चैतन्य भारत न्यूज
तालिबानी हुकूमत ने अफगानिस्तान की सूरत बदल दी है। महिलाओं को अधिकार और हर क्षेत्र में मौका देने की बात कहने वाले तालिबान ने महिला एंकरों पर पाबंदी लगा दी है। साथ ही विदेशी टीवी शो का टेलीकास्ट भी रोक दिया गया है। सरकारी चैनलों से इस्लामी संदेश दिए जा रहे हैं। बाजारों में जहां कहीं भी महिलाओं की तस्वीरें दिखाई दे रही हैं, उन पर कालिख पोत दी जा रही है। तालिबान ने अफगानिस्तान के टॉप मीडिया अफसर का कत्ल पूरे मुल्क पर कब्जे से पहले ही कर दिया था।
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महिला एंकर को दफ्तर से लौटा दिया
अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान ने अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में वादा किया था कि महिला अधिकारों की हिफाजत की जाएगी, लेकिन एक हफ्ता पहले ही अफगानिस्तान के सरकारी चैनल को जॉइन करने वाली महिला एंकर खदीजा अमीन को वहां के अधिकारियों ने निकाल दिया है। चैनल के अधिकारियों ने खदीजा से कहा कि सरकारी चैनल में महिलाएं काम नहीं कर सकती हैं।
खदीजा ने कहा, ‘अब मैं क्या करूंगी। भविष्य की पीढ़ी के पास कुछ नहीं होगा। 20 साल में हमने जो कुछ भी हासिल किया है, वो सबकुछ चला जाएगा। तालिबान तालिबान ही रहेगा। वो बिल्कुल नहीं बदला है।’इसके बाद काबुल स्थित रेडियो टेलीविजन अफगानिस्तान (RTA) में काम करने वाली एंकर शबनम दावरान को भी काम करने से मना कर दिया गया है। शबनम ने कहा- बुधवार को मैं हिजाब पहनकर और आईडी लेकर दफ्तर पहुंची। वहां मौजूद तालिबानियों ने मुझसे कहा कि सरकार बदल चुकी है। आपको यहां आने की इजाजत नहीं है। घर जाइए।
महिलाओं का सपोर्ट बस दिखावा
महिलाओं को अधिकार और शिक्षा देने जैसी बातें केवल तालिबान का दिखावा है। हालात ये हैं कि बाजारों में भी जहां महिलाओं की तस्वीरें दिखाई पड़ रही हैं, तालिबानी लड़ाके उन पर कालिख पोत रहे हैं। कई ट्वीट सोशल मीडिया पर किए गए हैं, जिनमें काबुल और अन्य शहरों के बाजारों में पोस्टर, एडवर्टाइजमेंट या शॉप पर महिलाओं की तस्वीर को कालिख से रंग दिया गया है।
इसके अलावा महिला ब्लॉगर्स, यूट्यूबर्स की भी खोज की जा रही है ताकि उन पर बंदिश लगाई जा सके। होमीरा ने बताया कि तालिबानी हर उस महिला को तलाश कर रहे हैं, जो अफगानिस्तानी समाज के विकास से जुड़ा कोई काम कर रही हो।