मिर्जापुर। जिले में स्थापित हो रही 2200 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली दो योजनाएं जल्द ही मूर्त रूप लेंगी। 1200 करोड़ की लागत वाले इंडियन ऑयल के सबसे बड़े डिपो की स्थापना में सिंचाई विभाग द्वारा लगाया गया एनओसी का रोड़ा दूर हो गया है। जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन के निर्देश पर गठित कमेटी ने नापी आदि कराने के बाद परियोजना को अनापत्ति प्रमाणपत्र दे दिया है। प्लांट को लगाने की प्रक्रिया अब तेज होगी। इसी प्रकार मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट विंध्य विश्वविद्यालय के लिए मड़िहान के देवरी कला में भूमि को चिह्नित कर शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। दोनों ही योजनाओं को जिले में लाने के लिए केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कई बार मांग की थी।
1200 करोड़ रुपये से भी अधिक लागत वाली आईओसी डिपो डगमगपुर में बनाया जा रहा है। विभाग की ओर से वहां पर भूमि भी अधिग्रहीत की गई है। सिंचाई विभाग की आपत्ति के बाद यह परियोजना कई सालों से अटकी थी। जिलाधिकारी के संज्ञान में जब यह मामला आया तो जांच व नापी आदि के बाद सिंचाई विभाग की ओर से एनओसी दे दी गई। सब कुछ ठीक रहा तो यह परियोजना जल्द शुरु हो जाएगी जहां पर हजारों युवाओं को रोजगार मिल सकेगा।
केंद्रीय मंत्री की विंध्य विश्वविद्यालय की मुख्यमंत्री से हुई मांग के लिए दो वर्षों से इसके लिए कवायद की जा रही थी। कई बार स्थान बदला गया। एक समय ऐसी भी चर्चा हुई कि यह विश्वविद्यालय दूसरी जगह भी जा सकता है। एक हजार करोड़ से भी अधिक की लागत वाली इस परियोजना के लिए भूमि चिह्नित कर जिलाधिकारी ने प्रस्ताव शासन को भेज दिया है।
कोट्स:
जनहित से जुड़ी दोनों योजनाएं काफी समय से अटकी हुई थी। इससे संबंधित समस्याओं को दूर कर लिया गया है। विंध्य विश्वविद्यालय के लिए जमीन चिन्हित कर शासन को भेज दिया गया है। साथ ही रिफाईनरी प्लांट के मार्ग में आने वाली समस्या को भी दूर कर लिया गया है।
– प्रियंका निरंजन, जिलाधिकारी मिर्जापुर
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