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अनुशासन पर निबंध

अनुशासन पर निबंध
Essay on Discipline in Hindi

यदि आप अपने जीवन में सफलता पाना चाहते हैं तो आपके जीवन में अनुशासन का होना बहुत ज़रूरी है। बिना अनुशासन के व्यक्ति न तो एक खुशहाल जीवन जी सकता है और न ही अपने लक्ष्य को पा सकता है। अनुशासन से व्यक्ति को सही राह पर चलने की प्रेरणा मिलती है। अनुशासित व्यक्ति समय का पाबंद हो जाता है और अपना हर कार्य समय पर करता है। बल्कि यह कहेंगे कि कुछ नियमों व कायदों के साथ यह जीवन जीने का एक सही तरीका है।

अनुशासित होने का मतलब यह नहीं है कि आप कोई बहुत बड़ा काम करें तभी आप अनुशासित होंगे। बल्कि आप अपनी शुरुआत छोटे-छोटे कामों से करें। तब जाकर आप अपने जीवन में बड़े-बड़े कामों में सफल हो सकेंगे। जैसे – सुबह समय पर उठना, समय पर नाश्ता करना, बिना नाश्ता किए स्कूल ना जाना, माता-पिता, शिक्षक और बड़ों का सम्मान करना, अपने छोटों से प्रेम करना। यदि आपने इन छोटे-छोटे अनुशासन का पालन करना सीख लिया तो फिर आपको जीवन में हर कार्य को अनुशासन के अन्तर्गत करने की आदत पड़ जाएगी।

एक अनुशासित व्यक्ति उन लोगों की तुलना में काफी सफल होता है, जो लोग अनुशासनहीन होते हैं। क्योंकि यह बात सभी जानते हैं कि अनुशासन सफलता की कुंजी है। अनुशासन का पालन करने वाला व्यक्ति एक न एक दिन जरूर सफलता को हासिल कर लेता है।

इस लेख में हम आपको अनुशासन के बारे में विस्तार से बताने वाले हैं। इसे पढ़ने के बाद आप अनुशासन को अच्छे से समझ सकेंगे और परीक्षा में अनुशासन पर आसानी से निबंध लिख सकेंगे।

प्रस्तावना
Introduction

अनुशासन हर व्यक्ति के लिए एक महत्वपूर्ण नियम है। अनुशासन के बिना किसी भी व्यक्ति का जीवन सुचारू रूप से नहीं चल सकता है। यदि आप एक सुखी जीवन जीना चाहते हैं तो आपके जीवन में अनुशासन का होना बहुत ही आवश्यक है। यह अनुशासन ही है जो हमें सही समय, सही रास्ते और सही मंजिल पर ले जाने में मदद करता है।

हमारे जीवन के हर कार्य में अनुशासन बहुत ही मूल्यवान है। हमें हर समय और हर जगह अनुशासन का पालन करना चाहिए। चाहे वह हमारा घर हो या स्कूल हो, कॉलेज हो या कार्यालय हो, संस्थान हो या क्रिकेट का मैदान हो, युद्ध का मैदान हो या फिर कोई और जगह हो। हमें खुशहाल और शांतिपूर्वक जीवन व्यतीत करने के लिए हर समय और हर जगह ही इसका पालन करना चाहिए। यदि हम ऐसा करने में सफल हो जाते हैं तो हमारा जीवन स्वयं ही सुखी और संपन्न हो जाएगा।

अनुशासन क्या है
What is Discipline in Hindi

अनुशासन का अर्थ –
जब किसी कार्य को नियमबद्ध तरीके से किया जाए तो वह ‘अनुशासन’ कहलाता है। अनुशासन का निर्माण दो शब्दों से हुआ है – अनु तथा शासन। अनु का अर्थ है पालन और शासन का मतलब है नियम। अंग्रेज़ी में इसे Discipline कहते हैं। अनुशासन एक ऐसी महत्वपूर्ण व्यवस्था है, जो हर जगह पर लागू होती है। चाहे आप छात्र हों, शिक्षक हों, व्यक्तिगत जीवन में हों या फिर सार्वजनिक जीवन मे हों। इसकी आवश्यकता लगभग हर जगह पर होती है।

यदि आप कोई भी कार्य करते हैं तो उस कार्य को नियम के अन्तर्गत रहकर पूरा करें। ऐसा करने से उस कार्य में आपको सफलता प्राप्त होगी। क्योंकि वह अनुशासन ही है जो किसी भी व्यक्ति की सफलता की सीढ़ी बनता है। अनुशासन के सहारे इंसान किसी भी मंज़िल को पा सकता है। अनुशासन से आपका कठिन से कठिन कार्य आसानी से पूरा हो जाता है।

अनुशासन का महत्व क्या है
Importance of Discipline in Hindi

अनुशासन किसी भी कार्य को क्रमबद्ध और संयमित तरीकों से करने में सहायता करता है।
अनुशासन से चीजें आसान हो जाती हैं और हमारे जीवन में सफलता लेकर आती हैं। जो लोग अनुशासन का पालन करते हैं। वे उन लोगों की तुलना में ज़्यादा मान-सम्मान और सफलता पाते हैं, जो अनुशासनहीन होते हैं। इसके अलावा अनुशासन स्वास्थ्य व सामाजिक स्तर को सुधारने में भी मददगार होता है। अनुशासन के बिना जीवन बिल्कुल निष्क्रिय हो जाता है। यह कम समय में ही अधिक चीजें अनुभव करने का सही तरीका है। इसलिए हर व्यक्ति के जीवन में अनुशासन का होना बहुत ज़रूरी है।

क्या अनुशासन एक गुलामी है ?

कुछ लोगों को यह लगता है कि किसी भी नियम का पालन करना, एक गुलामी है। लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। हर नियम और कानून के पीछे हमारी सुरक्षा छुपी होती है। जैसे हम सड़क पर ट्रैफिक नियम का पालन करते हैं तो वह इसलिए, क्योंकि ऐसा करने से हमारा जीवन सुरक्षित होता है। यदि हम इस नियम का पालन ना करें तो अत्यधिक भीड़ होने पर दुर्घटना भी हो सकती है।

इसी प्रकार यदि कोई व्यक्ति फौज में है और वह जंग के मैदान में नियम का पालन नहीं करता है। तो उसे अपनी जान तक से हाथ धोना पड़ सकता है। इस प्रकार हम यह कह सकते हैं कि अनुशासन गुलामी नहीं है, बल्कि हमारी सुरक्षा और सुखी जीवन जीने के लिए एक आवश्यक नियम है।

अनुशासनहीन व्यक्ति का जीवन

अनुशासनहीन व्यक्ति अपने जीवन में किसी भी लक्ष्य को नहीं पा सकता। अनुशासनहीन व्यक्ति में आपको न तो समय की पाबंदी दिखाई देगी और न ही वह किसी भी काम को गंभीरता से करने में दिलचस्पी लेगा। ऐसे लोगों को समाज में भी कोई खास मान-सम्मान नहीं मिलता है। ऐसे व्यक्ति का जीवन आलस्य से भरा होता है। ऐसे लोगों को छोटा सा कार्य करने में भी कठिनाई होती है। ऐसे लोगों में नकारात्मकता को साफ देखा जा सकता है।

अनुशासित व्यक्ति का जीवन

अनुशासित व्यक्ति का जीवन हर प्रकार से शानदार होता है। ऐसे लोगों को समाज में भी मान-सम्मान मिलता है और मन से भी इनको एक अलग सी प्रसन्नता प्राप्त होती है। ऐसे लोग किसी भी कार्य के लिए किसी दूसरे पर निर्भर नहीं होते हैं। यह अपना कार्य समय पर और नियंबद्घ तरीके से पूरा कर लेते हैं। इनके अंदर अपने लक्ष्य को पाने की एक अलग ही लालसा देखने को मिलती है।

इसके अतिरिक्त जो लोग अनुशासित होते हैं सफलता उनके कदम चूमती है। ऐसे लोग किसी भी चुनौती का सामना आसानी से कर लेते हैं। इनके पास हर समस्या से लड़ने का हुनर होता है।

अनुशासित रहने का सही तरीका

यदि हम अपने जीवन में अनुशासन को अपनाना चाहते हैं तो हमें निम्नलिखित तरीकों का पालन करना चाहिए –

  • अनुशासित रहने के लिए एक संतुलित तथा नियमित दिनचर्या का पालन करना ज़रूरी होता है।
  • अपने सभी कार्यों को समय पर पूरा करने की कोशिश करनी चाहिए। क्योंकि जिस व्यक्ति ने समय के महत्व को नहीं समझा, वह खुदको कभी अनुशासित कर ही नहीं सकता।
  • हमेशा यह कोशिश करें कि आप व्यर्थ के कार्यों से दूर रहें। क्योंकि इधर-उधर के बेकार के कार्यों में बहुत समय बर्बाद हो जाता है और आप अनुशासित नहीं हो पाते।
  • अगर आप सच में अनुशासित होना चाहते हैं तो आपको अपने जीवन में बुरी आदतों और बुरे कार्यों से दूरी बनानी चाहिए।
  • अनुशासन का पालन करने वाले व्यक्ति में अपने कार्यों के प्रति पूरी लगन होना भी आवश्यक है।
  • अनुशासित व्यक्ति को खुद पर पूरा विश्वास होता है। वह हर परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहता है। वह अपने जीवन में जो करना चाहता है, उसपर वह विश्वास करता है कि वह यह कर लेगा।
  • अपने गुस्से पर करें नियंत्रण। यदि आप अपने गुस्से पर नियंत्रण पाने का दम रखते हैं तो आपको जीवन में सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।

जीवन और अनुशासन:

अनुशासन की कोई एक परिभाषा नहीं हो सकती और हो भी कैसे कुछ विषय ऐसे होते हैं जिन्हें परिभाषित करना मुमकिन नहीं होता। डिसिप्लिन एक प्रकार का गुण होता है न सिर्फ मनुष्य के लिए अपितु इस संसार में मौजूद सभी पदार्थों के लिए डिसिप्लिन एक गुण ही है। खगोलीय विज्ञान का अध्ययन करें तो यहाँ भी इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन, एटम, एनर्जी आदि सब कुछ बेहद ही अनुशासित ढंग से अपना कार्य कर रहे हैं। ब्रम्हांड एवं खगोल की इस दुनियां में यदि कहीं तो अनुशासन का चक्र डगमगाया तो विनाश का होना तय है।

जीवन के संदर्भ में जब हम डिसिप्लिन की बात करते हैं तब आम तौर पर बेहद ही साधारण बात ही हमारे समझ में आती है जिसे हम दिनचर्या कहते हैं। अर्थात सुबह, दोपहर, शाम एवं रात के इस चक्र को आप कैसे पूर्ण करते हैं और इस चक्र के हर पहर में आप क्या क्या क्रिया-कलाप करते हैं सामान्यतः उसे ही अनुशासन माना जाता है। किन्तु अनुशासन को अपने दैनिक चक्र में ही समेट देना हमारी भूल है। जब तक आप जीवन के हर क्षेत्र में अनुशासित ना हों, अपने व्यवहार, भाषा संवाद एवं विचार से अनुशासित ना हों तब तक सही मायने में अनुशासन की परिभाषा पूर्ण नहीं होती।

अनुशासन को विशेष उम्र के लोगों से ही जोड़ के रखना भी गलत है। कहा जाता है विद्यर्थियों को अनुशासित होना चाहिए, हां ये सच की विद्यार्थी को अनुशासित होना चाहिए किन्तु केवल विद्यार्थी को ही क्यों ? क्या अन्य लोगों को अनुशासनहीन होने का लाइसेंस है !

डिसिप्लिन एक ऐसा विषय है जिसका ना तो उम्र से कोई संबंध है ना ही मात्र समय और दिनचर्या से। आईये कुछ बिंदुओं पर गौर फरमाते हैं:

1 – भाषा एवं बोली: यह जरूरी है की हम जो भी बोलें और कहें उसमें भी अनुशासन बरतें। हमारी भाषा ऐसी नहीं होनी चाहिए जो किसी को आहत कर जाय।

2 – पहनावा ओढ़ावा: हम तो कैसे भी रहें और हम तो कुछ भी पहने किसी को क्या मतलब। यह विचार गलत है क्योंकि एक व्यक्ति समाज के दूसरे व्यक्ति को भी प्रभावित करता है। अर्थात वस्त्र धारण भी अनुशासन एवं मर्यादा का हिस्सा हैं।

3 – व्यव्हार एवं कार्यशैली: हमारे कितने मित्र हैं और कितने दुश्मन यह सब कुछ हमारे व्यवहार एवं कार्यशैली पर निर्भर करता है। किसी से किया गया वादा क्या अपने पूरा किया, किसी से लिए गए रुपये क्या आपने लौटा दिए, किसी से ली गयी सहायता पर क्या आपने आभार व्यक्त किया, किसी के मान एवं विश्वास की क्या आपने लाज रखी। जानें ऐसी कितनी ही बातें हैं जिनसे हम रोज अपने जीवन में गुजरते हैं। यदि आप यहाँ भी अनुशासित हैं तो सच में आप ईश्वर के समान हैं।

4 – चरित्र: समाज एवं घर परिवार में किस पर, कैसी नज़र है आपकी यह भी अनुशासन का हिस्सा है। किसी के घर की बेटी, किसी की बहन, किसी की बहु, किसी की पत्नी के प्रति आप कितने चरित्रवान हैं यह भी अनुशासन की बात है। रिश्ता अपना हो या पराया व्यक्ति अनुशासनात्मक होना आवश्यक है।

5 – ईमानदारी: किसी को आपने धोखा दिया, किसी से झूठ बोला, कोई कही हुई बात से पलट गए; सदैव याद रखें इस धरती पर किसी का भी जीवन सदा के लिए नहीं है। अतः ईमानदारी जैसा अनुशासन आपको समाज का एक प्रतिष्ठित व्यक्ति बना सकता है।

उपसंहार
Conclusion

हमारा पूरा जीवन अनुशासन पर ही टिका हुआ है।
यदि हम अपने आस-पास के वातावरण को देखें तो हमें यह साफ दिखाई देगा कि हम अनुशासन से पूरी तरह से घिरे हुए हैं। सूरज का समय से उदय होना। मौसम का समय पर आना और जाना। यदि यह प्रकृति समय पर अपना कार्य ना करे तो हमारा जीवन कठिनाइयों में पड़ जाएगा। इसी बात से हम यह अंदाज़ा लगा सकते हैं कि हमारे जीवन में अनुशासन का होना कितना ज़रूरी है। एक अच्छे और सुखी जीवन के लिए हमें हर छोटी-बड़ी चीज़ों को नियमित ढंग से करना चाहिए। तभी हम एक सुखी और संतुष्ट जीवन जी सकते हैं।

अनुशासन को समय, उम्र एवं दिनचर्या से परे होकर जानना एवं उसके अनुसार जीना ही मानव होने का गौरव है। जीवन और अनुशासन सदैव साथ ही चलते हैं। अतः जीवन के हर बिंदु पर अनुशासन का पालन कर हम सामान्य व्यक्ति होते हुए भी समाज का चाहता बन सकते हैं।

लेखिका:
ज़रनैन निसार

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