जय महाकाल
नमस्कार दोस्तों आपका एक बार फिर से मेरे ब्लॉग में हार्दिक स्वागत है |
दोस्तों आज का ब्लॉग मेरे भाई समान मित्र की इच्छा पर लिखा जा रहा है और मेरे उस प्रिय मित्र का नाम है ओजस दुबे |
दोस्तों आज हमारी चर्चा का विषय उससे पर है जिसके ऊपर हाल ही में फिल्मी बनी थी जिसको लेकर काफी विवाद भी हुआ था और काफी जगहों पर इस फिल्म को लगाने की अनुमति भी नहीं दी| यह फिल्म इसी साल के 25 फरवरी को रिलीज हुई थी| तो इतना पढ़ कर दोस्तों आप तो समझ ही गए होंगे कि यह ब्लॉग महारानी पद्मिनी पर है| परन्तु ऐसा नहीं है, यह ब्लॉग उस महान योद्धा पर है जिसे उस फिल्म में दिखाया तो गया था पर उसे के किरदार के व्यक्तित्व को अच्छे से नहीं बताया जा सका | इसके अलावा यह उन योद्धाओं पर भी है जो अगर उस समय ना होते तो उस समय रावल रतन सिंह जीवित नहीं बचते | जी हां दोस्तों मैं बात कर रहा हूं मेवाड़ राज के महान सेनापति गोरा सिंह चुंडावत की और उनके भतीजे बादल सिंह चुंडावत की|. तो आइए शुरू करते है|
दोस्तों आज हमारी चर्चा का विषय उससे पर है जिसके ऊपर हाल ही में फिल्मी बनी थी जिसको लेकर काफी विवाद भी हुआ था और काफी जगहों पर इस फिल्म को लगाने की अनुमति भी नहीं दी| यह फिल्म इसी साल के 25 फरवरी को रिलीज हुई थी| तो इतना पढ़ कर दोस्तों आप तो समझ ही गए होंगे कि यह ब्लॉग महारानी पद्मिनी पर है| परन्तु ऐसा नहीं है, यह ब्लॉग उस महान योद्धा पर है जिसे उस फिल्म में दिखाया तो गया था पर उसे के किरदार के व्यक्तित्व को अच्छे से नहीं बताया जा सका | इसके अलावा यह उन योद्धाओं पर भी है जो अगर उस समय ना होते तो उस समय रावल रतन सिंह जीवित नहीं बचते | जी हां दोस्तों मैं बात कर रहा हूं मेवाड़ राज के महान सेनापति गोरा सिंह चुंडावत की और उनके भतीजे बादल सिंह चुंडावत की|. तो आइए शुरू करते है|
मित्रों यह बात है सन 1300 ई. की जब रावल रतन सिंहके पिता समर सिंह का देहांत हो जाता है तब रावल रतन सिंह अश्वमेध यज्ञ करने का प्रण लेते है और वो साथ ही-साथ यह प्रण भी लेते हैं की वो दिल्ली से लेकर दक्षिण में सिंघल द्वीप (श्रीलंका) तक अपना राज बढायेंगे| ताकि भारत को कोई विदेशी
Related Articles
This post first appeared on खूब लड़ी मरà¥à¤¦à¤¾à¤¨à¥€....., please read the originial post: here