Joshimath Sinking: उत्तराखंड (Uttarakhand) के जोशीमठ (Joshimath) में जमीन धंसने के मामले में एक नया मोड़ आ गया है। यहां अब तक 826 इमारतों में दरारें आ चुकी हैं। इनमें से 165 असुरक्षित क्षेत्र में शामिल हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि जोशीमठ में चल रहा एनटीपीसी की टनल (NTPC Tunnel) का काम इस आपदा के लिए जिम्मेदार है। इसी बीच वहीं मंगलवार को एनटीपीसी परियोजना (NTPC) से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने चौंकाने वाला खुलासा किया है।
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NTPC के अपर महाप्रबंधक ने दिया ये बयान
जोशीमठ के लोगों की ओर से एनटीपीसी टनल के काम को भूमि धंसने की स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। अब इस मुद्दे पर एनटीपीसी के अपर महाप्रबंधक जियोलॉजी भुवनेश कुमार ने बयान आया है। उन्होंने कहा है कि जमीन धंसना यहां (जोशीमठ) का पुराना मुद्दा है। इस सुरंग (एनटीपीसी की एक परियोजना) का इससे कोई संबंध नहीं है। यह 12 किलोमीटर की सुरंग एक बोरिंग मशीन द्वारा खोदी गई है।
… तो सबसे पहले टन ही प्रभावित होती
उन्होंने बताया कि वर्तमान में इस सुरंग में कोई विस्फोट नहीं किया जा रहा है। इसमें पानी भी नहीं भरा गया है। यदि जमीन का धंसाव इसके कारण हुआ होता, तो इससे पहले सुरंग प्रभावित होती। इस सुरंग के कारण भूमि के धंसने की कोई संभावना नहीं है।
ड्रिल बोरिंग से बनी है सुरंगः मुख्य महाप्रबंधक
एनटीपीसी के मुख्य महाप्रबंधक आरपी अहिरवार ने एएनआई को बताया कि जोशीमठ में (NTPC) टनल और लैंड सब्सिडेंस के बीच कोई संबंध नहीं है। 12 किमी में 8 किमी की सुरंग को ड्रिल बोरिंग और बाकी ब्लास्टिंग से बनाया जाएगा। टनल के जिस क्षेत्र में ब्लास्टिंग की जाएगी, वह जोशीमठ से 11 किमी की दूरी पर है। टनल भी जोशीमठ से नहीं गुजर रही है। इसलिए इस टनल के निर्माण से जमीन धंसने की कोई संभावना नहीं है।
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