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Karnataka Yudh | yurop aur Britain

Karnataka Yudh  | yurop aur Britain

 कर्नाटक युद्ध  में
Karnataka Yudh  आश्चर्य युद्ध से प्रभावित था 1740 में शुरू हुआ था यूरोप और ब्रिटेन एक दूसरे के बीच विरोधी थे इसलिए अंग्रेज और प्राणियों के बीच युद्ध हुआ है यह Karnataka Yudh  1746 को हुआ था डूप्ले जो पांडिचेरी का गवर्नर था  डूप्ले ने फ्रांस यों के जहाजों पर कब्जा कर लिए मद्रास में कब्जा किया धूप लेने मॉरीशस के गवर्नर के सहयोग से ला बूड्रोन घेरा डालकर डूप्ले  अपने मकसद में कामयाब रहा

Karnataka Yudh  

    प्रथम कर्नाटक युद्ध कब हुआ (Karnataka Yudh)

    प्रथम कर्नाटक युद्ध ऑस्ट्रेलिया के उत्तराधिकार से प्रभावित 1740 से शुरू हुआ यूरोप में फ्रांस और ब्रिटेन के एक दूसरे के विरोधी थे इसलिए भारत में इन दोनों का असर पड़ा अंग्रेज और फ्रांस सेना के बीच 1740 में युद्ध हुआ था

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    कर्नाटक का प्रथम युद्ध सेंट टोपे के युद्ध के लिए है यह युद्ध ब्रांच शिव सेना एवं कर्नाटक के नवाब अनवर उद्दीन के मध्य लड़ा झगड़ा फ्रांसीसी द्वारा मद्रास की विजय पर हुआ जिसका परिणाम फ्रांस के पक्ष में रहा क्योंकि कैप्टन पैराडाइज ने के नेत्र में फ्रांसीसी सेना ने महफूज खां के नेतृत्व में लड़ रही भारतीय सेना को अजमार नदी पर स्थित सेंट टो में नामक स्थान पर पराजित कर दिया

    "ऑस्ट्रेलिया का उत्तराधिकारी युद्ध जो 1740 वर्ष शुरू हुआ था और अप्रत्यक्ष रूप से प्रथम कर्नाटक युद्ध के लिए भी उत्तरदाई था 1748 में संधी ला चैपल की संधि के द्वारा समाप्त हो गया इस संधि के तहत प्रथम कर्नाटक युद्ध समाप्त हुआ और संधि में निश्चित की गई शर्तों के अनुसार फ्रांसीसी होने मद्रास अंग्रेजों को वापस कर दिया"

    द्वितीय कर्नाटक युद्ध कब हुआ था Karnataka Yudh

    कर्नाटक के प्रथम युद्ध की सफलता से डुप्ले की महत्वकांक्षी बढ़ गई थी लेकिन कर्नाटक का दूसरा युद्ध हैदराबाद तथा कर्नाटक के सिंहासनओं के विवादास्पद उत्तर अधिकारियों के कारण हुआ

    हादसा जिसमें दक्कन के स्वतंत्र राज्य की स्थापना की थी उसका उत्तराधिकारी बना लेकिन उसके भतीजे मुजफ्फर जंग ने इस दावे को चुनौती दी दूसरी ओर कर्नाटक के नवाब अनवर उद्दीन तथा उसके बहनोई चंदा साहिब के बीच विवाद था

    फ्रांस तथा ब्रिटिश कंपनियों ने एक-दूसरे के विरोधी गुट को समर्थन देकर इसे भड़काना शुरू किया डुप्ले ने मुजफ्फर जंग को दक्कन की सुविधा दी तथा चंदा साहेब को कर्नाटक की सुविधा दी के लिए समर्थन दिया जबकि अंग्रेजों ने ना सिर्फ जंग एवं अनवर उद्दीन को दक्कन एवं कर्नाटक की सुविधा दी के लिए समर्थन दिया

    मुजफ्फर चंदा साहिब फ्रांस सेनाओं ने 1749 में वेल्लोर के समीप अंबूर स्थान पर अनवर उद्दीन को हराकर मार डाला 1750 में नासिर भी एक संघर्ष में मारा गया इस प्रकार मुजफ्फर जंग दक्कन के तथा चंदा साहिब कर्नाटक की सुविधा बन गए

    अपनी जीत के उपहार स्वरूप मुजफ्फर जाने डूप्ले को कृष्णा नदी के दक्षिणी भाग में मुगल प्रदेशों को प्रदेश का गवर्नर नियुक्त कर दिया मुजफ्फर हैदराबाद में उसी की अध्यक्षता में सेना की नियुक्ति की मृत्यु के बाद सलाबत को नया सुवेदार बनाया गया

    जिसमे सुविधा के बदले में फ्रांशियो को उत्तरी सरकार का क्षेत्र जिसमें मुस्तफा नगर चिरकाल एलोरा एवं राजमुंद्री के क्षेत्र शामिल थे इस सफलता से उत्साहित है
    किंतु फ्रांशिओ के लिए आने में देर लगी क्योंकि ब्रिटिश बदले की भावना पर उतारू थे

    व्यक्तिगत रूप से भी अपूरणीय क्षति हुई इस असफलता के बाद वापस बुला लिया गया 1754 में भारत में फ्रांसीसी प्रदेशों का गवर्नर जनरल का उत्तराधिकारी नियुक्त किया गया भारत ने इंग्लैंड की कंपनियों के साथ प्रयास किया जिसके परिणाम जनवरी 1755 की हुई द्वारा दोनों पक्ष युद्ध विराम पर सहमत हो गए कुल मिलाकर इस युद्ध में अंग्रेजो की स्थिति मजबूत रही

    तीसरा कर्नाटक युद्ध कब हुआ Karnataka Yudh

    कर्नाटक का तीसरा युद्ध शब्द वर्षीय युद्ध का ही एक अंश था सप्त वर्षीय युद्ध में फ्रांस ने ऑस्ट्रेलिया को तथा इंग्लैंड ने प्रशा को समर्थन देना शुरू किया जिसके परिणाम स्वरुप भारत में फ्रांसीसी और अंग्रेजी सेना में युद्ध प्रारंभ हुआ

    1757 में फ्रांसीसी सरकार ने अकाउंट लाली को इस संघर्ष से निपटने के लिए भारत भेजा दूसरी और बंगाल पर कब्जा करके अपार धन अर्जित कर कर लेने के कारण अंग्रेज ढक्कन को जीत पाने में सफल रहे लाली ने 1758 में फोर्ट सेंट डेविड को अपने अधिकार में ले लिया परंतु उसका तंजौर पर अधिकार करने का सपना पूरा नहीं हो सका

    की व्यक्तिगत एवं फ्रांस की छवि पर बुरा असर पड़ा लाली ने उसी को हैदराबाद से बुलवाया ताकि वह इस युद्ध में अपनी स्थिति को मजबूत कर सके लेकिन 1760 में अंग्रेजी सेना ने सर आयकर कूट के नेतृत्व में बांडी वास की लड़ाई हुई

    1761 में ही अंग्रेजों ने फ्रांस से पांडिचेरी को छीन लिया इसके बाद जिन जी तथा माही पर अंग्रेजो का कब्जा हो गया निवास का युद्ध साथियों के लिए निर्णायक युद्ध था क्योंकि जान सच में समझ में यह बात पूर्ण रूप से आ चुकी थी कि वह कम से कम भारत में ब्रिटिश कंपनी के रहते सफल नहीं हो सकते

    चाहे में उत्तर पूर्व या पश्चिम या फिर दक्षिण भारत 1763 में संपन्न हुई पैरिस संधि के द्वारा अंग्रेजों ने चंद्रनगर को छोड़कर शेष अन्य प्रदेश जोफ्रान से शिव के अधिकार में थे 1749 तक वापस कर दिया और क्षेत्र भारत के स्वतंत्र होने तक इनके पास बने रहे

    कर्नाटक की युद्ध फ्रांसिसियो असफलता Karnataka Yudh

    1. फ्रांसीसी अत्याधिक महत्व कांचा के कारण यूरोप में अपनी प्राकृतिक सीमा इटली बेल्जियम जर्मनी तक बढ़ाने का प्रयत्न कर कर रहे थे और भारत के प्रति व्यक्ति ने गंभीर नहीं थे
    2. दोनों कंपनियों में गठन तथा संरक्षण की दृष्टि से काफी अंतर था फ्रांसीसी कंपनी जहां पूर्ण रूप से राज्य पर निर्भर थी वही ब्रिटिश कंपनी व्यक्तिगत स्तर पर कार्य कर रही थी
    3. फ्रांसीसी नौसेना अंग्रेजी नौसेना की तुलना में काफी कमजोर थी
    4. भारत में बंगाल पर अधिकार कर अंग्रेजी कंपनी ने अपनी स्थिति को आर्थिक रूप से काफी मजबूत कर लिया था दूसरी और फ्रांसीसी को पांडिचेरी से उतना लाभ बिल्कुल नहीं हुआ जितना अंग्रेजों को बंगाल से हुआ
    5. अल्फ्रेड लाल ने फ्रांस की असफलता के लिए फ्रांसीसी व्यवस्था के खोखले पन को दोषी ठहराया उसके अनुसार ढोकले की वापसी ला बूड्रोन ने तथा डडास की भूले लाली की अदामत्यता से भी अधिक लुइ 15 वे की भ्रांति पूर्ण नीति तथा उसके अक्षम मंत्री फ्रांस की असफलता के लिए उत्तरदाई थे

    डूप्ले था बूसी  द्वारा फ्रांसीसी सेना का नेतृत्व उच्च स्तर का नहीं था जितना क्लाइव सांडर्स वा लों रेंस का नेतृत्व रूप लेकर उत्तरदायित्व को भी यदि फ्रांससियो की पराजय का कारण माना जाए तो अतिशयोक्ति न होगी

    वह राजनीतिक षड्यंत्र में इतना उलझ गया था कि उसे वहां से वापस लौटना भी काफी कठिन मालूम हो रहा था और इन सब का सम्मिलित प्रभाव फ्रांसिस यूके भारतीय व्यापार पर पड़ा

    यूरोपीय व्यापारिक कंपनी से संबंध व्यक्तित्व Karnataka Yudh

    1. वास्कोडिगामा 1498 में भारत आने वाला प्रथम यूरोपियन यात्री
    2. पेट्रो अल्वारेस कैब्राल भारत आने वाला दूसरा पुर्तगाली
    3. फ्रांस इकोडियल मेडा भारत का पहला पुर्तगाली गवर्नर
    4. जान मिडेन हाल भारत आने वाला पहला ब्रिटिश नागरिक
    5. कैप्टन हॉकिंस भारत आने वाला पहला अंग्रेज दूध जिसने सम्राट जहांगीर से भेंट की यह फारसी भाषा का ज्ञाता आगरा में 3 साल तक रहा जहांगीर ने प्रसन्न होकर इसे 400 का मनसब दिया था
    6. गैर ओल्ड आंगीआर मुंबई का वास्तविक संस्थापक है
    7. जॉब चार नाक कोलकाता का संस्थापक है
    8. चार्ल्स आयल फॉर विलियम कोलकाता का प्रथम शासक
    9. विलियम मॉरिस 1638 में स्थापित ब्रिटिश कंपनी ट्रेडिंग इन द ईस्ट का दूध जो व्यापारिक विशेषाधिकार हेतु औरंगजेब के दरबार में उपस्थित हुआ
    10. फ्रैंको मार्टिन पांडिचेरी का प्रथम फ्रांसीसी गवर्नर
    11. फ्रांसिस डे मद्रास चेन्नई का संस्थापक
    12. शोभा सिंह वर्धमान का जमीदार 1690 में अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह किया
    13. इब्राहिम खां कोलकाता गोविंदपुर तथा सूतानती का जमीदार
    14. जॉन सरमन मुगल सम्राट फारुखशीयर से विशेष व्यापारिक सुविधा प्राप्त करने वाला शिष्टमंडल का मुखिया
    15. फादर मानसर इट अकबर के दरबार में पहुंचने वाले प्रथम शिष्टमंडल का अध्यक्ष
    16. फैरौन फ्रैंक भारत में सूरत में प्रथम फ्रांसीसी फैक्ट्री का संस्थापक

    Faq

    Q1.द्वितीय युद्ध कर्नाटक किसके बीच हुआ था दीप्ति कर्नाटक युद्ध 1750 से 1754 तक हुआ
    द्वितीय युद्ध अंग्रेजों और फ्रांस के बीच लड़ा गया था

    Q2. कर्नाटक तृतीय युद्ध कब हुआ
    1756 -1763

    Q3.द्वितीय  कर्नाटक युद्ध में कौन सी संधि हुई
      ला चैपल की शांति संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे
    Q4.द्वितीय कर्नाटक युद्ध कौन जीता
    रॉबर्ट क्लाइव के अंतर्गत के युद्ध अंग्रेजी सरकार जीती थी
    Q5.अंग्रेजी और फ्रांस में के बीच कौन सा युद्ध हुआ था कर्नाटक युद्ध

    Q6.कर्नाटक युद्ध किसने जीता था इनके बीच हुआ था
    अंग्रेजी सरकार फ्रांसिस  जोशेफ फ्रॉक कोईस डुप्ले मेजर स्ट्रिंगर लॉरेंस अनवर उद्दीन खान कर्नाटक के नवाब परिणाम: आनिर्णायक
    Q7. अंग्रेजों ने भारत में कितने युद्ध लड़े
    तीन युद्ध लड़े 1775 1819 तक





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