नई दिल्ली. 70 के दशक के दौरान एक एक्टर की बॉलीवुड इंडस्ट्री में एंट्री हुई. इस एक्टर ने विलेन, सपोर्टिंग रोल्स और बतौर लीड एक्टर के तौर पर काम किया. उस दौर में जब मिथुन चक्रवर्ती और अमिताभ बच्चन जैसे स्टार्स बुलंदियों पर थे, तब इस स्टार ने अपनी एंट्री से उभरते सितारों को तगड़ा कम्पटीशन दिया था. 45 साल के करियर में उन्होंने अपनी दमदार अदाकारी और बेमिसाल आवाज के बल पर बॉलीवुड में लाखों लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाने वाले इस एक्टर ने अपनी पहचान बनाने के लिए काफी मेहनत की थी.
फिल्मों में लीड एक्टर हो या एक्ट्रेस फिल्म के हिट होने का 70 प्रतिशत श्रेय उन्हीं को जाता है, लेकिन सच्चाई ये है कि कोई भी फिल्म बिना विलेन और कैरेक्टर रोल्स के अधूरी है. बॉलीवुड में यूं तो कई एक्टर और एक्ट्रेसेस ऐसी हैं, जिन्होंने अपनी अदाकारी का लोहा मनवाया. लेकिन एक हीरो ऐसा भी है, जिसने रईस परिवार में जन्म लिया और बचपन रिफ्यूजी कैंप में काटा. बड़ा हुआ तो सपनों को साकार करने के लिए 400 रुपये लेकर मायानगरी पहुंच गया.
चीनी-रोटी खाकर किया गुजारा
हम बात कर रहे हैं बॉलीवुड एक्टर सुरेश ओबेरॉय की, जिनका जन्म 17 दिसंबर 1946 को क्वेटा, पाकिस्तान में हुआ था. पाकिस्तान में सुरेश ओबेरॉय के पिता का अच्छा-खासा रियल एस्टेट का बिजनेस था. लेकिन सुरेश के जन्म के एक साल बाद, उनका परिवार भारत आ गया. भारत-पाकिस्तान विभाजन के दौरान उनका परिवार क्वेटा, पाकिस्तान से हैदराबाद चला गया था. उस दौरान उन्हें रिफ्यूजी कैंप में रहना पड़ा. खाने के लिए दाल-चावल और रोटी तक नहीं थी. ऐसे में उन्हें सिर्फ चीनी और रोटी खाकर ही गुजारा करना पड़ता था.
पिता जब मुस्लिम बन फिर पहुंचे पाकिस्तान
सुरेश ओबेरॉय के बचपन के दिन बेहद गरीबी में बीते उन्होंने एक इंटरव्यू को दौरान बताया था कि हम चार भाई-बहनों में सबसे छोटे थे. रिफ्यूजी कैंप में जब हालत ज्यादा खराब हो गए और गुजारा करना मुश्किल हो गया तब उनके पिता ने किसी तरह पाकिस्तान जाने की हिम्मत दिखाई. वह वहां मुसलमान बन कर किसी तरह गए और किसी तरह उन्होंने वहां की प्रॉपर्टी और बिजनेस बेचा. तब फिर वह इंडिया आए और उन पैसों से उनके पिता ने भारत में अपना घर बसाया.
सपोर्टिंग रोल्स ने दिलाई पहचान
महज 400 रुपये जेब में लेकर वो मायानगरी मुंबई एक्टिंग की दुनिया में अपना भाग्य अजमाने आए थे. सुरेश ओबेरॉय ने 1977 में फिल्म ‘जीवन मुक्त’ से डेब्यू किया था. उन्होंने साल 1980 में रिलीज हुई फिल्म ‘एक बार फिर’ में लीड एक्टर की भूमिका निभाई. लीड एक्टर के तौर पर कई फिल्में की, लेकिन जब फिल्में नहीं चली तो उन्होंने सपोर्टिंग रोल पर ध्यान दिया और उनका करियर चल निकला. ‘लावारिस’, ‘विधाता’,’नमक हलाल’, ‘कामचोर’ जैसी फिल्मों से लोग उनको जानने लगे.
करियर शुरू होने से पहले की शादी
सुरेश ओबेरॉय ने करियर शुरू होने से पहले ही अपना घर बसा चुके थे. उन्होंने 1 अगस्त 1974 को यशोधरा से मद्रास में शादी की थी. उनकी पत्नी पंजाबी परिवार से हैं. कपल के बेटे का नाम विवेक ओबेरॉय जो कि एक्टर हैं और बेटी का नाम मेघना ओबेरॉय हैं.
सलमान खान से है बेटे की कट्टर दुश्मनी
सुरेश के बेटे विवेक ने अपने करियर की सफल शुरुआत की थी, लेकिन सलमान खान के साथ पग्गा लेकर उन्होंने सब कुछ खत्म कर लिया. बॉलीलुड के कट्टर दुश्मनों की लिस्ट में विवेक और सलमान का नाम शुमार है.
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Tags: Entertainment Special, Salman khan, Vivek oberoi
FIRST PUBLISHED : August 18, 2023, 18:20 IST
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