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ऑनलाइन क्लासेज नुकसान

ऑनलाइन क्लासेज नुकसान
Disadvantages of Online Classes in Hindi

ऐसी कोई व्यवस्था नहीं हो सकती जिसके केवल फायदे ही फायदे हों। नफा और नुकसान दोनों साथ साथ चलते हैं। यदि मैं इस प्रश्न का सीधा एवं ईमानदारी भरा जवाब दूँ तो ऑनलाइन क्लासेज के नुकसान ज्यादा हैं फायदे बेहद कम हैं। नुकसान का प्रतिशत 95% है और फायदे का मात्र 5%, हो सकता है आप मेरे इस विचार से असहमति रखते हों किन्तु मेरा तो यही मानना है।

मैं बेशक ऑनलाइन क्लासेज का हिमायती नहीं किन्तु इसके प्रसार को रोक पाना मेरे वश में नहीं है। भारत में ऑनलाइन क्लास प्रणाली ने अपने पैर जमाना शुरू कर दिया है। निःसंदेह वर्ष 2030 तक भारत हो सकता है पूरी दुनियां में ऑनलाइन शिक्षा का सबसे बड़ा बाजार हो। वैसे भी भारत को पूरी दुनियां केवल एक बाजार के रूप में देखती है और हम भारतियों को दुर्भाग्यवश इसपर गर्व भी होता है।

मैं बेशक ऑनलाइन शिक्षा का हिमायती नहीं किन्तु इसके प्रसार को रोक पाना मेरे वश में नहीं है। भारत में ऑनलाइन क्लास प्रणाली ने अपने पैर जमाना शुरू कर दिया है। निःसंदेह वर्ष 2030 तक भारत हो सकता है पूरी दुनियां में ऑनलाइन शिक्षा का सबसे बड़ा बाजार हो। वैसे भी भारत को पूरी दुनियां केवल एक बाजार के रूप में देखती है और हम भारतियों को दुर्भाग्यवश इसपर गर्व भी होता है।

मौजूद शिक्षा प्रणाली जिसे हम ऑनलाइन क्लासेज भी कह सकते हैं का तो लगभग पूरी तरह बाजारीकरण किया जा चुका है; अब अगला कदम है ऑनलाइन शिक्षा का बाजार तैयार करना जो शिक्षा कम, केवल धन उगाही का जरिया मात्र है।

ऑनलाइन क्लास के 20 नुकसान:

1 – कक्षा नर्सरी से लेकर कक्षा आठवीं तक के बच्चे उम्र के कच्चे माने जाते हैं। लेकिन सत्य ये भी है की कच्चे घड़े को ही बड़ा आकार दिया जा सकता है। अतः जो बच्चे उम्र की कच्ची अवस्था में हैं उनके लिए ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली 0% भी कारगर नहीं साबित होगी।

2 – कच्ची उम्र के बच्चों को मानवीय दिशा निर्देश की आवश्यकता अधिक होती है। कक्षा में महिला या पुरुष टीचर का आना, बच्चों से संवाद स्थापित करना, उनके किये गए कार्य को जांचना, उनसे तत्काल चंद सवाल जवाब करना, चंद हंसी एवं मस्ती भरे अंदाज़ से उनको लुभाना और विषय को ब्लैक बोर्ड अथवा वाइट बोर्ड पर उरेक कर उन्हें हर बिंदु को समझाना आदि कार्य ऑनलाइन द्वारा पूर्ण नहीं किया जा सकता।

3 – ऑनलाइन क्लास व्यवस्था में टीचर बच्चे पर अटेंशन नहीं दे सकता। बच्चे के नैसर्गिक विकास को नहीं देख सकता। बच्चे की मानसिक अवस्था को नहीं परख सकता। ऑनलाइन शिक्षा मात्र बोलने एवं सुनने तक ही सिमित रह जाती है।

4 – अध्यापक का कार्य केवल विषय की शिक्षा देना नहीं। गुरुकुलों, विद्यालयों, एवं विश्वविद्यालयों का निर्माण मात्र विषय की शिक्षा देने के दृष्टिकोण से नहीं किया गया। अपितु, बच्चों में अनुशासन, शिष्टाचार, वार्तालाप, वेश भूषा, विचार, समाज कल्याण, आदर, सदभाव, ईमानदारी एवं कार्य कौशल को विकसित करना भी अध्यापक का मूल कर्तव्य है। ऑनलाइन क्लास शिक्षा प्रणाली केवल विषय को बतलाने तक ही सीमित है।

5 – ऑनलाइन क्लास को आप दूरस्त शिक्षा भी कह सकते हैं जिसका अर्थ ये हुआ की सभी बच्चे एक स्थान पर ना होकर एक दुसरे से कई किलोमीटर की दूरी पर स्थित होते हैं जिसकी वजह से बच्चों में मेल-जोल का गहरा आभाव हो जाता है। हर व्यक्ति अपनी ही उम्र के व्यक्ति के बीच रहना पसंद करता है और अपनी उम्र की संगती के बीच रहकर ही अच्छे से विकसित हो पाता है। अतः बच्चों का बौद्धिक विकास बच्चों की संगत से ही हो पाता है। ऑनलाइन क्लासेज शिक्षा प्रणाली दूरस्त पद्धति पर आधारित है जिसकी वजह से बच्चे अपनी उम्र के बच्चों में शामिल नहीं हो पाते।

6 – हर व्यक्ति समाज का ही एक हिस्सा होता है। व्यक्ति का एक दूसरे से मिलना जुलना उसे सामाजिक मेल जोल की ओर ले जाता है। सामाजिक मेल जोल से हम हर व्यक्ति के व्यव्हार, उसके दुःख, उसकी ख़ुशी, उसकी मानसिकता, उसके गुणों की पहचान कर पाते हैं। ऑनलाइन क्लास में चंद मिनट का संवाद है किन्तु मेल जोल नहीं अतः बच्चा दूसरे बच्चे के गुण, उसके व्यवहार, उसके विचार आदि को जानने से वंचित रह जाता है।

7 – ऑनलाइन क्लास या तो लाइव होती है या फिर रिकार्डेड होती है जिसमें केवल विषय एवं उससे जुड़े सवाल जवाब ही शामिल हो पाते हैं। ऑनलाइन क्लास की क्रिया केवल आँख, मुख, एवं कान तक आकर समाप्त हो जाती है। लेकिन शिक्षा में अहम किरदार तो मस्तिष्क का होता है जो कि ऑनलाइन क्लास में पूरी तरह लुप्त है। एक तरफ लैपटॉप पर वीडियो ताकते एवं दूसरी तरफ मोबाइल पर प्रश्नों का जवाब तलाश बच्चों का मस्तिष्क शून्य बन कर रह जाता है क्योंकि हर प्रश्न के लिए उन्हें इंटरनेट का सहारा लेने की लत लग जाती है।

8 – ऑनलाइन क्लास प्रणाली बच्चों में याद रखने, विचार करने, खोज करने, तर्क करने, अपने मन से जवाब देने, आदि की शक्ति घटती चली जाती है और हाड़ मास का मानव केवल कंप्यूटर पर ही निर्भर होकर रह जाता है।

9 – परंपरागत शिक्षा पद्धति बच्चों में लॉजिक डेवेलप करने में ज्यादा कारगर है किन्तु ऑनलाइन क्लास पद्धति बच्चों के मस्तिष्क को शिथिल बनाकर रख देती है जैसे मस्तिष्क का तो कोई उपयोग हो ही नहीं।

10 – ऑनलाइन क्लास प्रणाली बच्चों के शारीरिक विकास में भी अवरोधक है। प्रतिदिन पढ़ने के लिए घंटों मोबाइल-लैपटॉप देखना, न सिर्फ उनके आँखों के लिए नुकसानदेह है अपितु उनके लगातार बैठने से उनकी माँसपेशियों, हड्डियों के विकास में भी बाधक है। मैं इस बात से पूरी तरह सहमत हूँ की अगले दस वर्ष बाद जन्म लेने वाले बच्चे अपने बचपने में ही असाध्य रोगों से ग्रसित होंगे।

11 – ऑनलाइन एजुकेशन को स्मार्ट एजुकेशन का नाम दिया जा रहा है पर मेरी नजर में यह कहीं से भी स्मार्ट नहीं। ऑनलाइन एजुकेशन आगे चलकर एक मानव को कृत्रिम वस्तु में परिवर्तित कर देगी जो केवल ऑनलाइन निर्देशों से ही जानने व समझने योग्य होगा। मानव केवल अपनी बुद्धि एवं विवेक के दम पर ही हज़ारों वर्षों से पृथ्वी पर मौजूद है किन्तु ऑनलाइन शिक्षा व्यवस्था मानव के बुद्धि नाश का कारण बनेगी।

12 – ऑनलाइन क्लास रोबॉटिक एजुकेशन की तरफ पहला कदम है। मैं यह दावे के साथ कह सकता हूँ की ऑनलाइन क्लास का अगला कदम रोबॉटिक एजुकेशन की ओर होगा जिसके अंतर्गत बच्चा अपनी पहली कक्षा से ही रोबॉट द्वारा शिक्षा प्राप्त करता हुआ नज़र आएगा। हालिया दौर में ही गूगल असिस्टेंस एवं अमेज़न एलेक्सा जैसे वौइस् कमांड टूल उपलब्ध हैं जो आपके सभी उत्तर दे सकते हैं। अभी इनमें कई परिवर्तन होने बाकी हैं और आगे चलकर यह पद्धति पूरी तरह रोबॉटिक मॉडल का रूप ले लेगी।

13 – पारंपरिक शिक्षा व्यवस्था जिसे ऑफलाइन शिक्षा कहा जा रहा है उसमें शिक्षा की गुणवत्ता को परखना बेहद आसान है किन्तु ऑनलाइन शिक्षा का तेजी से बढ़ता हुआ चलन शिक्षा की गुणवत्ता को धूमिल कर देगा। ऑनलाइन क्लास का ज्यादातर भाग किसी वीडियो, किसी वेबसाइट लिंक आदि जैसे रेफ्रेंस पर आधारित होती है जबकि ऑफलाइन शिक्षा में किसी विषय को पूरी तरह तत्काल समझाने का प्रयास किया जाता है।

14 – ऑनलाइन क्लास व्यवस्था में स्टूडेंट और टीचर के बीच संवाद भी ज्यादा नहीं हो पाता। जबकि ऑफलाइन शिक्षा प्रणाली संवादों पर टिकी है अर्थात गुरु एवं शिष्य के बीच जितने अधिक प्रश्नोत्तर होंगे विषय की जटिलता को उतना ही अधिक समझा जा सकेगा।

15 – ऑनलाइन क्लासेज का मॉडल रटे-रटाये फॉर्मूले पर आधारित है किन्तु ऑफलाइन शिक्षा का व्यवहार व्यवहारी समझ एवं तर्क वितर्क पर आधारित है।

16 – ऑनलाइन क्लास व्यवस्था में शिक्षक मात्र एक आवाज के रूप में उपस्थित होता है किन्तु ऑफलाइन शिक्षा व्यवस्था में शिक्षक साक्षात कक्षा में उपस्थित होता है जहाँ वो बच्चों से संवाद करता है, अनेकों उदहारण प्रस्तुत करता है और बच्चों के चेहरे एवं उनकी मनोदशा को परस्पर देखते हुए यह बात आसानी से समझ पाता है की क्या बच्चे उसकी बात को समझ पा रहे हैं अथवा नहीं।

17 – शिक्षक को अपने सम्मुख देख पढ़ने में आना-कानी करने वाले बच्चे तनिक भयभीत भी होते हैं और वे भयवश ही सही किन्तु शिक्षक की बात को ध्यान पूर्वक सुनने को बाध्य भी होते हैं, जबकि ऑनलाइन शिक्षा में बच्चे अपने मन के मालिक हैं और शिक्षक का उनपर कोई जोर नहीं।

18 – स्कूल, कॉलेज एवं यूनिवर्सिटी की परम्परागत शिक्षा से गुरु शिष्य के संबंध भी प्रखर होते हैं। एक शिक्षा अच्छे शिष्यों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर पाता है और वे शिष्य जो पढ़ने में तनिक कमजोर हैं उनका व्यक्तिगत मार्गदर्शन भी कर पाता है। ऑनलाइन क्लास गुरु और शिक्ष्य के संबंधों को कमजोर बनाती है।

19 – प्रतिदिन घर से स्कूल की ओर जाना और फिर स्कूल से घर की ओर आने में न जाने बच्चे कितनी एक्टिविटी करते हैं जो उनके स्वावलंबी विकास के लिए एक प्रकार की संजीवनी है। मगर, लगातार घर पर रहकर मात्र वीडियो के माध्यम से ग्रहण होने वाली शिक्षा में प्रतिदिन की एक्टिविटी खतम हो जाती है और बच्चे अपने आप में ही गुम होकर रह जाते हैं जो उनके स्वर्णिम विकास में अवरोधक का कार्य करता है।

20 – हर बच्चे अलग अलग स्वभाव के होते हैं अतः उनके स्वभावों की परख ऑनलाइन क्लास प्रणाली के तहत संभव ही नहीं। बच्चों का स्वाभाव, संकोच, डर, आदि को परखने के लिए शिक्षक का साक्षात रूप में मौजूद होना अनिवार्य है। कई बच्चे किसी विशेष विषय से भागते हैं, उससे संबंधी सवाल पूछने एवं जवाब देने से घबराते हैं अतः ऐसी विषम स्थिति का निपटारा ऑनलाइन टूशन देकर नहीं किया जा सकता। टीचर का अपने स्टूडेंट से किया गया प्रेम पूर्वक संवाद उनको हौसला देता है और मानसिक स्तर पर मौजूद बनाता है।

ऑनलाइन क्लासेज से होने वाले नुकसान के संबंध में मैंने क्रमशः 20 बिंदुवार बातें लिखी हैं जो शत प्रतिशत सत्य हैं। अभी तो ऑनलाइन शिक्षा अर्थात ऑनलाइन एजुकेशन बेहद आंशिक स्तर पर उपलब्ध है किन्तु यह सूपनखा की तरह एक विकराल रूप लेगी जो लाइव वीडियो की शिक्षा से अलग होते हुए रोबॉटिक एजुकेशन तक जा पहुंचेगी। आने वाले दशक मानव विकास के नहीं बल्कि मानव विनाश के हैं जिसमें परंपरागत शिक्षा प्रणाली किसी लुप्त जीव के समान हो जाएगी।

अंत में,
ऑनलाइन एजुकेशन पर आधारित एक विशेष लेख पढ़ने के लिए Online Shiksha पर क्लिक करें। यह विशेष लेख ऑनलाइन शिक्षा के प्रकार, उसके अर्थ, लाभ, एवं ऑनलाइन शिक्षा की वर्तमान बाजारी स्थिति को जानने के लिए पर्याप्त है। शिक्षा पर बातें जारी रहेंगी किन्तु आप ऑनलाइन शिक्षा की अंधी दौड़ में शामिल ना हों और अपने कम उम्र के बच्चों को खुद से भी पढ़ाने का कुछ प्रयास करें। माता पिता का अपने बच्चों से परस्पर संवाद करना भी अनिवार्य है।

लेखक:
रवि प्रकाश शर्मा

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