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तिरंगा झंडा – राष्ट्रीय ध्वज से जुड़ी रोचक बातें

तिरंगा झंडा

हम हिन्दुस्तानियों के कान में जब भी तिरंगा नामक शब्द सुनाई देता है हम समझ जाते हैं कि बात राष्ट्रीय ध्वज की हो रही है। Tiranga Jhanda केवल एक ध्वज नहीं अपितु भारतीयता की आन बान शान है। तिरंगा भारत की पहचान है यह केवल तीन रंगों की पट्टी मात्र नहीं।

बात जब तीन रंगों की पट्टी की हो रही है तो मैं आपको बता दूँ की तिरंगे के जिस वर्तमान स्वरूप को हम देखते हैं वो हमेशा से ऐसा नहीं था। अपने वर्तमान स्वरूप में आने से पहले तिरंगे के कई रूप थे; अर्थात भारतीय राष्ट्रीय ध्वज कई बार बदलता एवं बनता रहा।

पिंगली वेंकैया:

यह आंध्र प्रदेश के रहने वाले और एक सच्चे देशभक्त व कृषि वैज्ञानिक थे, पिंगली वेंकैया जी ने तिरंगा झंडा डिज़ाइन किया था। सन 1947, 22 जुलाई को भारतीय संविधान सभा की बैठक में इनके द्वारा डिज़ाइन किये गए तिरंगे को अपनाया गया। 15 अगस्त 1947 से 26 जनवरी 1950 के बीच इनके द्वारा प्रस्तुत तिरंगे को भारत के राष्ट्रीय ध्वज की मान्यता दे दी गई।

केसरिया, सफ़ेद और हरा; इन तीन रंगों से मिलकर बना हुआ है हमारा तिरंगा अर्थात ‘राष्ट्र ध्वज‘ । पिंगली वेंकैया जी ने वर्ष 1921 में पहली बार ध्वज का डिज़ाइन जब सबके सामने रखा तब उसमें केसरिया और हरा रंग था। फिर जालंधर के लाला हंसराज जी ने उसमें ‘चर्खा‘ जोड़ दिया; फिर उसी समय महात्मा गाँधी जी ने भी उसमें एक ‘सफ़ेद पट्टी‘ रखने का सुझाव दिया।

तिरंगे झंडे में रंगों का महत्त्व क्या है ?

हम सभी जानते हैं की भारत के राष्ट्रीय ध्वज अर्थात तिरंगे झंडे में कुल 3 रंग की आड़ी पट्टियां हैं किन्तु उनके असल मायने क्या हैं और क्यों उन पट्टियों को रखा गया है आइये समझते हैं।

1 – केसरिया रंग की पट्टी : यह देश की ताकत और साहस को दर्शाती है।
2 – सफेद रंग की पट्टी व चक्र : शांति और सत्य का संकेत देती है।
3 – हरे रंग की पट्टी: देश के शुभ, विकास और कृषि उर्वरता को दर्शाती है।

तिरंगे झंडे की कुल लम्बाई व चौड़ाई का अनुपात 3:2 का है। सफेद पट्टी के बीच में दिखता गहरे नीले रंग का चक्र उसमें 24 तीलियां हैं। यह चक्र भारत की होती निरंतर प्रगतिशीलता को दर्शाता है।

तिरंगा फहराने के नियम:

क) – भारतीय राष्ट्रीय झंडे का प्रदर्शन प्रतीक और नाम (अनुचित प्रयोग का निवारण) अधिनियम, 1950.
ख) – राष्ट्रिय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 के उपबंधों से नियंत्रित होता है।

यह 2 कानून तिरंगा ध्वज फहराने के नियमावलियों को नियंत्रित करते हैं। इसके अतिरिक्त 2002 में एक और कानून आया जिसका नाम था ‘भारतीय ध्वज संहिता‘ (इंडियन फ्लैग कोड) इस कानून को लाने का मुख्य मकसद था ध्वज फहराने संबंधी सभी नियमों, रिवाजों, औपचारिकताओं और निर्देशों को एक साथ एक जगह रखना।

तिरंगा निर्माण एवं फहराने संबंध में रोचक जानकारी:

  • 1 – हाथ से काते व बुने गए धागे या ऊन, सिल्क अथवा खादी के कपड़े से ही राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण हुआ होना चाहिए।
  • 2 – तिरंगे का आकार आयताकार, लम्बाई चौड़ाई का अनुपात 3:2 ही होना चाहिए।
  • 3 – राष्ट्रीय ध्वज को एक ही डंडे में किसी अन्य ध्वज के साथ नहीं फहराया जा सकता।
  • 4 – जनता सांस्कृतिक अवसर के मौके पर काग़ज़ से निर्मित झंडा फहरा सकती है किन्तु उसे ज़मीन पर नहीं फेंका जा सकता।
  • 5 – राष्ट्रीय ध्वज को वाहन, रेलगाड़ी, नाव, वायुयान के छत इत्यादि को ढ़कने में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
  • 6 – ध्वज को रुमाल, चादर, पर्दा, तकिया, वर्दी या पोशाक पर मुद्रित नहीं किया जा सकता।
  • 7 – व्यक्ति या फिर वस्तु को सलामी देने के लिए झंडे को कभी नहीं झुकाया जा सकता।
  • 8 – खुले मैदान में मौसम की चिंता किये बिना झंडे को सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराया जाना चाहिए।
  • 9 – रात में भी झंडा फहराया जा सकता है किन्तु उसका डंडा काफी ऊँचा होना चाहिए ताकि उसे दूर से देखा जा सके।

सुप्रीमकोर्ट ने जनता द्वारा झंडा फहराने के अधिकार को मूल अधिकार माना है। झंडा फहराने का अधिकार आर्टिकल 19 1A इंडियन कॉन्सटीटूशन के तहत अभिव्यक्ति की आज़ादी के रूप में माना गया है।

गाड़ी में झंडा फहराने का अधिकार किन लोगों के पास है ?

  • 1 – भारत के राष्ट्रपति
  • 2 – भारत के उपराष्ट्रपति
  • 3 – गवर्नर और लेफ्टिनेंट गवर्नर्स
  • 4 – विदेशों में भारतीय मिशन के प्रमुख
  • 5 – प्रधानमंत्री व कैबिनेट मंत्री
  • 6 – संघ के राजयमंत्री और उपमंत्री
  • 7 – राज्य उपमुख्यमंत्री और संघ शासित देशों के कैबिनेट मंत्री
  • 8 – राज्यों और केंद्र शासित देशों के उपमुख्यमंत्री व राज्य सरकार में राज्य मंत्री
  • 9 – लोक सभा के अध्यक्ष
  • 10 – राज्य सभा के उप सभापति
  • 11 – लोक सभा के उपाध्यक्ष
  • 12 – राज्यों में विधान सभा के अध्यक्ष
  • 13 – राज्यों और केंद्र शासित देशों में विधान सभाओं अध्यक्ष
  • 14 – राज्यों विधान परिषदों के अध्यक्ष
  • 15 – राज्यों और केंद्र शासित देशों में विधान सभा के उपाध्यक्ष
  • 16 – भारत के मुख्य न्यायाधीश
  • 17 – सुप्रीमकोर्ट के अन्य न्यायाधीश
  • 18 – उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश
  • 19 – उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश

ध्वज संहिता 2002 के तहत गाड़ी में ध्वज फहराने अथवा लगाने का अधिकार केवल उपरोक्त 19 लोगों के पास ही है। हां, यह सच है की हम आये दिन सड़कों पर सामान्य लोगों को भी अपनी गाड़ी में ध्वज लगाया हुआ देखते हैं किन्तु यह गैरकानूनी है।

याद रखें,

जब कोई विदेशी राजनयिक व्यक्ति या गणमान्य व्यक्ति भारत यात्रा पर आता है तब भारत सरकार द्वारा उसे कार प्रदान की जाती है। इस कार में भारत के राष्ट्रीय ध्वज को कार की दाहिनी ओर और विदेशी व्यक्ति के देश के ध्वज को कार की बायीं ओर लगाया जाता है।

तिरंगे झंडे का नाम सुनकर हमारे मन में देश प्रेम जाग जाता है किन्तु तिरंगे का सम्मान कैसे करना चाहिए ये हम जानते ही नहीं। तिरंगे को डिज़ाइन किसने किया, तिरंगे में रंगों की पट्टियों के क्या मायने हैं, तिरंगा फहराने संबंधी क्या नियम कानून हैं, ध्वज संहिता क्या है और कौन वो लोग हैं जो अपनी गाड़ी में तिरंगे को फहरा सकते हैं आदि विषयों पर आपको पूरी जानकारी जरूर प्राप्त हो गयी होगी।

लेखक:
रवि प्रकाश शर्मा

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