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लघु कथा – बिरेंदर वैज्ञानिक

हर रोज की तरह राम अवतार अपने घर पर स्कूली बच्चों को ट्यूशन पढ़ा रहे थे। तभी अचानक द्वार पर एक व्यक्ति अपने 13 वर्षीय पुत्र के साथ हाज़िर होता है। द्वार पर पधारे अंजाने व्यक्ति को देखकर राम अवतार उससे सवाल करते हैं – जी आप कौन हैं ?

व्यक्ति अपना परिचय देते हुए कहता है – सिपाही जी, मेरा नाम रामनाथ है और हम जात के ‘गोंण’ हैं।
वह आगे प्रार्थना करते हुए कहता है – पंडी जी, आप मेरे लड़के को भी ट्यूशन पढ़ा देते तो बड़ी कृपा होती।
मेरा बालक पढ़ने में अत्यंत कमजोर है, मैं चाहता हूँ वो अच्छी शिक्षा प्राप्त करे।

अपने पिता के साथ खड़े बालक की ओर देखते हुए राम अवतार पूछते हैं – क्यों बेटा क्या नाम है तुम्हारा ?
बालक घबराहट के साथ कुछ देर रूक कर हल्के स्वर में जवाब देता है – हम ‘बिरेंदर’ हैं।
राम अवतार पुनः पूछते हैं – पढ़-लिख कर क्या बनोगे ?
इसबार बिरेंदर चेहरे पर मुस्कान लिए कहता है – वैज्ञानिक बनेंगे।

राम अवतार ने बच्चे को परखते हुए गणित का एक अत्यंत सरल प्रश्न किया – अच्छा बिरेंदर ये बताओ, 5 अंकों की सबसे बड़ी संख्या क्या होगी ?
किन्तु इस बार बिरेंदर चुप रहा..! वह उत्तर न दे सका।
बच्चे की चुप्पी देखकर पिता रामनाथ ने कहा – सिपाही जी अभी ये इतना नहीं जानता है। आप जब पढ़ायेंगे तो सब समझ जायेगा।

राम अवतार विचार करते हुए बोले – ठीक है रामनाथ जी, कल से बिरेंदर को हम पढ़ायेंगे।
हम सबसे 50 रूपया महीना लेते हैं अतः आप भी 50 रुपया दे दीजियेगा ! और एक बात, आप हमको सिपाही जी मत कहिये मास्टर जी कहिये।
पुलिस से रिटायर हुए तो हमको 18 साल हो गया। सन 1974-75 में हम रिटायर कर गए थे, भगवान शरीर ठीक रखे हैं तो सोचे खाली बैठने से अच्छा है बच्चों को ट्यूशन ही पढ़ाया जाय।  

हँसते हुए रामनाथ कहते हैं – जी ठीक है मास्टर जी, कल से बीरेंदर पढ़ने आयेगा।

अगले दिन संध्या को बिरेंदर राम अवतार के यहां ट्यूशन लेने पहुँचता है; जहां पहले से अन्य 5 बच्चे भी मौजूद थे। राम अवतार अन्य बच्चों का बिरेंदर से परिचय कराते हुए कहा – बच्चों ये बिरेंदर है, और ये पढ़-लिख कर वैज्ञानिक बनना चाहता है।

मास्टर राम अवतार जी की बात सुनकर वहां बैठे सभी बच्चे हँस देते हैं – ही..ही..ही !!
मास्टर जी थोड़ा उनको डाँटते हुए बोले – अरे काहें हँस रहे हो जी तुम लोग; कोई वैज्ञानिक नहीं बन सकता है क्या !

राम अवतार ने कहा – अच्छा, तो कल हमने भौतिक शास्त्र में ‘कार्य एवं ऊर्जा’ को समझा था, आज फिर उसी पर चर्चा करेंगे।

बेटा राहुल, ये बताओ – कार्य किसे कहते हैं ?
राहुल जवाब देते हुए – किसी वस्तु पर बल लगाने से उसमें विस्थापन उत्पन्न होने की क्रिया को कार्य कहते हैं।
राम अवतार बोले – अब इसे जरा भौतिकी में समझाओ।
राहुल ने फिर जवाब दिया – कार्य बराबर = बल गुणे बल की दिशा में विस्थापन।
अतः बल तथा बल की दिशा में विस्थापन के गुणनफल को कार्य कहते हैं।

राम अवतार – शाबाश, राहुल।
तुम भी ठीक से समझते चलो बिरेंदर कल तुमसे भी प्रश्न होगा – ये बात राम अवतार मास्टर ने बिरेंदर को देखते हुए कही।

राम अवतार बिरेंदर सहित कुल 6 बच्चों को गणित, भौतिकी, रसायन और अंग्रेजी पढ़ाते थे। लेकिन समय के साथ-साथ राम अवतार यह समझ गए कि बिरेंदर शिक्षा में कमजोर ही नहीं बल्कि कुछ मानसिक स्तर पर भी कमजोर है। पढ़ने वाले बच्चे बिरेंदर का उपहास करते और उसे मूर्ख समझते थे, क्योंकि बिरेंदर साधारण प्रश्नों का भी जवाब नहीं दे पाता था।

रोज की तरह एक दिन मास्टर राम अवतार जी ने वर्गमूल गणित पढ़ाते हुए बिरेंदर से प्रश्न किया।

अच्छा बिरेंदर ये बताओ – यदि किसी संख्या के वर्गमूल में केवल 2 अंक हैं तो वह संख्या कितने अंक की है ?
बिरेंदर हमेशा की तरह बोला – नहीं पता मास्टर जी।
पास बैठे सभी बच्चे हँस पड़े, किन्तु तभी राम अवतार ने ज्योति की तरफ इशारा करते हुए कहा – तुम बताना ज्योति बेटा। ज्योति ने बड़ी तत्परता से उत्तर दिया – मास्टर जी, वह संख्या 3 अंक या 4 अंक की है।

ज्योति का जवाब सुनने के बाद मास्टर राम अवतार ने बिरेंदर को डाँटते हुए कह दिया – तुमको यदि अल्बर्ट आइन्सटाइन्स भी आकर पढ़ाये तो तुम कभी वैज्ञानिक नहीं बन सकते। बिरेंदर तुम पढ़ाई लिखाई छोड़ दो और अपने बाबू जी की तरह दर्जी का काम करो।

बेचारा ‘बिरेंदर‘ शायद वो नहीं जानता था कि वो मानसिक रूप से कमजोर है। पता नहीं कैसे उसके मन में वैज्ञानिक बनने का खयाल आया; राम अवतार की डाँट के बाद बिरेंदर फिर कभी ट्यूशन पढ़ने नहीं गया। लेकिन उसे ‘वैज्ञानिक’ नाम तो मिल ही गया; अब मोहल्ले में लोग उसे वैज्ञानिक कहकर बुलाने लगे। उसका कोई मित्र नहीं था; उसकी अपनी जाति के बच्चे भी उसे वैज्ञानिक कहकर मजाक उड़ाते। लेकिन बड़े लोग या उसकी उमर के बच्चे बिरेंदर को वैज्ञानिक बोलते तो वह हँस देता था…कहीं न कहीं उसे वैज्ञानिक कहलाना अच्छा लगता था; अतः वह कभी किसी पे क्रोधित नहीं हुआ।

राम अवतार को बिरेंदर से मोह था इसलिए दर्जी से जुड़ा हर कार्य कराने के लिए वे बिरेंदर के पास जाते थे। एक दिन साल 1998 राम अवतार हाथ में अपना एक पुराना कुर्ता लिए बिरेंदर के घर गए और दरवाजे को ठोकते हुए बोले – बेटा वैज्ञानिक..!

बिरेंदर दरवाजा खोलकर अपने गुरु को प्रणाम करता है, और राम अवतार कहते हैं – जरा मेरे कुर्ते का जेब तो सिल दो, मुझे किसी जरूरी काम से जल्दी जाना है। यह पहला मौका था जब राम अवतार बिरेंदर के घर में उसकी सिलाई मशीन के पास बैठे हों।

बिरेंदर सिलाई में मस्त था; किन्तु राम अवतार उसके कमरे को देखकर अचंभित थे। वे देख रहे थे कि कमरे में गणित, भौतिक के तमाम प्रश्न चार्ट पेपर पर लिखें हैं जिन्हें कभी उन्होंने बिरेंदर से पूछा था। बेशक बिरेंदर की बौद्धिक क्षमता गणित और भौतिकी जैसे जटिल विषयों को समझने योग्य नहीं थी किन्तु बिरेंदर ने पूरा प्रयास किया था। …राम अवतार अपने अंतर्मन में ग्लानि का भाव महसूस कर रहे थे; वे सोच रहे थे की उस दिन बिरेंदर को उन्होंने क्यों डाँट दिया।

गुजरे 20 सालों में बिरेंदर का साथ 2 लोगों ने छोड़ दिया मास्टर राम अवतार और पिता राम नाथ।
मोहल्ले में वैज्ञानिक आज एक मज़ाकिया पात्र है, पढ़ा लिखा मूर्ख समाज बिरेंदर का प्रतिदिन मज़ाक उड़ाता है।

भीड़-भाड़ वाले मोहल्ले के उस छोटे से घर में बिरेंदर वैज्ञानिक आज..अकेला है, बिल्कुल अकेला बस अपनी खड़खड़ाती सिलाई मशीन के साथ।

लेखक:
रवि प्रकाश शर्मा

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लघु कथा – बिरेंदर वैज्ञानिक

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