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Term Insurance : टर्म इंश्‍योरेंस लेते समय कभी न करें ये गलती, जानिए किन बातों का रखना चाहिए ध्यान

जीवन की अनिश्चितताओं को देखते हुए अब हर आदमी के लिए टर्म इंश्योरेंस प्लान लेना बहुत जरूरी है. अगर आप सही समय पर टर्म इंश्योरेंस प्लान लेते हैं तो इसके जरिए कम प्रीमियम में अपने परिवार को भविष्‍य में वित्तीय सुरक्षित दे सकते हैं. टर्म इंश्‍योरेंस तब किसी व्‍यक्ति के परिवार की आर्थिक मदद करता है, जब वह दुनिया में नहीं रहता है. इसी लिए टर्म इंश्‍योरेंस लेते वक्त काफी सावधानी बरतनी चाहिए.

इंश्‍योरेंस कंपनियों के दावों और वादों को अच्‍छे से जांच-परख कर और अपनी वित्‍तीय जरूरतों के बारे में सोच समझ कर टर्म इंश्‍योरेंस पॉलिसी खरीदनी चाहिए. बहुत से लोग यह बीमा खरीदते वक्त कुछ गलतियां कर बैठते हैं. ये गलतियां बाद में आप के परिवार के ऊपर बहुत भारी पड़ती हैं.अगर आप भी चाहते हैं कि टर्म इंश्‍योरेंस का पूरा लाभ आपके परिवार को मिले तो यह इंश्‍योरेंस लेने से पहले कुछ बातों का जरूर ध्यान रखें. आमतौर पर लोग जो कॉमन गलतियां करते हैं, आज हम आपको ऐसी ही गलतियों के बारे में बता रहे हैं, जिनकी वजह से टर्म इंश्‍योरेंस पॉलिसी का पूरा फायदा हमको नहीं मिल पाता है.

गलत कवर लेने से बचें
आमतौर पर लोग कितना टर्म इंश्‍योरेंस लेना चाहिए, इसका फैसला करने में गलती कर देते हैं. वे परिवार के खर्चों, लॉन्‍ग टर्म फाइनेंशियल गोल्‍स, लोन और अन्‍य फाइनेंशियल कमिटमेंट का ध्‍यान रखे बगैर टर्म इंश्‍योरेंस कवर ले लेते हैं. होता यह है कि कई बार टर्म इंश्‍योरेंस कवर से सारी जरूरतें पूरी नहीं होती और परिवार को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. टर्म इंश्‍योरेंस कितनी राशि का लेना चाहिए, इसके लिए एक सर्वमान्‍य नियम है. यह नियम है कि आपको अपनी मौजूदा वार्षिक आय से 20 गुना ज्‍यादा टर्म इंश्‍योरेंस कवर लेना चाहिए.

गलत पे-आउट विकल्‍प चुनाव से बचें
क्‍लेम पे-आउट प्‍लान वह साधन है जिससे आपके परिवार को बीमा कंपनी पैसा देगी. टर्म इंश्‍योरेंस में एकमुश्‍त पे-आउट, मंथली इनकम पे-आउट ऑप्‍शन और एकमुश्‍त और मंथली इनकम पे-आउट ऑप्‍शन मिलते हैं. ज्‍यादातर लोग पे-आउट प्‍लान चुनने में लापरवाही बरतते हैं. इससे आगे उनके परिवार को क्‍लेम में मिली राशि को संभालने में दिक्‍कत होती है.

टर्म इंश्‍योरेंस लेते समय राइडर्स की अनदेखी न करें
टर्म इंश्‍योरेंस लेते वक्‍त बहुत से लोग एड-ऑन्‍स जिन्‍हें राइडर्स कहा जाता है. नहीं लेते हैं. राइडर्स कुछ विशिष्‍ट घटनाओं के घटने पर अतिरिक्‍त राशि बीमाधारक को क्‍लेम के रूप में देते हैं. एक्सिडेंटल डिस्‍एबिलिटी राइडर, क्रिटिक्‍ल इलनेस राइडर और एक्सिडेंटल डेथ बेनेफिट राइडर जैसे एड ऑन्‍स बीमा कंपनियां उपलब्‍ध कराती हैं. इनमें से अपनी जरूरत अनुसार राइडर का चुनाव जरूर करना चाहिए.

बीमा कंपनी को सावधानी से चुनें
बीमा कंपनी का चुनाव आमतौर पर ज्‍यादातर लोग उसके क्‍लेम सेटलमेंट रेश्‍यो को देखकर करते हैं. बीमा कंपनी चुनने का यह तरीका सही नहीं है. जरूरी नहीं की जिस कंपनी का क्‍लेम सेटलमेंट रेश्‍यो अच्‍छा है उसकी सेवा भी अच्‍छी ही हो. कई कंपनियां छोटे क्‍लेम निपटाकर अपना क्‍लेम सेटलमेंट रेश्‍यो तो अच्‍छा कर लेती हैं लेकिन, बड़े सेटलमेंट में इनका रिकॉर्ड खराब होता है.

प्रपोजल फॉर्म को गंभीरता से लें
टर्म इंश्‍योरेंस लेते समय ज्यादातर लोग प्रपोजल फॉर्म को पढ़ना जरुरी नहीं समझते और कई बार अनजाने में गलत जानकारी भर देते हैं. अगर आपने प्रपोजल फॉर्म में गलत जानकारी भरी है या फिर किसी जानकारी को जानबूझकर छिपाया है तो कंपनी आगे आपके परिवार को क्‍लेम देने से मना कर सकती है.

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