गजानन माधव 'मुक्तिबोध' के का मूल्यांकन
हिन्दी काव्य-जगत् में कविश्रेष्ठ गजानन माधव मुक्तिबोध' एक विद्रोही कवि के रूप में अवतग्नि हुए। इन्होंने पद, प्रतिष्ठा और उन्नति की लालसा से युक्त बुद्धिजीवियों की मानसिक दासता पर तीखा प्रहार किया।
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हिन्दी काव्य-जगत् में कविश्रेष्ठ गजानन माधव मुक्तिबोध' |
जीवन-परिचय
मुक्तिबोधजी का जन्म ग्वालियर के एक कस्बे में सन् 1917 ई० में हुआ था। इन्होंन बी०ए० तक शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् अध्यापक एवं पत्रकार के रूप में कार्य किया। सन् 1964 ई० में इनका निधन हो गया।
साहित्यिक व्यक्तित्व
गजानन माधव 'मुक्तिबोध' कवि, कथाकार, समीक्षक, विचारक एवं पत्रकार के रूप में प्रतिष्ठित रहे हैं। इनका व्यक्तित्व अपनी पूरी पीढ़ी में विशिष्ट रहा है।
प्रयोगवादी कविता से सम्बद्ध अन्य कवि रूमानी कविता से अलग हटकर नया प्रयोग करते हुए भी रूमानी संवेदना एवं भाषा से मुक्त नहीं हो सके, किन्तु मुक्तिबोध ने इससे पूर्णत: मुक्त भाषा एवं परिवेश के माध्यम से जीवन के गहन भावों को अभिव्यक्ति दी। इसलिए अनेक विद्वान् सच्चे अर्थों में इन्हें ही प्रयोगवादी कविता का अग्रज कवि मानते हैं। कृतियाँ 'चाँद का मुँह टेढ़ा है', 'भूरी-भूरी खाक धूल' आदि। काव्यगत विशेषताएँ
गजानन माधव 'मुक्तिबोध' के काव्य में भावों की गहनता एवं यथार्थ जीवन की पीड़ा को अभिव्यक्ति मिली है। इनकी काव्यगत विशेषताएँ अग्रलिखित हैं---
भावपक्षीय विशेषताएँ
प्रयोगवादी कविता के श्रेष्ठतम कवि माने जानेवाले मुक्तिबोधजी के काव्य में जगत् के यथार्थ जीवन का व्यापक अनुभव सशक्त भाव में मुखरित हुआ है। परिवेश - बोध, सामाजिक चिन्तन एवं अनुभव-वैचित्र्य के भावों को अभिव्यक्ति देने में इन्हें विशिष्टता प्राप्त रही है। प्रयोगवादी प्रवृत्ति की कुण्ठा एवं निराशा के स्वर का तिरस्कार कर इन्होंने स्वस्थ एवं मंगलकारी रूप में यथार्थ की अभिव्यक्ति की है।
कलापक्षीय विशेषताएँ
प्रयोगवादी काव्य का बिम्बविधान प्रवृत्ति से ही अव्यवस्थित एवं अनगढ़ रहा है। मुक्तिबोधजी के काव्य में भी यह अव्यवस्था दृष्टिगोचर होती है। इनकी बिम्ब - रचना में सघनता और स्पष्टता का अभाव है।
इन्होंने काल्पनिक एवं जादुई प्रतीकों के माध्यम से बिम्बों का निर्माण किया है, जो संवेदनात्मक अनुभूति की तीव्रता को तो प्रदर्शित करते हैं, किन्तु मस्तिष्क में किसी स्पष्ट चित्र का निर्माण नहीं करते। इनकी भाषा साहित्यिक है, जो कहीं-कहीं क्लिष्ट होकर अभिव्यक्ति की तीव्रता को भी प्रभावित करती है।
हिन्दी - साहित्य में स्थान
प्रयोगवादी धारा के कवियों में गजानन माधव मुक्तिबोध' को एक महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। इन्हें प्रयोगवाद का श्रेष्ठ कवि समझा जाता है।