हेल्थ बीमा में को-पेमेंट क्लेम अमाउंट का एक निश्चित प्रतिशत होता है, जिसे बीमाधारक खुद भुगतान करता है. इसको पॉलिसी खरीदते समय तय किया जाता है. इसलिए, जरूरी है कि आप खरीदने से पहले किसी भी लागू को-पेमेंट के बारे में जानने के लिए पॉलिसी दस्तावेजों की जांच कर लें. को-पेमेंट आमतौर पर क्लेम राशि का 10% से 30% तक होता है. इसे एक उदाहरण से समझते हैं. अगर किसी की स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी पर 20 फीसदी को-पेमेंट है और उसने 2 लाख रुपये का दावा किया है तो उसे 40,000 रुपये अपनी जेब से भरने होंगे.
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यह डिडक्टिबल से अलग होता है. इनके बीच प्रमुख अंतर यह है कि को-पेमेंट में क्लेम का निश्चित प्रतिशत आपको भरना होता है, जबकि डिडक्टिबल एक फिक्सड अमाउंट होता है. इसे हर साल तय किया जाता है. हालांकि, इन दोनों लागतों का भुगतान क्लेम के दौरान बीमा कवरेज शुरू होने से पहले ही किया जाता है. साथ ही को-पेमेंट को केवल विशिष्ट कवर या सेवाओं पर भी लागू किया जा सकता है. जैसे, उच्च उपचार लागत वाली बीमारियों पर या इलाज के लिए ऐसे अस्पताल में जाने पर जो इंश्योरेंस कंपनी के अस्पतालों के नेटवर्क से बाहर हो. डिडक्टिबल मेडिकल कवर के पूरे खर्च पर लागू होती है.
को-पेमेंट का फायदा क्या है
ये तभी आपके पक्ष में काम कर सकता है जो आपको पता है कि आप स्वस्थ हैं और आपको हॉस्पिटल जाने या बड़े इलाज की जरूरत निकट भविष्य में नहीं पड़ने वाली है. ऐसा इसलिए क्योंकि इसका सबसे बड़ा लाभ यही है कि इसका प्रीमियम बहुत कम होता है. को-पे जितना बढ़ेगा, प्रीमियम उतना घट जाएगा. इसके अलावा ये किसी भी शख्स को छोटी-छोटी बीमारियों के लिए अस्पताल में भर्ती होने से भी रोकता है.
इस तरह की पॉलिसी लेने के नुकसान
इस तरह की इंश्योरेंस पॉलिसी बहुत ज्यादा पंसद नहीं की जाती है. इसका सबसे बड़ा कारण यही है कि अगर बीमारी के समय आपको जेब से भरना ही पड़ रहा है तो फिर बीमा लेने का लाभ क्या है. यहां बीमा का सारा मकसद ही खत्म हो जाता है. केवल पैसा बचाने के लिए जीवन के साथ खेलने की सलाह जानकारों द्वारा नहीं दी जाती है. को-पेमेंट की वजह से लोग कई बार किसी बड़ी बीमारी को लेकर भी अस्पताल में भर्ती होने नहीं जाते हैं. ये भी इसका एक बड़ा नुकसान है.
क्या आपको खरीदनी चाहिए ये पॉलिसी?
अगर आपको लगता है कि आप रिस्क उठाने के लिए तैयार हैं तो इस पॉलिसी को खरीदा जा सकता है. ये पॉलिसी लेने से पहले किसी भी शख्स को एक बार फुल मेडिकल चेकअप करा लेना चाहिए ताकि किसी छुपी हुई बीमारी की आशंका न रहे.
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