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लॉकडाउन में सोशल मीडिया की भूमिका

तारीख 22 मार्च सन 2020 को माननीय प्रधानमंत्री के आह्वान पर जनता ने स्वयं अपने ऊपर ‘जनता कर्फ्यू‘ लगाया। भारत के इतिहास में यह पहला मौका रहा जब जनता ने अपने ही हाथों से अपने लिए एक ‘लक्षमण रेखा’ खींची और घर से बाहर न निकलने की कसम खाई। समय कैसे-कैसे दिन दिखाता है कभी न रुकने थकने वाला इंसान आज घर की चारदीवारी में कैद है।

पृथ्वी पर जाने कितने शक्तिशाली जीवों को मानव ने परास्त किया। वैज्ञानिक तकनीकि पर सवार होकर चाँद सितारों पर अपने कदम रखे किन्तु ये क्या ! एक ऐसा वायरस जो आँख से भी दिखाई नहीं देता उसने मानव को ऐसी पटखनी दी की इसकी सारी दादागिरी ही गायब हो गयी। हमारे तमाम संसाधन धरे के धरे रह गए और एक सूक्ष्म वायरस से हम जंग हार गए।

19 दिसंबर 2019 से ही समस्त दुनियां लॉकडाउन में जी रही है, इस इंतज़ार में की आज नहीं तो कल कोरोना पर इंसान विजई हो ही जायेगा। देखा जाय तो लगभग 5 महीने होने को आये किन्तु लॉकडाउन ख़त्म होने का इंतज़ार ख़त्म होता दिखाई नहीं देता।

लॉकडाउन में सोशल मीडिया:

सच कहें यदि आज लोगों के पास कंप्यूटर, स्मार्टफोन और सोशल मीडिया जैसी चीज़ न होती तो यह लॉकडाउन जाने कितने लोगों को मासिक रोगी बना देता, जाने कितने लोगों की बीवियां नाराज़ हो जातीं और न जाने कितने पति, पत्नियों के ताने सुन-सुन कर पागल हो जाते। खैर, हंसी की बात नहीं; पर सच तो ये है की सोशल मीडिया ने लॉकडाउन को कामयाब होने में काफी मदद की है।

  • सोशल मीडिया पर एक्टिविटी करके लोग लॉकडाउन में अपना समय व्यतीत कर रहे हैं।
  • सोशल मीडिया पर लोग लॉकडाउन को कामयाब बनाने की अपील करते नज़र आ रहे हैं।
  • लोग सोशल मीडिया के माध्यम से लोग लॉकडाउन के प्रति जागरूकता फैला रहे हैं।
  • लॉकडाउन के समर्थन में लोग सोशल मीडिया पर लेख एवं वीडियो साझा कर रहे हैं।

दुनियां यह अच्छे तरीके से जानती है की कोरोना वायरस की रोकथाम करने में फ़िलहाल लॉकडाउन ही एक माध्यम बचा है, ख़ासकर जब तक कोई पुख्ता वैक्सीन नहीं इज़ात हो जाती। Covid-19 नामक यह वैश्विक महामारी मई 2020 आने तक संपूर्ण जगत में 2,40,000 लोगों की जान ले चुका है। आगे अभी कितनी मौतें होंगी उसके बारे में कोई भविष्यवाणी करना फ़िलहाल जल्दबाज़ी होगी।

चूँकि कोरोना संक्रमण को रोकने की कोई कारगर दवा नहीं है, ना ही वैक्सीन है अतः लॉकडाउन ही एकमात्र सहारा है। लॉकडाउन की कामयाबी तभी मुमकिन है जब लोग स्वयं पर नियंत्रण रखें। लोगों द्वारा लॉकडाउन का पूरी तरह पालन करना ही एक उम्मीद की किरण बची है कोरोना को परास्त करने के लिए। ऐसे में सोशल मीडिया की भूमिका अधिक गहरा जाती है।

लॉकडाउन की स्थिति में कई लोग अपने देश एवं अपने शहर से मीलों दूर फंसे हुए हैं। न बाहर निकलने की स्थिति में हैं ना घर में आराम फरमाने की, बस सोशल मीडिया ही एक जरिया बचा है जिसके माध्यम से लोग एक दूसरे से संपर्क साधे हुए हैं। फ़ोन पर बात करने की क्रिया तो सदियों से की जा रही है मगर भावनायें व्यक्त करने का रास्ता केवल सोशल मीडिया के आने के बाद ही खुला है।

अकेलेपन एवं घर में कैद बेचैन मन को सोशल मीडिया ही सांत्वना प्रदान कर रहा है। कहीं कोई यारों से गुफ्तगू में मशगूल है, कोई माँ बाप रिश्तेदारों से जुड़ा है, तो कोई प्रेमी प्रेमिका की मोहब्बत में खोया है। लॉकडाउन में बीतते एक-एक दिन की व्याख्या सोशल मीडिया पर लोगों द्वारा की जा रही है। यक़ीनन लोग यदि आज घरों में कैद होकर भी खुश हैं तो उसकी सबसे बड़ी वजह सोशल मीडिया एवं उसकी भूमिका ही है।

लॉकडाउन को विफल करने के प्रयास:

बेशक लॉकडाउन को सफल बनाने में सोशल मीडिया ने बड़ी भूमिका अब तक निभाई है, किन्तु कुछ प्रसंग ऐसे भी देखने को मिले हैं जहां सोशल मीडिया का दुरूपयोग कर लॉकडाउन को धता साबित करने का प्रयत्न भी चंद मानसिक बीमार लोगों द्वारा किया गया है।

चूँकि सोशल मीडिया का हिस्सा कोई भी बन सकता है अतः यहां अच्छे एवं बुरे दोनों तरह के लोगों का मिश्रण देखने को मिलता है। सरकार द्वारा लॉकडाउन के संबंध में गलत भ्रांतियाँ फैलाकर सोशल मीडिया पर प्रचारित किया गया। चलिए जानते हैं कैसे सोशल मीडिया को हथियार बना लॉकडाउन को तबाह करने का प्रयत्न किया गया और यह देश में कहीं न कहीं आज भी जारी है।

  1. महाराष्ट्र से बिहार ट्रेन जा रही है, ये कहकर मज़दूर लोगों की भीड़ को इकठ्ठा किया गया।
  2. दिल्ली से उत्तर प्रदेश बस जा रही है, ये कहकर आनंद विहार बस अड्डे पर मजदूरों की भीड़ बुलाई गयी।
  3. लॉकडाउन की वजह से लोगों की जान गई, लोग भूखे मरे ऐसी घबड़ाहट पैदा की गयी।
  4. लॉकडाउन में राशन एवं घरेलु खान पान की वस्तु नहीं मिल रही है यह कहकर लोगों द्वारा पैनिक बाइंग को बढ़ाया गया।
  5. सरकार पूरे साल के लिए देश लॉकडाउन करने जा रही है ऐसी अफ़वाहें उड़ाई गयीं।

उपयोग एवं दुरूपयोग एक ही सिक्के के दो पहलु होते हैं। भला सोशल मीडिया इससे अछूता कैसे रह सकता है, जहां देश की 90% जनता लॉकडाउन के पक्ष में खड़ी हैं वहीँ चंद उपद्रवी तत्त्व सरकार को विफल करने का हर संभव प्रयास सोशल मीडिया में अफ़वाह फैलाकर कर रहे हैं।

देश की जनता आज बेहद समझदार है वो अपना नफा-नुकसान समझती है, तभी तो लॉकडाउन का खुले दिल से स्वागत भी किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर अधिकांश लोग देश के साथ, सरकार के साथ एकजुट होकर खड़े हैं तभी तो प्रधानमंत्री के आह्वान पर लोगों ने दीये भी जलाये और थाली भी बजाई।

यह सोशल मीडिया की ताक़त ही है जिसने लोगों को घरों में बांध रखा है।
कोरोना को परास्त करने में जितनी भूमिका सरकार की है, पुलिस की है, स्वास्थ कर्मी की है, सफाई कर्मी है उतनी ही भूमिका सोशल मीडिया की भी है।
अपने-अपने घरों में, अपने प्रियजनों से दूर यदि लोग कैद हैं तो उन्हें हौसला देने वाला सोशल मीडिया ही है जिसकी भूमिका का सम्मान किया जाना चाहिए।

धन्यवाद

लेखक:
रवि प्रकाश शर्मा

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