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रहीम के दोहे हिंदी अर्थ सहित | Rahim Ke Dohe In Hindi

रहीम के दोहे हिंदी अर्थ सहित | Rahim Ke Dohe in Hindi Rahim’s full name was Abdul Rahim Khan-i-Khana. RahimDas ji taught his right way of art of living through his couplet along with it has inspired people to walk on the right path. Rahim was an art prodigy, a poet and a राइटर. In his poetry, he used to use pieces of texts such as Ramayana, Mahabharata, Purana and Geeta as examples which presents the glimpse of Indian culture. Rahim Das was also a great thinker and social reformer who had good knowledge of Awadi, Braj, Arabic, Persian, Turkish, and Hindi. Along with this, Rahim Das also had high degree knowledge of verses, poetry, mathematics, logic and Persian grammar. Rahim has also addressed himself as “Rahiman” in his couplet. His poetry provides a beautiful blend of policy, makeup ,devotion and love.

Today we will tell you Rahim ke Dohe with their meaning in this article which is as follows :

रहीम के दोहे हिंदी अर्थ सहित | Rahim Ke Dohe in Hindi

दोहा 

अर्थ :  

इंसान को अपना बर्ताव dusre के  प्रति अच्छा रखना चाहिए . क्योंकि एक बार अगर हमारी छवि किसी के सामान बिगड़ जाती है तो उसे ठीक करना बहुत mushkil हो जाता है । जैसे जब दूध  फट जाता है या ख़राब हो जाता  तो लाख koshish कर लो उसे मठ कर मख्खन नहीं निकाला जा सकता।

दोहा

अर्थ :

RahimDas ji कहते है , परेशानी के समय में घबराना या पछताना व्यर्थ है. जिस प्रकार vasant ऋतु के आते ही सभी पेड़ फल से सजे हुए नजर आये है और शरद ऋतु के आते ही सभी मुरझा जाते है.  इंसान के जीवन  में सुख और dukh दोनों समय आते हैं . ऐसे ही कभी भी परिस्थितियाँ एक jaisi नहीं रहती.

दोहा

अर्थ :

रहीम दास जी कड़वा बोलने वाले व्यक्ति की तुलना खीरे से करते हुए कहते है , जिस प्रकार खीरे का सिर काटकर उस पर namak मला जाता है, ताकि उसका कड़वापन नष्ट हो जाए। ऐसा न किया जाए तो खीरा खाने योग्य नहीं होता।  उसी प्रकार kadva बोलने वाले मनुष्य को भी ऐसी ही सजा मिलती है.

दोहा

अर्थ : 

Rahimdas ji ने अपने दोहे में वाणी यानि आपके मुँह से निकली बातों का वर्णन करते हुए कहते है की हमें इतना मीठा बोलना  चाहिए, जिससे दूसरों को शीतलता का अनुभव हो और साथ ही हमारा मन भी प्रसन्न हो उठे। संत कबीर के Dohe से हमें यही सीख मिलती है कि हमारी वाणी में मधुरता का jitna अधिक अंश रहेगा, उतना ही हम दूसरों के लिए प्रिय बनेंगे। 

दोहा

अर्थ :

इस dohe के माध्यम से रहीमदास  कहना चाहते हैं कि ऐसे बड़े होने का क्या मतलब जिससे किसी का भला ना हो। जैसे  kajur का पेड़ इतना ऊंचा होने के बावजूद न पंछी को छाया दे सकता है और न ही उसके फल ही आसानी से तोड़े जा सकते हैं.

दोहा

अर्थ :

Rahim ji  कहते है की प्रेम व् रिश्तो का बंधन धागे की तरह होता है . जैसे धागा टूटकर फिर नहीं जुड़ सकता और अगर  तो उसमे ganth (गांठ) पड़ जाती है . उसी  तरह अगर rishto में दरार आ जाये / टूट जाये तो पूरी तरह नहीं जुड़ पाते . इस dohe से हमें यह सिख मिलती है की मनुष्य को अपने रिश्ते में प्रेम बनाये रखना चाहिए तभी सच्चा सुख मिल सकता है . 

दोहा

अर्थ :

कौआ और कोयल rang में एक समान काले होते हैं। जब तक दोनों बोलने के लिए अपना मुंह नहीं खोलते तब तक दोनों में कोई फरक मालूम नहीं पड़ता  लेकिन जब vasant  ऋतु आती है तो कोयल की मधुर आवाज़ से दोनों का अंतर स्पष्ट हो जाता है .

दोहा

अर्थ :

गिरे हुए लोगों से न तो dosti अच्छी होती हैं, और न तो dushmani . जैसे कुत्ता चाहे काटे या चाटे दोनों ही अच्छा नहीं होता। इस Dohe से हमें यह सिख मिलती है की इंसान के स्वभाव को जानकर ही उससे dosti करनी चाहिए क्योंकि गलत इंसान से दोस्ती और दुश्मनी दोनों ही अच्छी नहीं है .

दोहा

अर्थ :

रहीम दास जी कहते है , जिस मनुष्य की प्रकृति अच्छी है व्यवहार Achha है वह कैसी भी संगती में रह ले उसपर बुरी संगती का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा . जिस प्रकार चन्दन पर विषैले सांप हर समय लिपटे रहते है लेकिन chandan की प्रकृति पर प्रभाव नही डाल पाते.

दोहा

अर्थ :

रहीम जी कहते है की हमें उस स्थान पर कभी नहीं जाना चाहिए जहाँ कपट / dhokha होने की संभावना रहती है . कपटी आदमी हमारे शरीर के खून को पानी की तरह चूस कर अपनी खेती करता है . यानि अपना swarth सिद्ध करता है . Rahim जी यहाँ मनुष्य को कपटी व्यक्ति से सचेत रहने की shiksha दे रहे है की हमें ऐसे लोगो से दूर रहना चाहिए जिससे हमें dhokha मिलने की आशंका हो . 

दोहा

अर्थ :

जिस प्रकार आँखों से निकले आंसू दिमाग में चल रही preshani  या पीड़ा को व्यक्त करते है उसी प्रकार घर से निकाला गया व्यक्ति ही घर के सारे राज या भेद बाहर जा कर खोलेगा.

दोहा


अर्थ

Rahimdas ji कहते है , अपनी परेशानियों और तकलीफों को किसी दूसरे के साथ साझा करने से अच्छा है अपने मन में ही दबा कर रखे क्योंकि दूसरो की परेशानियां सुनने के बाद लोग ऊपर से भले ही दुःख जाहिर कर दे लेकिन dukh बाटने वाला कोई नहीं होता.

दोहा

अर्थ :

Rahimdas ji  कहते हैं कि देने वाला तो कोई और है, वो ईश्वर दिन रात हमको देता ही रहता है। और लोग इतने मूर्ख हैं वो सोचते हैं कि हम ही sab kuch कर रहे हैं इससे ज्यादा मूर्खता और क्या हो सकती है।

दोहा

अर्थ :

Rahimdas ji कहते हैं कि जो लोग गरीबों की मदद करते हैं, हर संभव तरीके से उनके हित की बात सोचते हैं। ऐसे लोग महान होते हैं। Sudama एक गरीब इंसान थे और श्री कृष्णा द्वारिका के राजा थे लेकिन Krishna ने मित्रता निभाई और आज उन दोनों की मित्रता के किस्से बड़ी महानता से सुनाये जाते हैं।

दोहा

अर्थ :

रहीमदास जी कहते हैं कि हर चीज़ samay आने पर ही होती है। समय आने पर ही वृक्ष पर फल लगता है और समय आने पर वह पेड़ से झड़ भी जाता है। समय कभी एक जैसा नहीं रहता इसलिए dukh के समय शोक नहीं करना चाहिए क्योंकि sukh भी समय आने पर ही आएगा।

दोहा

अर्थ :

रहीम दास जी ने इस dohe में 3 बार पानी शब्द का प्रयोग किया है और हर बार पानी शब्द का अलग मतलब है। 1. पानी = प्रतिष्ठा सम्मान 2. पानी = chamak 3. पानी = जल। प्रत्येक चीज़ के लिए पानी बहुत जरुरी है बिना पानी के संसार कुछ भी नहीं है। Insaan को पानी यानि मान सम्मान बनाये रखना चाहिए। मोती को पानी यानि चमक बनाये रखनी चाहिए नहीं तो उसका कोई मोल नहीं रहेगा। और पानी यानि जल के बिना तो हर जीव का jivan ही खत्म हो जायेगा।

दोहा

अर्थ :

Rahimdas जी कहते हैं कि इंसान को सदैव बड़ा ही सोच समझ कर बोलना चाहिये। यह जीभ जो बावली है, कटु shabd कहकर मुंह के अंदर छिप जाती है और उसका परिणाम बेचारे सर को जूता खाकर भुगतना पड़ता है।

दोहा

अर्थ :

रहीमदास जी कहते हैं कि बुरे waqt में सब्र से काम लेना चाहिए क्योंकि दिन फिरने में समय नहीं लगता। जब अच्छे दिन आते हैं तो बिगड़ी बातें bahuth तेजी से ठीक हो जाती हैं।

दोहा


अर्थ :

Rahim Das जी कहते हैं कि वे लोग मर चुके हैं जो दूसरों से मांगते हैं। जो लोग अपनी खुद मदद नहीं कर सकते और dusro से मांगते हैं वो मृत समान हैं और उनसे भी पहले वो लोग मर चुके हैं जो मांगने पर भी याचक की नहीं करते।

दोहा

अर्थ :

 Rahimdas जी कहते हैं कि आप किसी जगह अपना मन लगा के तो देखिये, आपको सफलता जरूर मिलेगी। इंसान अगर अच्छी नीयत से प्रयास करे तो Narayan को भी वश में किया जा सकता है।

दोहा

अर्थ :

रहीमदास जी कहते हैं कि जब तक संपत्ति साथ होती है तो बहुत से rishte और मित्र बन जाते हैं लेकिन विपत्ति के समय जो हमारा साथ देता है वही sachha मित्र होता है।

आपको Rahim ke dohe का यह लेख कैसा लगा ? क्या आपके पास  रहीमदास जी का कोई और दोहा याद आता है तो हमसे जरुर शेयर करें।

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