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गैंगस्टर एक्ट, 1986 की पूरी जानकारी-Full details of the Gangster Act, 1986

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अगर आप भारतीय मीडिया पर नजर रखते हैं तो आजकल आप एक शब्द बार-बार सुन रहे होंगे वह शब्द है “गैंगस्टर” लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि आखिर गैंगस्टर किसे कहा जाता है और पुलिस किन आधारों पर किसी को गैंगस्टर घोषित करती है,तथा जिस व्यक्ति को गैंगस्टर घोषित किया जाता है उसे क्या सजा दी जाती है?                        शायद आपने कभी इन प्रश्नों पर विचार ना किया हो लेकिन सामाजिक जागरूकता के नजरिए से आपको इन सभी विषयों पर जानकारी होनी चाहिए अतः आज हम आपको गैंगस्टर के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी विस्तार से देने वाले हैं अतः आप हमारे साथ अंत तक बने रहे।

गैंगस्टर एक्ट कब लगती है?-When does the Gangster Act come into force?

गैंगस्टर अधिनियम, 1986 भारत सरकार द्वारा गैंगस्टरों और उनके संगठनों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की सुविधा के लिए बनाया गया कानून है। इस कानून का प्रवर्तन एक विशेष न्यायाधीश द्वारा तीन से अधिक अधिवक्ताओं की अनुमति से  किया जाता है। इसके तहत गैंगस्टरों और उनके संगठनों से निपटने के लिए विशेष अदालतें नियुक्त की जाती हैं। यह एक सच्चाई है कि यह कानून सिर्फ गैंगस्टरों के खिलाफ है, आम लोगों के खिलाफ नहीं।

गैंगस्टर एक्ट में कितने दिन की सजा होती है?-How many days is the punishment in the Gangster Act?

गैंगस्टर अधिनियम में, सजा की अवधि निर्धारित करने में कई कारकों को ध्यान में रखा जाता है। अनुसूचित अपराधों के लिए, गैंगस्टर अधिनियम के तहत सजा तीन साल से अधिक नहीं हो सकती है। हालाँकि, इस अवधि को दो अवधियों में विभाजित किया जा सकता है। पहले खंड में सजा की अवधि एक वर्ष तक बढ़ाई जा सकती है और दूसरे खंड में अन्य तत्वों के साथ अधिकतम तीन वर्ष तक बढ़ाई जा सकती है।

इसके अलावा गैंगस्टर एक्ट के तहत सजा को समय-समय पर बदला जा सकता है। इसके लिए अदालतों को अपराध की गंभीरता, अपराधी की सूक्ष्मजीवविज्ञानी प्रोफ़ाइल, उसके अपराध की गतिविधियों की संख्या, उसके अपराध की अवधि और अन्य कारकों को ध्यान में रखते हुए सजा तय करने की आवश्यकता होती है।

गैंगस्टर एक्ट की धारा क्या है?-What is the section of gangster act?

गैंगस्टर अधिनियम, 1986 एक कानून है जिसके तहत इसे गैंगस्टरों और उनके संगठनों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की  सुविधा के लिए बनाया गया है। अधिनियम की धारा 2 गैंगस्टर्स और उनके संगठनों को परिभाषित करती है। धारा 3 गैंगस्टर अधिनियम के तहत अपराधों को परिभाषित करती है, जिसमें गैंगस्टरों या उनके संगठनों द्वारा किए गए अपराधों का विवरण होता है।

धारा 4 अपराधी की संपत्ति का दुरुपयोग, जीवन-मानव संपत्ति या चीजों का दुरुपयोग या गैंगस्टर अधिनियम के तहत उसकी अवैध वसूली करने का अधिकार देने से संबंधित अपराधों को परिभाषित करती है।
इसके अलावा, गैंगस्टर अधिनियम के अन्य खंड भी प्रतिबंधों, विशेष अदालतों की नियुक्ति, दोषियों की संपत्ति की जब्ती, आवेदकों की सुरक्षा और गैंगस्टरों और उनके संगठनों के खिलाफ कार्रवाई के लिए गवाहों की सुरक्षा का विवरण देते हैं।

गैंगस्टर अधिनियम की धारा 13 के तहत, अपराधी पर खुद को संबंधित अपराध से बचाने के लिए दूसरों को उनके खिलाफ गवाही देने से डराने, धमकाने या डराने के कुछ कृत्य का आरोप लगाया जा सकता है।

इस तरह भारत में अपराधियों और उनके संगठनों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई के लिए गैंगस्टर एक्ट बनाया गया है। धारा 14 में कहा गया है कि अगर किसी व्यक्ति को अधिकतम सजा के तहत गैंगस्टर एक्ट के तहत अपराध करते पाया जाता है, तो उसे 6 महीने से अधिक और 3 साल से कम की अवधि के लिए कारावास की सजा हो सकती है।

क्या गैंगस्टर एक्ट जमानती है?-Is the Gangster Act bailable?

गैंगस्टर एक्ट के तहत किसी भी व्यक्ति को जमानत नहीं मिलती है। धारा 14(4) के अनुसार, जब कोई व्यक्ति गैंगस्टर एक्ट के तहत अपराध करता है, तो उसे जमानत नहीं दी जाती है। यह सुनिश्चित करता है कि अपराधी तब तक जेल में रहे जब तक कि उसके खिलाफ मुकदमा चल रहा हो या उसे सजा सुनाई गई हो।

गैंगस्टर एक्ट की अन्य धाराओं के तहत अपराधियों को जमानत मिल सकती है, लेकिन यह धारा 14 के तहत नहीं आती है। गैंगस्टर एक्ट के तहत अपराधियों को बिना जमानत के गिरफ्तार किया जा सकता है और किसी अन्य कानून द्वारा प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।

गैंगस्टर एक्ट क्यों लगता है?-Why does it seem like a gangster act?

अपराध और उसके प्रभावों को रोकने के लिए भारत में गैंगस्टर अधिनियम लागू किया गया है। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य एक या एक से अधिक गिरोह या संगठन के सदस्यों द्वारा अपराध करने से रोकना है।

गैंगस्टर एक्ट के तहत सरकार गिरोहों या संगठनों की गतिविधियों को रोकने के लिए कड़ी कार्रवाई करती है। इस अधिनियम के तहत अपराधियों को गिरफ्तार कर कड़ी सजा दी जाती है।

गैंगस्टर अधिनियम के लागू होने से पहले, अपराधियों को संगठन का सदस्य बनने के लिए प्रोत्साहित किया जाता था और उनकी आपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाता था। इसलिए ऐसे अपराधियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जरूरत महसूस करते हुए गैंगस्टर एक्ट लागू किया गया।

खतरनाक गैंगस्टर कौन है?-Who is the dangerous gangster?

दुनियाभर में कई खतरनाक गैंगस्टर हैं, जो अपनी आतंकी गतिविधियों के लिए जाने जाते हैं। यहां कुछ खतरनाक गैंगस्टर्स का जिक्र किया जा रहा है:

  • पाब्लो एस्कोबार - पाब्लो एस्कोबार को दुनिया का सबसे खतरनाक गैंगस्टर माना जाता है. वह कोलंबिया के एक साधारण गांव से उठकर अमेरिका के सबसे बड़े ड्रग गैंगस्टरों में से एक बन गया। उसका धंधा ड्रग्स, मर्डर, किडनैपिंग और क्राइम से जुड़े दूसरे धंधों पर आधारित था। उन्होंने कुछ भारतीय नेताओं के साथ भी संबंध विकसित किए थे।

  • अल कैपोन - इसे अमेरिका का सबसे खतरनाक गैंगस्टर माना जाता है. वह अपने गिरोह के साथ नशाखोरी, हत्या, अपहरण व अन्य अपराधों को बढ़ावा देता था।

  • डॉन जियोवन्नी फैरेली - यह अमेरिकी गैंगस्टर न्यूयॉर्क शहर में अपनी जबरदस्त ताकत के लिए जाना जाता है। वह अपने गिरोह के साथ कई अपराधों को बढ़ावा देता था।

  • जोसेफ मैसन - यह अमेरिकी गैंगस्टर डेट्रायट में अपनी ताकत के लिए जाना जाता है। उसने अपने गिरोह से हत्या, नशाखोरी, अपहरण व अन्य अपराधों को बढ़ावा दिया था।

  • जॉय बोनानो - यह एक इतालवी गैंगस्टर था जिसे "व्हाइट एलिफेंट" के नाम से जाना जाता था। वह जबरन वसूली, जुआ कारोबार, हत्या और अन्य अपराधों को बढ़ावा देता था।

  • दाऊद इब्राहिम - यह भारत का एक अंतरराष्ट्रीय गैंगस्टर है, जो मुंबई में अपनी ताकत के लिए जाना जाता है। वह रंगदारी, जुआ कारोबार, हत्या, अपहरण व अन्य अपराधों को बढ़ावा देता था।

ये कुछ ऐसे गैंगस्टर्स के नाम हैं जिन्हें दुनिया का सबसे खतरनाक गैंगस्टर माना जाता है। हालांकि और भी कई गैंगस्टर हैं जो अपनी आतंकी गतिविधियों के लिए जाने जाते हैं।

गैंगस्टर का क्या काम होता है?-What is the job of a gangster?

एक गैंगस्टर एक अपराधी है जो अपनी शक्ति और अधिकार को मजबूत करने के लिए आपराधिक गतिविधियों में शामिल होता है। इन गतिविधियों में शामिल हैं - हत्या, अपहरण, व्यापारिक व्यवसाय, जुआ व्यवसाय, जबरन वसूली, धमकी देना, अन्य आपराधिक गतिविधियां आदि। वे अक्सर अपने समूह के सदस्यों के साथ काम करते हैं और अपने बॉस के आदेश के अनुसार कार्य करते हैं। गैंगस्टर अक्सर लोगों को अपनी शक्ति मजबूत करने और अपने विरोधियों से बदला लेने की धमकी देते हैं।

उत्तर प्रदेश : सुप्रीम कोर्ट ने कहा- एक अपराध पर भी गैंगस्टर एक्ट के तहत चल सकता है मुकदमा, याचिका खारिज की-Uttar Pradesh: Supreme Court said- even a crime can be prosecuted under the Gangster Act, dismissed the petition.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कठोर उत्तर प्रदेश गैंगस्टर्स एवं असामाजिक गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने के लिए किसी व्यक्ति के बार-बार अपराधी होने की आवश्यकता नहीं है। गिरोह का हिस्सा होने पर केस के आरोपी पर भी विशेष कानून के तहत केस चलाया जा सकता है।

जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने इस विशेष कानून के तहत अभियोजन को चुनौती देने वाली एक महिला श्रद्धा गुप्ता की याचिका को खारिज कर दिया। महिला का कहना था कि उसकी कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है और उसे पहली बार किसी आपराधिक मामले में नामजद किया गया है, ऐसे में उसपर गैंगस्टर एक्ट नहीं लग सकता। 

शीर्ष अदालत ने कहा कि महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) और गुजरात आतंकवाद एवं संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम के विपरीत, गैंगस्टर अधिनियम के तहत ऐसा कोई विशेष प्रावधान नहीं है जिसमें कहा गया है कि गैंगस्टर एक्ट के तहत किसी आरोपी पर मुकदमा चलाने के लिए एक से अधिक एफआईआर या चार्जशीट होनी चाहिए।

कानून की स्थापित स्थिति के अनुसार क़ानून के प्रावधानों को पढ़ा और माना जाना चाहिए। गैंगस्टर अधिनियम के प्रावधानों से साफ है कि गिरोह का सदस्य होने पर और गैंगस्टर्स में उल्लिखित गतिविधियों में लिप्त होने पर एक अपराध के लिए भी इस विशेष अधिनियम के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है।



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