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Digital app से loan लेने से पहले इन बातों की रखें जानकारी, वरना बाद में पड़ेगा पछताना

आप किसी इमरजेंसी काम के लिए डिजिटल ऐप ( Digital Loan App) की मदद से लोन (Loan) उठाने की सोच रहे हैं तो थोड़ा सजग हो जाइए. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) लोन लेने वाले ग्राहक को कुछ अधिकार देती है. जिसकी जानकारी रखना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है. आप किसी भी तरह के नियमों और जालसाजी में न फंसे इस लिए इन बातों पर ध्यान दें.

Loan देने वाले कौन
डिजिटल तरीके से लोन बांटने के लिए आरबीआई में एक दिशा निर्देश लागू किया है. इस दिशा निर्देश के अनुसार इसमें सभी बैंक, कॉपरेटिव बैंक जिसमें स्टेट और जिला के कॉपरेटिव बैंक भी शामिल है. एनबीएफसी (NBFC) साथ ही हाउसिंग फाइनेंस कंपनी को शामिल किया है. साथ ही बैंक और एनबीएफसी के साथ मिलकर डिजिटल तरीके से लोन बांटने वाले को भी शामिल किया गया है.

चार्ज (शुल्क) की जानकारी लें
डिजिटली तरीके से लोन लेने का यह आपका पहला अनुभव है तो आप लोन लेने से पहले ऋणदाता की ओर से लगाए जाने वाले शुल्क का पता कर लें. लोन लेने वाले ग्राहक को की फैक्ट स्टेटमेंट ( key fact statement) को सावधानी से पढ़ना चाहिए. बैंक को ग्राहक के लोन स्वीकृति होने से पहले key fact statement देना जरूरी है. ग्राहक को लोन के ऊपर लगने वाले सालाना ब्याज दर, एप्लीकेशन फीस, प्रोसेसिंग फीस, लेट पेमेंट फीस, उधार लेते की लागत को जान लीजिए.

Loan केवल आपके अकाउंट में
बैंक द्वारा जो भी लोन आपके द्वारा डिजिटल तरीके से लिया जा रहा है वह डायरेक्ट आपके खाते में आना चाहिए. आपके लोन को बैंक से एक बार स्वीकृति मिलने के बाद लोन की रकम किसी थर्ड पार्टी के पास या किसी पूल खाता पर नहीं जाना चाहिए. वह रकम सीधे आपके बैंक खाते में जाना चाहिए.

बैंक पूरी जानकारी भेजें ग्राहक के ईमेल और फोन
उधार लेने वाले ग्राहक को लोन स्वीकृति हो जाने के बाद बैंक को ग्राहक द्वारा दिए गए ईमेल और फोन नंबर पर लोन से संबंधित सभी जरूरी जानकारियां जैसे मुख्य तथ्य विवरण (key fact statement), खाते का विवरण, लोन सर्विस प्रोवाइडर की प्राइवेसी पॉलिसी की जानकारी, स्वीकृति लेटर, टर्म एंड कंडीशन, ईएमआई की सूचना, अकाउंट का स्टेटमेंट,लोन प्रोडक्ट का समरी देनी चाहिए.

कूलिंग ऑफ़ समय की जानकारी
पहले ये समझते है कि कूलिंग ऑफ़ समय क्या होता है. दरअसल कूलिंग ऑफ़ समय वह समय होता है जिसमें लोन लेने वाला बिना किसी तरह के दंड की राशि भरे बगैर लोन की मूल राशि और सालाना ब्याज की दर बैंक को चुका कर लोन की प्रक्रिया से बाहर हो सकता है. बैंक और एनबीएफसी को आरबीआई ने छूट दी है कि वह अपने अनुसार कूलिंग ऑफ़ समय निर्धारित कर सकता है. आरबीआई कहता है कि 7 दिन से कम लोन अवधि पर 1 दिन का कूलिंग ऑफ होना चाहिए. वहीं 7 दिन से अधिक वाले लोन अवधी पर 3 दिन का होना चाहिए.

भुगतान और जुर्माना
आरबीआई के दिशा निर्देश अनुसार मुख्य तथ्य विवरण (key fact statement) में भुगतान और जुर्माने से संबंधित जानकारी लिखी होनी चाहिए. जिसमें दंडात्मक प्रभार और पेमेंट से पहले लिए जाने वाले प्रभार की दर अगर है तो स्पष्ट रूप से जिक्र होना चाहिए. अगर स्टेटमेंट में इसका उल्लेख नहीं है तो डिजिटल लोन एप्स को यह शुल्क लेकर की अनुमति नहीं है. लोन लेने वाले से केवल शुल्क लेने की अनुमति मुख्य ऋणदाता जो कि बैंक और एनबीएफसी है उनको ही है.

शिकायत कहां करें
डिजिटली लोन एप के मदद से लोन लेने पर किसी तरीके की समस्या का सामना होने पर लोन लेने वाला या उधारकर्ता अपनी समस्या की शिकायत नोडल शिकायत निवारण अधिकारी के पास कर सकता है. नोडल शिकायत निवारण अधिकारी से संपर्क करने का विवरण आपको मुख्य तथ्य विवरण पर मिल जाएगा. अगर वहां नहीं मिलता तो आपको बैंक एनबीएफसी की वेबसाइट पर और लोन एप्स पर मिला जाएगा. शिकायत दर्ज होने के 30 दिनों के अंदर किसी तरह का समाधान न होने पर आप अपनी शिकायत आरबीआई के एकीकृत लोकपाल योजना के तहत शिकायत दर्ज करा सकते हैं.

गोपनीयता मुद्दे
डिजिटल लोन ऐप की मदद से लोन देते समय ऐप को उधार लेने वाले व्यक्ति की डेटा की जानकारी लेने की सहमति लेना जरूरी है. लोन लेने वाले के पास यह पूरी छूट है कि वह अपना डेटा किसी थर्ड पार्टी के साथ शेयर करना चाहता है या फिर नहीं. इसके अलावा ग्राहक का कोई भी बायोमैट्रिक डाटा लोन प्रोवाइड करने वाली एप्स स्टोर नहीं कर सकती. डिजिटल लोन उधार एप्स को इंस्टॉल करने पर ग्राहक की सभी जानकारी भी डिलीट हो जाएगी. आरबीआई की गाइडलाइन के अनुसार ग्राहक अपने फोन के कैमरे, माइक्रोफोन, लोकेशन जैसी जानकारी केवल केवाईसी के लिए ही अनुमति देता है.

साइबर सुरक्षा नीति
ग्राहक को लोन उपलब्ध कराने वाले बैंक और एनबीएफसी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनका ऐप पूरी तरीके से साइबर सुरक्षा जोखिमों से बचने के लिए बनाए गए स्टैंडर्ड का पूरा पालन करता है. बैंक समय-समय पर साइबर सुरक्षा से संबंधित अपडेट स्टैंडर्ड का पालन करता है. बैंक अपने ग्राहकों के डाटा को सुरक्षित रखता है साथ ही उसका किसी तरीके से दुरुपयोग होने से रोकता है.

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