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गोदी मीडिया क्या है? – Godi Media

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अगर में इस Godi media शब्द के अविष्कारक या इस Godi media शब्द की प्रसंशा करू या आलोचना करू तो उसका कोई फायदा नहीं है। क्युकी इंटरनेट पर इसकी प्रशंसा और आलोचना भरी पड़ी है। लोग अपने परिवार और संस्कृति के संस्कार और विचारो के हिसाब से इसका विरोध और सपोर्ट करते रहते है। मैं तो सिर्फ इसकी पहचान बताने की कोशिश कर रहा हूँ। कि मुझे गोदी मीडिया असल में कौन लगता है और उसका स्वरुप क्या है।

वास्तव में मीडिया क्या है?

मीडिया का अर्थ है जो मुझे लगता है वो बताता हूँ। इसके लिए मेरे मस्तिष्क ने मीडिया को तीन भागो में बांटा है। –

उत्तम कोटि का मीडिया –

ऐसा मीडिया या खबरों का स्रोत जो अपनी विचारधारा (दूध में पानी ) की मिलावट न करे। लेकिन इसका मतलब ये नहीं की देशभक्ति (दूध में मख्खन /घी) भी निकाल फेके। ऐसा मीडिया देशभक्ति को प्राथमिकता देती है। अर्थात बिना मिलाबट का ज्ञान की धारा प्रवाहित करती है। आज किसी भी नेता का बयान अपने टीवी या समाचार पत्र में निकालते है। साथ ही साथ उस बयान का विश्लेषण अपने प्रमाण के आधार पर भी करते है।

आज परिपेक्ष में उदाहरण – मान लो किसी नेता ने कोई बयान दिया। तो –

उत्तम कोटि का मीडिया किसी नेता के बयान के साथ साथ अपने ज्ञानी पत्रकारों के माध्यम से उस बयान का अर्थ सच या झूठ वही का वही बता देगा, या पूछ लेगा । इससे जनता में भ्रम नहीं फैलता और उन्हें पता होता है की कौन सत्य के पक्ष में है और कौन असत्य के पक्ष में।

उत्तम कोटि का मीडिया को देखने या पढ़ने वाले लोग –

  • इनको देखने या पढ़ने वाले लोग ज्ञानी और शांत स्वाभाव के होते है।
  • जो देश की दिशा और दशा के बारे में भी सोचते है।
  • इन ज्ञानी स्वाभाव के मनुष्यो के एक हाथ में टेक्नोलॉजी और दूसरे हाथ में अपने धर्म या कर्तव्य की ज्ञान पुस्तक होती है।
  • इन्हे अतिराष्ट्रवादी भी कह सकते है, जो भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, लाला लाजपत राय अर्थात गरम दल के विचारो से प्रभावित होते है।
  • इनके लिए भारतवर्ष से बड़ा कुछ भी (जाति,धर्म,विचार ) नहीं होता।

मध्यम कोटि का मीडिया –

मान लो किसी नेता ने कोई बयान दिया। तो –

मध्यम कोटि का मीडिया उस नेता का बयान दिखा देगा और उसके सामने वाली पार्टी के नेता का उत्तर दिखा देगा। मतलब मध्यम कोटि का मीडिया यह दिखाने की कोशिश करता है की वो बीच में खड़ा है, न वह किसी विचार के पक्ष में और न किसी विचार के विपक्ष में।

लेकिन ऐसा मीडिया सीधे-साधे लोगो को भ्रमित कर देता है, क्युकी ये मीडिया अपने आप को स्वतंत्र मानते मानते, देशभक्ति से भी स्वतंत्र हो जाते है। अर्थात तब भी बीच में ही खड़े रहते है। अर्थात दूध में से मक्खन /घी (देशभक्ति) को अलग कर देते है। इस काम में कोई विश्लेषण या खोज नहीं करनी पड़ती और सभी लोगो के प्रिय बने रहते है। यहाँ तक कि आप को धर्म निरपेक्ष दिखाने के लिए विदेशी मीडिया की खबरों का मिलाबट भी कर डालते है।

जैसे – जब आतंकवादी के लिए रात में कोर्ट खुल रही थी, उस समय की रिपोर्टिंग।

मध्यम कोटि का मीडिया को देखने या पढ़ने वाले लोग –

  • इनको देखने या पढ़ने वाले लोग थोड़ा बहुत ज्ञानी होने के कारण उस ज्ञान के कारण अहंकारी और स्वार्थी हो जाते है।
  • कुछ लोग धर्म को सिर्फ मानते है, विश्वास नहीं करते। और कुछ लोग अपने स्वार्थ के लिए उसे भी त्याग देते है।
  • ये देश की दिशा और दशा के बारे में सोचते तो है, लेकिन अपने स्वार्थ को देशभक्ति से आगे रखते है,
  • ये लोग उनके अहम् को चोट न पहुँचाये उन चैनल्स या नेता को ही देखते है , पढ़ते या सुनते है। इन्हे राष्ट्रवादी तो कह सकते है लेकिन
  • अतिराष्ट्रवाद का ये विरोध करते है।
  • ज्यादातर नरम दल वालो के समर्थन में रहते है।
  • ये लोग अपने आप को धर्म निरपेक्ष (secular) की संज्ञा भी देते है।
  • धर्म निरपेक्ष या Secular का अर्थ नास्तिक के समकक्ष होता है। According to Cambridge Dictionary – secular means not having any connection with religion.

निम्न कोटि का मीडिया –

मान लो किसी नेता ने कोई बयान दिया। तो –

ऐसा मीडिया नेता का बयान दिखाने के बाद उसको अपने विचार के अनुसार परिभाषित करते है। जिसका कोई प्रमाण नहीं होता। सारी खबर का विश्लेषण की शुरुआत वे इन शब्दों के प्रयोग से करते है –

  • मान लीजिये
  • सोचिये
  • क्या होगा
  • मेरा मानना है
  • इनके अनुसार
  • उनके मत के अनुसार
  • देखिये
  • समझिये

शायद यही गोदी मीडिया है, जो अपने समाचार पत्र या टीवी पर खबर कम, अपने विचारो को जनता में खबरों का रूप देकर प्रवाहित करते रहते है। खबरों को अन्य रूप में प्रसारण करने का काम एक बहरूपिया ही कर सकता है। बहरूपिया किसी भी देश के लोगो को मूर्ख बनाने के लिए सम्मोहन का प्रयोग करता है ये सम्मोहन होता है जैसे कि –

  • किसी अन्य मीडिया को देखने के लिए मना करते है।
  • देशभक्ति और धर्म को अन्धविश्वास बताते है।
  • सोशल मीडिया पर उन्ही ग्रुप या पेज को ज्वाइन करने के लिए Reference देते है जो स्वार्थी विचार को आगे बढ़ाते है।
  • ऐसी न्यूज़ वेबसाइट का पता बताते है जो उनकी ही विचारधारा द्वारा चलाई जा रही हो। क्युकी अपने चैनल पर वो जिस बात को नहीं बोल सकते वो ऐसी स्वतंत्र वेबसाइट कर देती है।
  • मुझे लगता है, यहाँ स्वतंत्र पत्रकारिता मतलब जो किसी नियम वियम को नहीं मानती है।

ऐसे न्यूज़ संस्थान हर खबर के बाद जनता को सम्मोहित करने के लिए ये अवश्य बोलते है कि – “नेता समाज का विकास करने के लिए चुने जाते हैं ना कि हमें हमारा धर्म, पहनावा, खानपान सिखाने के लिए। रोजगार तो दिया नहीं जा रहा उल्टे हमें ज्ञान दे रहे हैं?”

लेकिन मुझे लगता है कि समाज का विकास और रोजगार सिर्फ शिक्षा अर्थात ज्ञान से संभव है, विकास और रोजगार कोई पकवान नहीं जो थाली में सजाकर कोई भी सरकार परोस दे।

निम्न कोटि का मीडिया देखने या पढ़ने वाले लोग –

ये लोग ऊपर बताये सम्मोहन का शिकार होते है। –

  • इनके लिए स्वार्थ ही सब कुछ होता है।
  • ये ज्यादातर अधर्मी होते है। अर्थात धर्म को नहीं मानते, या धर्म परिवर्तन कर चुके होते है।
  • ये सरकार से उसी फ़्री वाली थाली की आशा करते है जिसमे सरकार इन्हे फ़्री राशन, फ्री लाइट, फ्री पानी, कम नंबर की मार्कशीट होने के बाबजूद नौकरी देती है।
  • इन्हे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की फ्री वाली थाली सरकार कही न कही से खरीद कर ला रही है या क़र्ज़ लेकर, इन्हे अपने स्वार्थ
  • से मतलब होता है। आज श्रीलंका और पाकिस्तान स्थिति ऐसी राजनीति के उदाहरण है।
  • सोशल मीडिया पर इनके ग्रुप नौकरी, व्यवसाय, पढाई, विद्यार्थी, तर्कशील, बौद्धिक या बुद्धिमता इत्यादि टॉपिक पर बने होते है, लेकिन
  • इन ग्रुप में झूठ, लालच और स्वार्थ वाली पोस्ट या जानकारी की बाढ़ होती है।
  • इन सोशल मीडिया ग्रुप में – अंध भक्त दूर रहे या गोदी मीडिया Not Allowed आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है। ताकि सिर्फ उनकी ही विचारधारा को आगे बढ़ाया जा सके।
  • धर्म और देशभक्ति का मजाक बनाते है। देशभक्ति को भक्त बोलते है। धर्म परिवर्तन के बाद भी इन ग्रुपो के लोग धर्म को अफीम बोलते है।
  • ये अपने तर्कशील, वैज्ञानिक या बौद्धिक ग्रुप में तर्क करने वाले लोगो को या तो हटा देते है या मच्छरों के समूह की भांति गाली-गलोज करते है।
  • ये इतने सम्मोहित होते है कि कभी कभी तो ये अपने एडमिन को ही गाली देने लगते है अगर कोई पोस्ट इनकी सम्मोहित विचारधारा से अलग प्रतीत होती है तो।

जो मुझे अनुभव हुआ है उसे मैंने तो बता दिया, आपको क्या लगता है कौन है गोदी मीडिया। कमेंट के माध्यम से अवश्य बताये।

Guest Post By प्रदीप सिंह

Disclaimer – यह लेख, लेखक की स्वयं की सोच के अनुरूप में धारणा मात्र है। अन्यथा न ले।

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