल, दाल और गेहूं से बने खाद्य पदार्थों से परहेज करना चाहिए।
- पूजा के दौरान शिवलिंग पर नारियल का पानी नहीं चढ़ाना चाहिए।
mahashivratri 2024 - महाशिवरात्रि 2024
महाशिवरात्रि कब है 2024?:-
महाशिवरात्रि फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। इसलिए वर्ष 2024 में महाशिवरात्रि 8 मार्च 2024, दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी।
happy mahashivratri
surender kumar
मैं एक blogger हूँ मैंने यह ब्लॉग लिखा हैं यदि इस मैं लिखने मुझे कुछ त्रुटि हो गई हैं तो मुझे माफ़ करना और मेरी मुझे नए सुझाव देने के लिए मुझे comment करे.
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