- तीन तलाक बिल 25 जुलाई को लोकसभा और 30 जुलाई को राज्यसभा से पास हुआ, 31 जुलाई से कानून बना
- 5 अगस्त 2019 को सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी कर दिया, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो यूटी बने
दैनिक भास्कर
May 30, 2020, 02:11 PM IST
नई दिल्ली. तारीख थी 26 जून 2019। दूसरी बार बनी मोदी सरकार को 27 दिन ही हुए थे। इस तारीख का जिक्र इसलिए, क्योंकि यही वो तारीख थी जब अमित शाह गृहमंत्री बनने के बाद पहली बार दो दिन के दौरे पर जम्मू-कश्मीर पहुंचे थे।
इसके बाद 5 अगस्त 2019 को अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के उन सभी खंडों को हटा दिया, जिसके तहत कश्मीर को जो अलग स्वायत्ता मिली थी, जो अधिकार मिले थे, सब हटा लिए गए। केवल एक खंड लागू रहा, जो जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बनाता था।
26 जून से लेकर 5 अगस्त के बीच बहुत सी घटनाएं घटीं। 26-27 जून को अमित शाह के दौरे के करीब एक महीने बाद 24 जुलाई को एनएसए अजित डोभाल सीक्रेट मिशन पर श्रीनगर गए। उनके लौटते ही सरकार ने घाटी में 10 हजार अतिरिक्त जवानों की तैनाती कर दी। अमरनाथ यात्रियों और पर्यटकों को जल्द से जल्द घाटी से लौटने की एडवाइजरी जारी की। 30 साल में ये पहली बार था जब केंद्र सरकार की तरफ से ऐसी एडवाइजरी जारी की गई थी।
देश को लग रहा था कि राज्य के लोगों को विशेषाधिकार देने वाले अनुच्छेद 35-ए को हटाया जाएगा, लेकिन मोदी सरकार ने एक कदम और आगे जाते हुए जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को ही निष्प्रभावी कर दिया। उसके बाद 24 घंटे के अंदर ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया।
अनुच्छेद 370, एक ऐसा वादा था, जिसे भाजपा शुरू से ही करती आ रही थी। अप्रैल 1980 में बनी भाजपा ने 1984 में पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था। तब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का वादा किया था। उसके बाद से भाजपा ने 10 चुनाव लड़े और इनमें से 9 बार घोषणापत्र में यही वादा किया।
जो वादा अटल-आडवाणी के समय से किया जा रहा था, उसे 35 साल बाद मोदी सरकार ने पूरा किया।
अच्छी बात ये रही कि 370 हटने के बाद कोई बड़ा हमला नहीं हुआ
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के निष्प्रभावी होने के बाद कई जगह विरोध प्रदर्शन हुए। अकेले कश्मीर में ही 5 अगस्त से लेकर 18 अगस्त के बीच 4 हजार से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया।
लेकिन, अच्छी बात ये रही कि 70 साल पुराने अनुच्छेद 370 के निष्प्रभावी होने के बाद कोई बड़ा हमला या प्रदर्शन नहीं हुआ। हालांकि, आतंकियों ने इससे घबराकर कुछ गैर-कश्मीरी मजदूरों की हत्या जरूर कर दी थी।
गृह मंत्रालय ने पिछले साल 3 दिसंबर को लोकसभा में जवाब देते हुए बताया था कि, 5 अगस्त के बाद आतंकियों ने 19 लोगों की हत्या कर दी। इसमें गैर-कश्मीरी मजदूर और आम नागरिक शामिल थे।
मोदी सरकार के इस फैसले का अफगानिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, भूटान, फ्रांस, इजरायल, मालदीव, श्रीलंका, थाइलैंड, यूएई ने इसे भारत का आंतरिक मसला बताते हुए समर्थन किया था। हालांकि, चीन और पाकिस्तान ने इसका खुलकर विरोध किया था।
1989 से भाजपा राम मंदिर का वादा कर रही थी, इस बार सुप्रीम कोर्ट से सुलझा मामला
1989 में भाजपा ने दूसरा लोकसभा चुनाव लड़ा। इस चुनाव में उसने घोषणापत्र में राम मंदिर का वादा भी शामिल किया। 2019 के आम चुनावों में भी भाजपा ने घोषणापत्र में वादा किया था कि संविधान के दायरे में रहकर जल्द से जल्द राम मंदिर निर्माण की संभावनाओं को तलाशा जाएगा।
मोदी सरकार के लौटते ही 6 अगस्त से अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई शुरू हो गई। 40 दिन तक चली सुनवाई के बाद फैसला भी आ गया। 134 साल पुराना मसला जो उलझता ही जा रहा था, उसे 40 दिन की सुनवाई में सुलझा दिया गया।
9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या की 2.77 एकड़ की पूरी विवादित जमीन राम मंदिर निर्माण के लिए दे दी।
ये फैसला आया तो सुप्रीम कोर्ट से था, लेकिन इसे मोदी सरकार की उपलब्धि से जोड़ा गया। मोदी और शाह ने इस फैसले के बाद झारखंड और दिल्ली के विधानसभा चुनावों में जमकर राम मंदिर के फैसले को अपनी उपलब्धि भी बताया। हालांकि, उसके बाद भी भाजपा चुनाव नहीं जीत सकी थी।
इसमें भी अच्छी बात यही रही कि इतना बड़ा फैसला आने के बाद भी देश में न दंगे भड़के और न ही कहीं कोई हिंसा हुई। इतना ही नहीं कहीं से छुटपुट झड़पों की खबर भी नहीं आई।
ये सब इसलिए भी हो पाया क्योंकि सरकार ने पहले से ही तैयारी कर ली थी। फैसला आने से पहले ही उत्तर प्रदेश के अयोध्या और लखनऊ में पैरामिलिट्री फोर्स और पुलिस के हजारों जवान तैनात कर दिए गए। सीसीटीवी कैमरा और ड्रोन से निगरानी की गई। इंटरनेट बंद कर दिया गया।
सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि राजस्थान, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, दिल्ली, कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर के सभी संवेदनशील इलाकों में अलर्ट जारी किया गया। जगह-जगह पुलिस तैनात कर दी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पूरे देश में स्वागत किया गया। मुस्लिम संगठनों ने भी इसे माना।
1400 साल से चली आ रही थी तीन तलाक प्रथा, कानून लाकर खत्म की
अगस्त 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने तलाक-ए-बिद्दत यानी एक बार में तीन तलाक को असंवैधानिक और गैर-कानूनी करार दिया। साथ ही साथ सरकार को इसे खत्म करने के लिए कानून बनाने का आदेश दिया।
इसके बाद सरकार 1400 साल पुरानी तीन तलाक प्रथा को खत्म करने के लिए मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) बिल लेकर आई। ये बिल 2 साल में 2 बार लोकसभा में तो पास हो गया, लेकिन राज्यसभा में अटक गया।
बाद में जब दोबारा मोदी सरकार सत्ता में लौटी, तो फिर से 25 जुलाई को कुछ बदलाव के साथ बिल लोकसभा में पेश हुआ और पास हो गया। बाद में 30 जुलाई को ये बिल राज्यसभा से भी पास हो गया और 31 जुलाई से ये कानून बन गया।
इस कानून के तहत तीन तलाक अब गैर-कानूनी है। तीन तलाक देने पर दोषी पति को तीन साल की सजा का प्रावधान किया गया है। साथ ही अब मुस्लिम महिलाएं अपने और नाबालिग बच्चों के लिए गुजारा भत्ता भी मांग सकती हैं।
Related Articles
.(tagsToTranslate)One year of Modi 2.0(t)Modi Government(t)Modi 2.0(t)Modi 2.0 Anniversary(t)Modi government 2.0(t)one year of modi government(t)modi government achievements(t)anniversary(t)modi government latest news(t)modi government news(t)narendra modi government(t)Narendra Modi Government 2.0 – ओरिजिनल न्यूज़(t)ओरिजिनल समाचार
Source link
The post Narendra Modi Government Achievements/One Year Updates; Ayodhya Ram Mandir Faisla, Kashmir Issue Article 370 Abrogation To Triple Talaq 1400-year-old Practice | भाजपा ने 70 साल से लागू अनुच्छेद 370 हटाया, 1400 साल पुरानी तीन तलाक प्रथा कानून लाकर खत्म की appeared first on Reviews Ground.