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CBSE 12th 2020 Board Remaining Exams Update | CBSE students can be left behind due to delays in examinations, the cutoff list of DU is also dependent on CBSE result | सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पैनिक में आए स्टूडेंट्स, बोले- अच्छे कॉलेजों में एडमिशन को लेकर उलझन बढ़ेगी

  • कुल 29 विषयों की परीक्षा होनी थी, इनमें से 6 विषय की परीक्षा उत्तर पूर्वी दिल्ली में 10वीं क्लास के छात्रों के लिए होनी थी
  • सीबीएसई ने 18 मार्च को 12वीं की एग्जाम टाल दी थी, अब इसके 12 पेपर 1 से 15 जुलाई के बीच होने थे

दैनिक भास्कर

Jun 25, 2020, 03:31 PM IST

नई दिल्ली.

CBSE परीक्षाओं पर सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखा जिसके बाद कोर्ट ने एग्जाम कैंसल फैसला सुना दिया है। कोरोना के मामलों के बीच स्टूडेंट और पैरेंट्स के साथ ही कई राज्य भी परीक्षाओं को रद्द करने के पक्ष में अपनी राय दे रहे थे। परीक्षाओं के कैंसल होने से अब CBSE स्टूडेंट्स एक साल पिछड़ सकते हैं और उन्हें अच्छे कॉलेजों में एडमिशन लेने में बाधा आ सकती है।

स्टेट बोर्ड की परीक्षाएं पूरी, पिछड़ सकते हैं CBSE स्टूडेंट्स

देश के करीब 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 12वीं बोर्ड की परीक्षाएं पूरी हो चुकी है। इसमें बिहार, तेलंगाना, उत्तर, प्रदेश, केरल, झारखंड, तमिलनाडु, कर्नाटक, मध्य प्रदेश आदि शामिल है। अब जिन राज्यों में परीक्षाएं पूरी हो चुकी है, वह जल्दी ही कॉलेज और विश्वविद्यालयों में एडमिशन के लिए अपनी प्रवेश प्रक्रिया शुरू करेंगे। ऐसे में CBSE की परीक्षा के कैंसल होने से अब पिछड़ सकते हैं।

CBSE के रिजल्ट के बाद ही जारी होती है डीयू की कटऑफ लिस्ट 

परीक्षाओं के कैंसल होने की वजह से हुई देरी के चलते कई CBSE स्टूडेंट्स को इन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के कॉलेज और विश्वविद्यालय में एडमिशन की प्रक्रिया से वंचित रहना पड़ सकता है। कोर्ट के निर्देश के बाद ही दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) और बाकी कॉलेज अपनी कटऑफ लिस्ट जारी करते हैं। ऐसे में अब यूनिवर्सिटी में प्रवेश की पूरी प्रक्रिया भी प्रभावित होना तय है।

स्टूडेंट्स की प्रतिक्रिया – अब सिचुएशन और पैनिक हो जाएगी

नोएडा में 11th की पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट आदि कृष्णा कहते हैं कि अगर यही पैटर्न आईसीएसई बोर्ड फॉलो करता है तो अब उन स्टूडेंट्स को खासी दिक्कत होने वाली है, जो मार्क्स के आधार पर करिअर की दिशा तय करने वाले थे। जो पहले से ही किसी कॉम्पिटीटिव एग्जाम की तैयारी कर रहे हैं, उन्हें ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। 

इंदौर में जेईई की तैयारी कर रहे 12th के स्टूडेंट्स यथार्थ माहेश्वरी कहते हैं, पिछले साल भी 12वीं की ही परीक्षा दी थी। स्कोर सुधारने के लिए ड्रॉप लिया। लक्ष्य रखा था कि इस बार अच्छा स्कोर करूंगा, जिससे बेहतर कॉलेज में एडमिशन मिल सके। जनरल प्रमोशन हुआ तो बेहतर कॉलेज में एडमिशन पाना इस साल भी चुनौती पूर्ण होगा।

एंट्रेंस एग्जाम को लेकर भी फाइनल डेट्स नहीं आई हैं। डर है कहीं ऐसा न हो कि एकदम कहा जाए पांच दिन बाद एंट्रेंस एग्जाम है। सिचुएशन पैनिक हो गई है। कम्प्यूटर साइंस में ग्रेजुएशन करना चाहता हूं। फैसला ऐसे समय आ रहा है, जब यह एनालिसिस करने का भी समय नहीं है कि कौन सा कॉलेज मेंरे लिए बेहतर होगा। अप्रैल में ही फाइनल डिसीजन हो जाना चाहिए था। 

भोपाल के 12th के स्टूडेंट्स अरूज खान कहते हैं कि मेरा सिर्फ बिजनेस का ही पेपर बचा था। जनरल प्रमोशन होने से मेरे करिअर प्लान पर सीधे तौर पर कोई असर नहीं होगा। हां, ये जरूर है कि जिस सब्जेक्ट का पेपर बचा हुआ है वही स्कोरिंग हो सकता था। इससे फाइनल स्कोर पर विपरीत असर प़ड़ेगा।

रिजल्ट के बाद बीबीए में एडमिशन लेना है, साथ में कैट की तैयारी करूंगा। जिससे ग्रेजुएशन के बाद आईआईएम में एडमिशन मिल सके। जिन्हें ग्रेजुएशन में एंट्रेंस एग्जाम के आधार पर एडमिशन लेना है, उन्हें कोई खास दिक्कत नहीं होगी। लेकिन, जिनका एडमिशन मैरिट के आधार पर होगा, उनके लिए जनरल प्रमोशन परेशानी खड़ी कर सकता है। 

  • एजूकेशनिस्ट की प्रतिक्रिया: मैरिट के आधार पर प्रवेश लेने वाले स्टूडेंट्स के लिए चुनौती

आईआईटी दिल्ली के पूर्व प्रोफेसर और एजूकेशनिस्ट प्रो. अजॉय घातक कहते हैं कि इस फैसले का जेईई, जेईई एडवांस्ड और नीट जैसी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स के करिअर पर सीधे तौर पर कोई असर नहीं होगा। क्योंकि इन स्टूडेंट्स का एडमिशन एंट्रेंस एग्जाम के आधार पर ही होना है। इसके उलट, जो स्टूडेंट्स बीएससी (ऑनर्स), बीए (ऑनर्स) या इकोनॉमिक (ऑनर्स) जैसे कोर्सेस की तैयारी कर रहे हैं। उनके लिए स्थिति चुनौतीपूर्ण होने वाली है। क्योंकि इन कोर्सेस में अधिकतर इंस्टीट्यूट मैरिट पर ही एडमिशन देते हैं।
डीयू जैसे इंस्टीटूयूट में कटऑफ का दायरा हर साल बढ़ रहा है। 99% तक कटऑफ पहुंच रहा है। अगर इस साल 12वीं करने वाले स्टूडेंट्स ने ऐसे किसी संस्थान में एडमिशन लेने का लक्ष्य रखा होगा, तो अब वो क्या करेगा ये भी बड़ा सवाल है। फिलहाल यही उम्मीद कर सकते हैं कि इंटरनल असेसमेंट पारदर्शिता के साथ किया जाए।

  •  सांइस के छात्रों पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा:  आईआईटी कानपुर के प्रो. धीरज सांघी

आईआईटी कानपुर के कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के सीनियर प्रोफेसर और पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज के निदेशक प्रो. धीरज सांघी बताते हैं कि सीबीएसई की परीक्षाएं रद्द होने से उन छात्रों को दिक्कत नहीं होगी जो आगे इंजीनियरिंग या मेडिकल का कोर्स करना चाहते हैं। ऐसे छात्रों की चार प्रमुख विषयों की परीक्षाएं हो चुकी हैं। एक अन्य में एवरेज मार्क्स मिलने से छात्र के ओवरऑल परफॉर्मेंस पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।

हालांकि सीबीएसई ने छात्रों को राहत भी दी है कि अगर कोई एवरेज मार्क्स की बजाय परीक्षा देना चाहता है तो उसे मौका दिया जाएगा। आईआईटी, एनआईटी जैसे संस्थानों में फिज़िक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स के मार्क्स को आधार माना जाएगा। वहीं मेडिकल में फिजिक्स, केमिस्ट्री और बॉयो के मार्क्स ज़रूरी हैं। इन विषयों की परीक्षाएं हो चुकी हैं। 

सबसे ज़्यादा असर आर्ट, कॉमर्स वर्ग के छात्रों और उन विश्विद्यालय पर पड़ेगा जो छात्रों का दाखिला केवल मेरिट के आधार पर लेते हैं। जैसे दिल्ली विश्वविद्यालय। इन शिक्षण संस्थानों को इस बार दाखिले की प्रक्रिया में बदलाव करना होगा। 

  • पुराने छात्रों की वर्चुअली क्लास जुलाई से शुरू हो जाएगी

प्रो. सांघी बताते हैं कि कोविड-19  के दौर में शिक्षण संस्थानों में भी पैटर्न बदल रहे हैं। छात्रों के नए सेमेस्टर में रजिस्ट्रेशन की पूरी प्रक्रिया अब ऑनलाइन हो रही है। पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज में पुराने बैच के छात्रों की वर्चुअली क्लास जुलाई से शुरू हो जाएगी। छात्रों को क्लास आने की ज़रूरत नहीं होगी।

  • स्कूल संचालक की प्रतिक्रिया: इस फैसले से करिअर की नींव कमजोर होगी 

स्कूल संचालक हरीश राठौर कहते हैं जनरल प्रमोशन से स्टूडेंट्स के बीच गलत मैसेज गया है। ये पढ़ाई के प्रति स्टूडेंट्स की गंभीरता को कम करेगा। 12वीं कक्षा स्टूडेंट के करिअर की नींव होती है, हमने उनकी नींव को ही कमजोर किया है। समस्या ये है कि स्कूलों को लेकर सरकार जो भी फैसले लेती है। वो राजधानी या महानगरों को देखकर लेती है। जबकि बड़ी संख्या में बच्चे रूरल एरिया में पढ़ रहे हैं। ऐसे इलाके जहां संक्रमण नहीं है, वहां से लगातार अभिभावकों के फोन आ रहे हैं। अधिकतर बच्चे कम मार्क्स आने के चलते ड्रॉप लेने के बारे में सोच रहे हैं। 

अगर बात सोशल डिस्टेंसिंग की ही है, तो इसका पालन सिर्फ एजुकेशन सेक्टर को ही क्यों करना है? एजुकेशन को छोड़कर हर क्षेत्र को लॉकडाउन में छूट मिल गई है, ये कहीं से कहीं तक सही नहीं है। 

  • कोचिंग फैकल्टी की प्रतिक्रिया- स्टूडेंट्स के आत्मविश्वास में कमी आएगी

सीबीएसई बेस्ड एग्जाम की तैयारी कराने वाली रोजन अकेडमी के फैकल्टी मेंबर चिन्मय बताते हैं कि इससे स्टूडेंट्स के आत्मविश्वास में कमी आएगी। जनरल प्रमोशन हुआ तो ड्रॉप लेने वाले स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ सकती है। जो स्टूडेंट मेहनत करता है, रिजल्ट आने के बाद उसका करिअर में आगे बढ़ने को लेकर आत्मविश्वास बढ़ता है।

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