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बेरोजगार युवा गांव में 3 बिजनेस कर 5 लाख कमाएं, पैसा सरकार लगाएगी – Village Business Idea

Village Business Idea : यदि आप ग्रामीण क्षेत्र में बसे हुए हैं और अपना व्यापार शुरू करने का सोच रहे हैं, तो ग्रामीण क्षेत्र में ही कुछ व्यापारों हैं जिनसे आप अच्छी कमाई कर सकते हैं। इन व्यापारों का फायदा उन बेरोजगार युवाओं को भी हो सकता है जो पढ़ाई पूरी कर चुके हैं और किसी ऐसे व्यापार की तलाश में हैं जिसे आसानी से ग्रामीण क्षेत्र में संचालित किया जा सकता है। आज हम ऐसे ही तीन व्यापारों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जिनसे आप ग्रामीण क्षेत्र में कम पूंजी लगाकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। यदि इन व्यापारों को बड़ी पैमाने पर शुरू करें, तो आप लाखों रुपये तक की कमाई भी कर सकते हैं। आइए जानते हैं उन तीन Village Business Idea के बारे में।

गांव में कोल्ड स्टोरेज का बिजनेस चलेगा मस्त

ग्रामीण क्षेत्रों में कोल्ड स्टोरेज की कमी के कारण, फल-सब्जियां त्वरित रूप से खराब हो जाती हैं, जिससे किसानों को नुकसान होता है। इस समस्या का समाधान हम कोल्ड स्टोरेज केंद्र खोलकर कर सकते हैं, जिससे हम न केवल किसानों को इस सुविधा से लाभ प्रदान करेंगे, बल्कि अच्छी कमाई भी कर सकेंगे। हम किसानों के फल-सब्जियों को कोल्ड स्टोरेज में रखकर दैनिक भाड़ा लेकर उचित मार्जिन प्राप्त कर सकते हैं। इससे उनके उत्पाद बढ़िया गुणवत्ता में और अधिक दिनों तक ताजगी बनी रहेगी, जिससे उन्हें बाजार में अच्छा मूल्य मिलेगा। हमें बदले में रोजगार द्वारा भाड़ा मिलेगा। यह एक जीत-जीत का सौदा होगा, जहां किसान और हम दोनों को लाभ होगा।

विशेष बात यह है कि कोल्ड स्टोरेज केंद्र स्थापित करने के लिए, सरकार द्वारा किसानों को सब्सिडी प्रदान की जाती है। इसके तहत, सरकारी बैंकों के माध्यम से किसानों को एकीकृत विकास मिशन (एमआईडीएच) के तहत कोल्ड स्टोरेज की स्थापना के लिए क्रेडिट लिंक्ड बैक एंडेड सब्सिडी प्रदान की जाती है। यह सब्सिडी मैदानी और पहाड़ी क्षेत्रों के लिए अलग-अलग होती है। साधारण मैदानी क्षेत्रों में परियोजना लागत के 35 फीसदी की दर से सब्सिडी प्राप्त होती है, जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में परियोजना लागत के 50 फीसदी की दर से सब्सिडी प्राप्त होती है। इसके अलावा, पूर्वोत्तर इलाकों में एक हजार मीट्रिक टन से अधिक क्षमता वाले केंद्रों को भी सब्सिडी का लाभ मिलता है।

गांव में कृषि क्लिनिक खोलें

कृषि मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा नाबार्ड और राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान के सहयोग से एक अद्वितीय योजना शुरू की गई है, जिसके तहत कृषि स्नातकों को विशेष रूप से समर्थन प्रदान किया जाएगा। यह योजना कृषि क्लीनिक खोलकर युवाओं को अच्छी आय के अवसर प्रदान करने का उद्देश्य रखती है। इसके साथ ही, सरकार द्वारा सहायता भी दी जाएगी।

कृषि क्लीनिकों और कृषि व्यवसाय केन्द्रों की योजना अप्रैल 2002 में प्रारंभ की गई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य था ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि स्नातकों को रोजगार देकर आर्थिक रूप से स्थिरता प्रदान करना। सरकार का मुख्य उद्देश्य है किसानों को विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञों के सलाह और सेवाओं के माध्यम से प्रौद्योगिकी, फसल प्रबंधन, कीटनाशकों और रोगों से सुरक्षा, बाजार रुझान, बाजार मूल्य और पशु स्वास्थ्य के बारे में जागरूक करना है। इससे फसलों और पशुओं की उत्पादकता में वृद्धि होगी और किसानों की आय बढ़ेगी। इन कृषि व्यवसाय केन्द्रों के माध्यम से कृषि उपकरण को किराये पर भी दिया जाएगा, जिसे कस्टम हायरिंग सेंटर कहा जाता है।

इस योजना के अंतर्गत, प्रत्येक यूनिट को दो प्रकार की सब्सिडी प्रदान की जाती है। प्रोजेक्ट की पूंजी लागत के 25 प्रतिशत को सब्सिडी के रूप में बैंक ऋण के माध्यम से प्रदान किया जाता है। साथ ही, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला किसानों को 33 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है, जो नाबार्ड योजना के तहत प्रदान की जाती है।

गांव में जैविक खेती से कमा सकते हैं लाखों

वर्तमान में सरकार जैविक खेती को प्रोत्साहित करने में बहुत महत्व दे रही है। रासायनिक खाद के निरंतर उपयोग से भूमि को नुकसान पहुंच रहा है और स्वास्थ्य पर भी असर दिखा रहा है। इसलिए, सरकार की यह इच्छा है कि जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाए। ग्रामीण क्षेत्रों में पढ़े-लिखे युवाओं को जैविक खेती को व्यवसायिक उद्यम के रूप में अपनाकर उन्हें अच्छी कमाई का अवसर मिल सकता है। वर्तमान में बाजार में जैविक उत्पादों की महंगी कीमत प्राप्त होती है। जैविक खेती में खर्च भी कम होता है क्योंकि इसमें महंगी रासायनिक खाद का उपयोग नहीं होता है, बल्कि इसमें गोबर, केचुआं खाद, गौसूत्र इत्यादि प्राकृतिक खादों का प्रयोग किया जाता है। सरकार जैविक खेती के लिए बड़े स्तर पर सहायता प्रदान कर रही है। 75% से लेकर 90% तक सब्सिडी का लाभ प्रदान करती है। जैविक खेती करने वाले किसानों को राज्य सरकार द्वारा प्रति हेक्टेयर 9,000 रुपये की मदद दी जाती है। इस राशि में 1,500 रुपये जैविक बीज, 1,000 रुपये जैविक खाद और 1,000 रुपये हरी खाद के लिए मिलते हैं। इसके अलावा ऐसी तरह के बिजनेस आईडिया के लिए आप हमें Google पर फॉलो कर लें और Telegram चैनल भी जॉइन कर लें।

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